जयपुर: प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में क्राउड कंट्रोल यानी भीड़ को कंट्रोल करना चिकित्सा विभाग के लिए लंबे समय से एक बड़ी चुनौती रहा है. इससे निपटने के लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी अस्पतालों का अध्ययन शुरू कर दिया है. विभाग निजी अस्पतालों की स्टडी कर रिपोर्ट तैयार करेगी और इसके अनुसार भीड़ को नियंत्रित किया जाएगा.
जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल की बात करें तो हर दिन यहां तकरीबन 10 हजार से अधिक मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं, लेकिन इस भीड़ को कंट्रोल करना चिकित्सा विभाग के लिए चुनौती साबित हो रहा है. ऐसे ही हालात प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में भी बने हुए हैं. इसके चलते चिकित्सा शिक्षा विभाग ने निजी अस्पतालों का अध्ययन शुरू कर दिया है.
इसके तहत चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव अम्बरीश कुमार के निर्देश में एक कमेटी का गठन किया गया है जो निजी अस्पतालों का दौरा करके वहां भीड़ मैनेजमेंट किस तरह किया जा रहा है, इसको लेकर एक रिपोर्ट तैयार करेगी. बुधवार को चिकित्सा शिक्षा सचिव स्वयं जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी अस्पताल में पहुंचे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारी कोशिश है कि सभी सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जाए. सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में राजस्थान के सभी लोगों को निशुल्क इलाज उपलब्ध कराया जा रहा है.
मरीज का अनुभव महत्वपूर्ण: चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कहा कि अस्पताल में जब मरीज अपना इलाज करवाने पहुंचता है, तो इलाज के दौरान मरीज का अनुभव कैसा रहा, यह सबसे महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि आज हमने दुर्लभजी अस्पताल में व्यवस्थाएं देखी और हमने पाया कि यहां हर एक चिकित्सक के साथ 6 सपोर्टिंग स्टाफ है. ऐसे में हम भी हमारे बड़े सरकारी अस्पतालों में जहां भीड़ सबसे अधिक आती है, वहां इस तरह की व्यवस्था लागू करने की कोशिश करेंगे. क्योंकि हमारे पास दुनिया के सबसे बेहतर चिकित्सक उपलब्ध हैं.
भीड़ हमारे लिए चुनौती: चिकित्सा शिक्षा सचिव ने कहा कि आज हम जिस अस्पताल का दौरा करने पहुंचे हैं. वहां शुरू में हर तरह की व्यवस्थाएं नहीं थी, लेकिन धीरे-धीरे यहां व्यवस्थाओं को सुधारा गया. हालांकि इन अस्पतालों में भीड़ उस तरह नहीं पहुंचती, जिस तरह सरकारी अस्पतालों में पहुंचती है. लेकिन उसके बाद भी यहां भीड़ को अच्छे से कंट्रोल किया जा रहा है. सरकारी अस्पतालों में जो इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, उसका इस्तेमाल किस तरह से किया जाए, ताकि क्राउड कंट्रोल हो सके यह हमारी कोशिश है.
दिल्ली एम्स का भी किया था दौरा: करीब 7 महीने पहले भी चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और चिकित्सकों के एक दल ने दिल्ली एम्स का दौरा किया था ताकि चिकित्सा संस्थानों में पंजीयन, परामर्श, जांच एवं दवा प्राप्त करने के लिए रोगियों एवं परिजनों को कतारों में खड़ा होकर इंतजार नहीं करना पड़े. इसके लिए एआई एवं आईटी आधारित क्यू मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने की बात कही गई थी. चिकित्सा अधिकारियों का मानना है कि दिल्ली एम्स आधुनिकतम चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की दिशा में एक अग्रणी चिकित्सा संस्थान है. वहां मरीजों एवं परिजनों की सुविधा के लिए क्यू मैनेजमेंट सिस्टम विकसित किया गया है.