जोधपुर. भारत व पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध बनाने और दोनों देशों में रहने वाले लोग अपने परिजनों से मिलते रहें, इसी उद्देश्य से 2006 में दोस्ती की ट्रेन थार एक्सप्रेस शुरू हुई थी. 2006 से अगस्त 2019 तक कई बार भारत-पाकिस्तान के बीच (Effect of Not Running Thar Express) संबंध तल्ख रहे, लेकिन यह ट्रेन चलती रही. लेकिन अगस्त 2019 में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से यह ट्रेन बंद है. जिसका खामियाजा दोनों तरफ की जनता भुगत रही है.
खास तौर से पाकिस्तान से आने वाले हिंदू विस्थापित खासे परेशान हैं. ये लगातार पलायन करके यहां आ रहे हैं. इनके परिवार के कई सदस्य थार एक्सप्रेस बंद होने से अटक गए हैं. कइयों के वीजा की अवधि (India Strategy for Pakistani People) समाप्त हो गई है. नए लोगों को भारत आने के लिए भारतीय दूतावास इन दिनों नए वीजा भी जारी नहीं कर रहा है. इससे भी परेशानी बढ़ गई है.
आलम यह है कि 2019 से पहले तक परिवार टुकडों में यहां आते रहे हैं. इस उम्मीद से कि हर बार कोई-कोई सदस्य (Hindu Coming From Pakistan to Rajasthan) आता रहेगा. लेकिन ट्रेन बंद होने से किसी का भाई, किसी का बेटा, किसी का पिता तो किसी की मां पाकिस्तान में रह गए हैं.
भाई लेने आया, मुनाबाव से लौटा दियाः 2018 में भारत आए साजन की कहानी अलग तरह की है. उसका भाई भगवानदास उनसे पहले भारत आया था. यहां रूककर पूरे परिवार की व्यवस्था कर दी. उसके बाद उन्हें लेने के लिए 2017 में वापस पाकिस्तान गया. 2018 में अपने पूरे परिवार के साथ वापस भारत के लिए थार एक्सप्रेस से रवाना हुआ.
भारत पहुंच भी गया, लेकिन मुनाबाव में उसे भारतीय एजेंसी ने वापस पाकिस्तान यह कहते हुए भेज दिया कि वह यहां ब्लैक लिस्टेड है. क्योंकि पहले जब आया था, उस समय वीजा अवधि से ज्याद यहां रुका और उसने अवधि नहीं बढ़वाई थी. तब से 20 साल भगवानदास अकेला पाकिस्तान में अपने रिश्तेदारों के पास है. जबकि उसके माता-पिता व भाई यहां आ चुके हैं. बेटे के नहीं आने से मां सदमे में चली गई. अब उसे वाघा के रास्ते आने का वीजा भी नहीं मिल रहा है.
बेटा, बेटी व भाई अटकेः 9 साल पहले पाकिस्तान से आए मोहनराम ने पूरे परिवार के लिए यहां व्यवस्थाएं की. उसके बाद उनकी पत्नी व एक बेटा आया. जब दूसरे बेटे, बेटी व उसके पिता के आने की तैयारी की गई तो वीजा नहीं मिला. जब वीजा मिला तो थार एक्सप्रेस बंद हो गई. अब वाधा के रास्ते आने के लिए नया वीजा नहीं मिल रहा है.
हाल ही में मोहनराम की एक बेटी की मौत भी हो गई, लेकिन वह नहीं जा सका. उसकी पत्नी सरकार से अर्ज (Problem of Pak Migrants Living in Jodhpur) कर रही है कि यह ट्रेन शुरू हो जाए तो परिवार आ जाए. इसी तरह से पाक विस्थापितों के लिए यहां आकर काम कर रहे भागचंद भील की मां को भी वीजा नहीं मिल रहा है. वह पाकिस्तान में रिश्तेदारों के पास है.
75 साल का पिता ठोकरे खा रहेः मानाराम ने 2017 में परिवार के साथ भारत आने का वीजा अप्लाई किया था. उस समय उसके पत्नी बच्चे व पिता अंबराम को वीजा मिला तो बुजुर्ग उन्हें लेकर भारत आए. चार माह बाद मानाराम भारत आया तो पिता अंबराम बाकी सदस्यों को लेने वापस पाकिस्तान गए.
लेकिन फिर भारत आने के लिए वीजा मांगा तो उन्हें ब्लेक लिस्टेड बता दिया गया. क्योंकि पहली बार आने के बाद वीजा अवधि नहीं बढ़ाई गई. यहां से वापस स्पांसर गारंटर के मार्फत वीजा के लिए पत्राचार शुरू किया. लेकिन अब ट्रेन बंद हो गई तो वीजा मिलने ही बंद हो गए. उसके 75 साल के पिता अकेले कठिनाई में जीवन यापन कर रहे हैं.
पूरा परिवार साथ नहीं आताः पाकिस्तान से कोई भी परिवार एक साथ नहीं आता हैं. वहां अपना घर व संपति के लिए किसी न किसी को छोडते हैं. क्योंकि अगर वहां किसी को पता चल जाता है कि पाकिस्तान छोड कर जा रहे हैं तो परेशानी बढ़ जाती है.
भारत आने के बाद परिवार अपनी व्यवस्था बना लेता है तो बचे हुए सदस्य वीजा के लिए प्रार्थना पत्र देते हैं. यही कारण है कि 2019 में जब थार बंद हुई तो सैंकडों परिवारों के सदस्य अटक गए. इस दौरान कई परिवार वाघा के रास्ते पाकिस्तान वापस भी लौट गए.