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हाईकोर्ट का आदेश, स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड फिर से जांचे नि:शक्तता

राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती मामले में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड को फिर से याचिकाकर्ताओं की नि:शक्तता की जांच करने को कहा है.

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हाईकोर्ट का आदेश
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Published : Mar 7, 2020, 8:08 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती मामले में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड को फिर से याचिकाकर्ताओं की नि:शक्तता की जांच करने को कहा है. हाईकोर्ट ने इससे पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

जवाब सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नि:शक्तजनों के पक्ष में आदेश देते हुए डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्राचार्य को मेडिकल बोर्ड गठित कर इनकी फिर से मेडिकल जांच करने के निर्देश दिए है. हाईकोर्ट के आदेश पर 18 मार्च को सुबह 11 बजे मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर में याचिकाकर्ताओं की मेडिकल जांच होगी. वहीं इसके बाद 30 मार्च को इन याचिकाओं पर पुन: सुनवाई होगी.

पढ़ेंः विधानसभा में पास हुआ अधिवक्ता निधि संशोधन विधयेक 2020 , वकीलों ने किया स्वागत

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता केसी चौधरी, यशपाल खिलेरी, रजाक के. हैदर, टंवरसिंह राठौड़, हनुमानसिंह चौधरी, एच.एस. सिद्धु, महावीर विश्नोई, कैलाश जांगिड़ ने पैरवी की। वहीं रजत अरोड़ा ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का पक्ष रखा।

यह था मामला-

बीकानेर जिले के रामलाल नायक की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक के. हैदर और पंकज साईं ने रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि विभाग ने एक पैर से 40 प्रतिशत और उससे अधिक नि:शक्त अभ्यर्थी को पात्र बताया है. लेकिन दूसरी तरफ विभाग ने सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी 45 प्रतिशत नि:शक्तता के प्रमाण-पत्र को दरकिनार कर उसमें अन्य प्रकार की नि:शक्तता बताते हुए उसकी अभ्यर्थना रद्द कर दी है. जबकि इसी प्रमाण-पत्र के आधार पर इसी विभाग ने वर्ष 2013 में उसे जीएनएम पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया था.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्स ग्रेड द्वितीय भर्ती मामले में दायर रिट याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को राहत देते हुए स्वतंत्र मेडिकल बोर्ड को फिर से याचिकाकर्ताओं की नि:शक्तता की जांच करने को कहा है. हाईकोर्ट ने इससे पहले चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव और अतिरिक्त निदेशक (प्रशासन) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

जवाब सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता नि:शक्तजनों के पक्ष में आदेश देते हुए डॉ एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर के प्राचार्य को मेडिकल बोर्ड गठित कर इनकी फिर से मेडिकल जांच करने के निर्देश दिए है. हाईकोर्ट के आदेश पर 18 मार्च को सुबह 11 बजे मथुरादास माथुर अस्पताल जोधपुर में याचिकाकर्ताओं की मेडिकल जांच होगी. वहीं इसके बाद 30 मार्च को इन याचिकाओं पर पुन: सुनवाई होगी.

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याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता केसी चौधरी, यशपाल खिलेरी, रजाक के. हैदर, टंवरसिंह राठौड़, हनुमानसिंह चौधरी, एच.एस. सिद्धु, महावीर विश्नोई, कैलाश जांगिड़ ने पैरवी की। वहीं रजत अरोड़ा ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग का पक्ष रखा।

यह था मामला-

बीकानेर जिले के रामलाल नायक की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता रजाक के. हैदर और पंकज साईं ने रिट याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि विभाग ने एक पैर से 40 प्रतिशत और उससे अधिक नि:शक्त अभ्यर्थी को पात्र बताया है. लेकिन दूसरी तरफ विभाग ने सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी 45 प्रतिशत नि:शक्तता के प्रमाण-पत्र को दरकिनार कर उसमें अन्य प्रकार की नि:शक्तता बताते हुए उसकी अभ्यर्थना रद्द कर दी है. जबकि इसी प्रमाण-पत्र के आधार पर इसी विभाग ने वर्ष 2013 में उसे जीएनएम पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया था.

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