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27 साल पुराना वो मामला जिसमें अब जाकर पुलिस ने पेश की चार्जशीट, आरोपियों का बुढ़ापा देख कोर्ट ने भी दी जमानत - जोधपुर कलेक्ट्रेट

30 सितंबर 1993 के दिन जोधपुर कलेक्ट्रेट पर हुए बवाल के मामले में 27 साल बाद बुधवार को उदय मंदिर थाना पुलिस ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 3 में चार्जशीट पेश की है. इस मामले में बनाए गए आरोपी भी पेश हुए, जो अब काफी बूढ़े हो चुके हैं. उनकी हालत देखते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी है.

police presented charge sheet, Jodhpur news
जोधपुर में 27 साल बाद पुलिस ने पेश की चार्ज शीट वह भी अधूरी
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Published : Jan 21, 2021, 5:26 AM IST

Updated : Jan 21, 2021, 10:55 AM IST

जोधपुर. 30 सितंबर 1993 के दिन जोधपुर कलेक्ट्रेट पर हुए बवाल के मामले में 27 साल बाद बुधवार को उदय मंदिर थाना पुलिस ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 3 में चार्जशीट पेश की है. खास बात यह है कि इस दौरान तत्कालीन समय में इस मामले में बनाए गए आरोपी भी पेश हुए, जो अब काफी बूढ़े हो चुके हैं. उनकी हालत देखते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी है. 27 साल बाद भी पुलिस इस मामले में पूरी चार्जशीट पेश नहीं कर पाई है. 3 नाम सिर्फ आरोपियों को पुलिस इस अवधि में नोटिस तक तामिल नहीं करवा सकी है.

जोधपुर में 27 साल बाद पुलिस ने पेश की चार्ज शीट वह भी अधूरी

दरअसल जालोरी गेट पर 1993 में पहली बार भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की गई थी, लेकिन इसके विसर्जन मांग को लेकर आयोजकों और पुलिस-प्रशासन के साथ विवाद हो गया. विवाद इतना तूल पकड़ा कि प्रशासन के निर्देश पर पुलिस ने 29 सितंबर को मूर्ति का खुद ही विसर्जन कर दिया. इससे लोग और भड़क गए. उस समय जोधपुर में संत रामसुखदास महाराज के प्रवचन चल रहे थे. वह इस घटना से बेहद आहत हुए. उन्होंने आह्वान किया कि वे इस घटना के विरोध में 30 सितंबर ज्ञापन देने जाएंगे. जोधपुर बन्द का भी आह्वान किया गया. स्वामी रामसुखदास महाराज के नेतृत्व में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ कलेक्ट्रेट गेट पर जमा हो गई. भाजपा के नेता दामोदर भंग, राजेंद्र गहलोत, मेघराज लोहिया भी इस प्रदर्शन में शामिल थे.

यह भी पढ़ें- झालावाड़ ACB की कार्रवाई, पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत लेते ग्राम विकास अधिकारी सहित 4 गिरफ्तार

प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग कलेक्ट्रेट परिसर में घुस गए. जिसके चलते अराजकता फैल गई. लोगों ने कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी एडीएम की जिप्सी को पलट दिया. कलेक्ट्रेट में जमकर तोड़फोड़ की, यहां तक एक अधिकारी को चूड़ियां तक पहना दी गई. इस तोड़फोड़ और लाठीचार्ज और पत्थरबाजी में दोनों पक्षों को चोट आई. इसके बाद में पुलिस ने उदय मंदिर थाने में करीब 50 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसकी जांच पिछले 27 सालों से लगातार चल रही थी, लेकिन किसी भी पुलिस अधिकारी ने इसे पूरा नहीं किया. बुधवार को जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में उदय मंदिर एसएचओ राजेश यादव ने एक चार्जशीट पेश की है. हालांकि चार्जशीट में अभी भी कुछ लोगों को समन तामील होना नहीं बताया गया है. खास बात यह है कि जिन लोगों के नाम अभी भी समन तामील नहीं हुए वे जोधपुर के नामवर लोग है.

police presented charge sheet, Jodhpur news
मामले से जुड़ी एक पुरानी तस्वीर

जवानी में प्रदर्शन-बुढ़ापे में पेशी

1993 में जब प्रदर्शन हुआ था, तब इस मामले के सभी आरोपी युवा थे. पुलिस ने जो चार्जशीट पेश किए, उसमें 23 लोगों को आरोपी बनाया है. बुधवार को जो लोग कोर्ट में पेश हुए वह सब वृद्ध हो चुके हैं. कई लोगों के तो चलने में भी दिक्कत हो रही थी. इसके चलते कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. पुलिस की जांच इतनी लंबी चली कि 6 आरोपी तो इस दुनिया से भी चल बसे, जिनमें मुरलीधर बोहरा, रमेश कुमार, पूनमचंद मूंदड़ा, प्रेम राज, कैप्टन रतनलाल और देवड़ा देवी सिंह शामिल है.

