जोधपुर. शहर में 2 नगर निगम बनने के बाद निर्वाचित बोर्ड बने अभी 10 दिन भी नहीं हुए हैं. इसी बीच नगर निगम दक्षिण की महापौर वनिता सेठ ने गहलोत सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है. केंद्र सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए राज्य के 3 शहरों के नगर निगम को 30 करोड़ रुपए आवंटित किए, जिसमें राज्य सरकार ने जोधपुर में नगर निगम उत्तर को नोडल एजेंसी बनाते हुए 10 करोड़ रुपए का पूरा बजट उन्हें जारी कर दिया.
महापौर वनिता सेठ का कहना है कि सर्वाधिक प्रदूषण से जुड़ी इकाइयां नगर निगम दक्षिण में है. उन्होंने बताया कि जोधपुर दक्षिण में मुख्य सड़कें, उद्योग और अस्पताल है, लेकिन इसके बावजूद राज्य सरकार ने जानबूझकर अपने नगर निगम को यह राशि जारी की है. महापौर ने आरोप लगाया कि अभी निगम बने हुए कुछ दिन ही हुए हैं और सरकार भेदभाव करना शुरू कर दिया है. महापौर ने कहा कि केंद्र सरकार ने अनुदान राशि जारी की तो यह नहीं देखा कि कांग्रेस की सरकार है या भाजपा की, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार भाजपा के बोर्डों के साथ भेदभाव कर रही है.
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राजनीतिक फायदे के लिए कई फैसलों को अटकाया...
जोधपुर नगर निगम के पूर्व महापौर घनश्याम ओझा ने कहा कि कांग्रेस सरकार जब सत्ता में आई थी तब भी राजनीतिक फायदे के लिए हमारे कई फैसलों का अटका दिया गया था. उन्होंने बताया कि अमृत योजना की आधी राशि हमने बताई थी, जिसे सरकार से वापस स्वीकृति के लिए भेजा था लेकिन सरकार ने उसे हटाए रखा है. सरकार 1 साल बाद अब उसे अपने बजट घोषणा में जारी किया है, जबकि यह राशि 1 साल पहले ही शहर पर खर्च हो जानी चाहिए थी. घनश्याम ओझा ने बताया कि सरकार राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा कर रही है.
गोकुल नगरिया उत्तर में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला है और यह शहर का बड़ा भीतरी क्षेत्र भी है. यहां 80 वार्डों में से 53 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी और इस क्षेत्र में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का विधानसभा सरदारपुरा और शहर जोधपुर से कांग्रेस की विधायक मनीषा पवार का क्षेत्र आता है. ऐसे में कांग्रेस की मजबूरी है कि नगर को विकसित करने के लिए ज्यादा अनुदान देगी, लेकिन ऐसे में नगर निगम दक्षिण की अनदेखी करना भी उचित नहीं होगा.