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जोधपुरः उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों का जिला रिशफल करने के निर्देश

राजस्थान उच्च न्यायालय ने अध्यापक ग्रेड तृतीय- 2018 के मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई के बाद उनको निस्तारित करते हुए निर्देश दिए कि सरकार उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल करें. न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने संजयकुमार, अरविंद शक्तावत और अन्य की याचिकाओं पर उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल का आदेश दिया है.

राजस्थान उच्च न्यायालय, Rajasthan High Court
राजस्थान उच्च न्यायालय
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Published : Mar 6, 2021, 10:53 PM IST

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने अध्यापक ग्रेड तृतीय- 2018 के मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई के बाद उनको निस्तारित करते हुए निर्देश दिए कि सरकार उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल करें.

न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने संजयकुमार, अरविंद शक्तावत और अन्य की याचिकाओं पर उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने पूर्व में जयपुर खंडपीठ की ओर से पूनम शर्मा के निर्णय का हवाला देते हुए उसकी पालना करने के निर्देश जारी किये हैं.

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सरकार की ओर से अधिवक्ता महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पक्ष रखा. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से टंवरसिंह राठौड, ओपी सांगवान सहित अन्य अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा. उन्होने कहा कि इससे पूर्व बीकानेर निदेशालय की ओर से उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों को दूरस्थ जिले आवंटित कर दिये थे और नवचयनित अभ्यर्थियों के निम्न मेरिट होने के बावजूद गृह जिले और निकटतम जिले आवंटित कर दिये थे, जिसे न्यायालय ने गलत ठहराया था.

जोधपुर. राजस्थान उच्च न्यायालय ने अध्यापक ग्रेड तृतीय- 2018 के मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई के बाद उनको निस्तारित करते हुए निर्देश दिए कि सरकार उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल करें.

न्यायाधीश दिनेश मेहता की अदालत ने संजयकुमार, अरविंद शक्तावत और अन्य की याचिकाओं पर उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों के जिला रिशफल का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने पूर्व में जयपुर खंडपीठ की ओर से पूनम शर्मा के निर्णय का हवाला देते हुए उसकी पालना करने के निर्देश जारी किये हैं.

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सरकार की ओर से अधिवक्ता महाधिवक्ता मनीष व्यास ने पक्ष रखा. वहीं, याचिकाकर्ताओं की ओर से टंवरसिंह राठौड, ओपी सांगवान सहित अन्य अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा. उन्होने कहा कि इससे पूर्व बीकानेर निदेशालय की ओर से उच्च मेरिट वाले अभ्यर्थियों को दूरस्थ जिले आवंटित कर दिये थे और नवचयनित अभ्यर्थियों के निम्न मेरिट होने के बावजूद गृह जिले और निकटतम जिले आवंटित कर दिये थे, जिसे न्यायालय ने गलत ठहराया था.

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