23 आरोपी बनाए गए, 3 को तामील नहीं हुए नोटिस

पुलिस द्वारा पेश हुए 4 सीट में कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रसन्ना चंद्र मेहता तथा राजसीको के पूर्व चेयरमैन मेघराज लोहिया, वीरेंद्र अवस्थी पुत्र सदानंद, राज बहादुर मिश्रा पुत्र गंगाराम मिश्रा, प्रेमराज सोनी पुत्र रामदयाल सोनी, गोविंद मेहता पुत्र मोहनलाल मेहता, ओम भूतड़ा पुत्र पन्नालाल भूतड़ा, घनश्याम मुथा पुत्र भागीरथ मुथा, जितेंद्र लोढ़ा पुत्र शुबराज लोढा, सुनील मूंदड़ा पुत्र पूनमचंद मूंदड़ा, सुरेंद्र सिंह पुत्र मोहन सिंह कछवाहा, नरपत सिंह पुत्र राय सिंह रावणा राजपूत, देवी सिंह पुत्र राम सिंह, पूनम चंद पुत्र श्यामदास, कैप्टन रतन देवड़ा पुत्र भूराराम माली, श्रीमती सदानी पत्नी कन्हैयालाल साद, श्रीमती नैनी पत्नी राधेश्याम लखारा, रमेश सिंह पुत्र हरी सिंह राजपूत, राकेश कश्यप पुत्र शिवराज सिंह कश्यप, बाल किशन पुत्र रामलाल प्रजापत, सुरेश जैन पुत्र नेमीचंद, मुरलीधर बोहरा पुत्र हरिकिशन बोहरा, महेश चंद्र पुत्र मोतीलाल माली, को इस मामले में आरोपी बनाया गया है.

3 आरोपी पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष वह मामले में आरोपी प्रसन्न चंद मेहता ( वर्तमान में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष) राजसीको के पूर्व चेयरमैन और मामले में आरोपी मेघराज लोहिया (पिछली भाजपा सरकर में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त) और महेश चंद को धारा 41 का नोटिस तामिल नहीं करवाया जा सका है. थानाधिकारी ने कोर्ट के समक्ष कहा है कि जल्दी वे इन सब को भी नोटिस तामिल करवा कर जांच कर अनुसंधान रिपोर्ट पेश करेंगे.

3 माह बाद हुए चुनाव, तीनों सीटें मिली भाजपा को

इस घटना के 3 माह बाद ही दिसंबर में राज्य विधानसभा के चुनाव हुए, तो जोधपुर में इस प्रकरण की गूंज इतनी ही थी कि भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला और जोधपुर की तीनों विधानसभा सीटों पर पार्टी चुनाव जीत हासिल की. उस दौरान सरदारपुरा से राजेंद्र गहलोत जोधपुर शहर से सूर्यकांता व्यास और सूरसागर से मोहन मेघवाल चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

जोधपुर. 30 सितंबर 1993 के दिन जोधपुर कलेक्ट्रेट पर हुए बवाल के मामले में 27 साल बाद बुधवार को उदय मंदिर थाना पुलिस ने महानगर मजिस्ट्रेट संख्या 3 में चार्जशीट पेश की है. खास बात यह है कि इस दौरान तत्कालीन समय में इस मामले में बनाए गए आरोपी भी पेश हुए, जो अब काफी बूढ़े हो चुके हैं. उनकी हालत देखते हुए कोर्ट ने उन्हें जमानत भी दे दी है. 27 साल बाद भी पुलिस इस मामले में पूरी चार्जशीट पेश नहीं कर पाई है. 3 नाम सिर्फ आरोपियों को पुलिस इस अवधि में नोटिस तक तामिल नहीं करवा सकी है.

जोधपुर में 27 साल बाद पुलिस ने पेश की चार्ज शीट वह भी अधूरी

दरअसल जालोरी गेट पर 1993 में पहली बार भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना की गई थी, लेकिन इसके विसर्जन मांग को लेकर आयोजकों और पुलिस-प्रशासन के साथ विवाद हो गया. विवाद इतना तूल पकड़ा कि प्रशासन के निर्देश पर पुलिस ने 29 सितंबर को मूर्ति का खुद ही विसर्जन कर दिया. इससे लोग और भड़क गए. उस समय जोधपुर में संत रामसुखदास महाराज के प्रवचन चल रहे थे. वह इस घटना से बेहद आहत हुए. उन्होंने आह्वान किया कि वे इस घटना के विरोध में 30 सितंबर ज्ञापन देने जाएंगे. जोधपुर बन्द का भी आह्वान किया गया. स्वामी रामसुखदास महाराज के नेतृत्व में हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ कलेक्ट्रेट गेट पर जमा हो गई. भाजपा के नेता दामोदर भंग, राजेंद्र गहलोत, मेघराज लोहिया भी इस प्रदर्शन में शामिल थे.

यह भी पढ़ें- झालावाड़ ACB की कार्रवाई, पट्टे जारी करने की एवज में रिश्वत लेते ग्राम विकास अधिकारी सहित 4 गिरफ्तार

प्रदर्शन के दौरान कुछ लोग कलेक्ट्रेट परिसर में घुस गए. जिसके चलते अराजकता फैल गई. लोगों ने कलेक्ट्रेट परिसर में खड़ी एडीएम की जिप्सी को पलट दिया. कलेक्ट्रेट में जमकर तोड़फोड़ की, यहां तक एक अधिकारी को चूड़ियां तक पहना दी गई. इस तोड़फोड़ और लाठीचार्ज और पत्थरबाजी में दोनों पक्षों को चोट आई. इसके बाद में पुलिस ने उदय मंदिर थाने में करीब 50 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया, जिसकी जांच पिछले 27 सालों से लगातार चल रही थी, लेकिन किसी भी पुलिस अधिकारी ने इसे पूरा नहीं किया. बुधवार को जोधपुर महानगर मजिस्ट्रेट न्यायालय में उदय मंदिर एसएचओ राजेश यादव ने एक चार्जशीट पेश की है. हालांकि चार्जशीट में अभी भी कुछ लोगों को समन तामील होना नहीं बताया गया है. खास बात यह है कि जिन लोगों के नाम अभी भी समन तामील नहीं हुए वे जोधपुर के नामवर लोग है.

police presented charge sheet, Jodhpur news
मामले से जुड़ी एक पुरानी तस्वीर

जवानी में प्रदर्शन-बुढ़ापे में पेशी

1993 में जब प्रदर्शन हुआ था, तब इस मामले के सभी आरोपी युवा थे. पुलिस ने जो चार्जशीट पेश किए, उसमें 23 लोगों को आरोपी बनाया है. बुधवार को जो लोग कोर्ट में पेश हुए वह सब वृद्ध हो चुके हैं. कई लोगों के तो चलने में भी दिक्कत हो रही थी. इसके चलते कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है. पुलिस की जांच इतनी लंबी चली कि 6 आरोपी तो इस दुनिया से भी चल बसे, जिनमें मुरलीधर बोहरा, रमेश कुमार, पूनमचंद मूंदड़ा, प्रेम राज, कैप्टन रतनलाल और देवड़ा देवी सिंह शामिल है.

23 आरोपी बनाए गए, 3 को तामील नहीं हुए नोटिस

पुलिस द्वारा पेश हुए 4 सीट में कुल 23 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें भारतीय जनता पार्टी के पूर्व जिला अध्यक्ष प्रसन्ना चंद्र मेहता तथा राजसीको के पूर्व चेयरमैन मेघराज लोहिया, वीरेंद्र अवस्थी पुत्र सदानंद, राज बहादुर मिश्रा पुत्र गंगाराम मिश्रा, प्रेमराज सोनी पुत्र रामदयाल सोनी, गोविंद मेहता पुत्र मोहनलाल मेहता, ओम भूतड़ा पुत्र पन्नालाल भूतड़ा, घनश्याम मुथा पुत्र भागीरथ मुथा, जितेंद्र लोढ़ा पुत्र शुबराज लोढा, सुनील मूंदड़ा पुत्र पूनमचंद मूंदड़ा, सुरेंद्र सिंह पुत्र मोहन सिंह कछवाहा, नरपत सिंह पुत्र राय सिंह रावणा राजपूत, देवी सिंह पुत्र राम सिंह, पूनम चंद पुत्र श्यामदास, कैप्टन रतन देवड़ा पुत्र भूराराम माली, श्रीमती सदानी पत्नी कन्हैयालाल साद, श्रीमती नैनी पत्नी राधेश्याम लखारा, रमेश सिंह पुत्र हरी सिंह राजपूत, राकेश कश्यप पुत्र शिवराज सिंह कश्यप, बाल किशन पुत्र रामलाल प्रजापत, सुरेश जैन पुत्र नेमीचंद, मुरलीधर बोहरा पुत्र हरिकिशन बोहरा, महेश चंद्र पुत्र मोतीलाल माली, को इस मामले में आरोपी बनाया गया है.

3 आरोपी पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष वह मामले में आरोपी प्रसन्न चंद मेहता ( वर्तमान में प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष) राजसीको के पूर्व चेयरमैन और मामले में आरोपी मेघराज लोहिया (पिछली भाजपा सरकर में राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त) और महेश चंद को धारा 41 का नोटिस तामिल नहीं करवाया जा सका है. थानाधिकारी ने कोर्ट के समक्ष कहा है कि जल्दी वे इन सब को भी नोटिस तामिल करवा कर जांच कर अनुसंधान रिपोर्ट पेश करेंगे.

3 माह बाद हुए चुनाव, तीनों सीटें मिली भाजपा को

इस घटना के 3 माह बाद ही दिसंबर में राज्य विधानसभा के चुनाव हुए, तो जोधपुर में इस प्रकरण की गूंज इतनी ही थी कि भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड बहुमत मिला और जोधपुर की तीनों विधानसभा सीटों पर पार्टी चुनाव जीत हासिल की. उस दौरान सरदारपुरा से राजेंद्र गहलोत जोधपुर शहर से सूर्यकांता व्यास और सूरसागर से मोहन मेघवाल चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे.

Last Updated : Jan 21, 2021, 10:55 AM IST
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