जोधपुर. प्रदेश के सभी जेल में सश्रम कारावास की सजा काट रहे कैदियों को न्यायोचित मजदूरी निर्धारित करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में एक कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं. जोधपुर जेल में बंद कैदी इंद्रजीत सिंह ने 8 दिसंबर 2018 को कैदियों को काम के बदले दी जाने वाली मजदूरी को पुनर्निर्धारित नहीं करने के संबंध में प्रार्थना पत्र लिखा था.
कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया. पत्र में सश्रम कारावास की सजा काटने वाले बंदी और अन्य वर्ग के कैटेगरी के बंदियों की मजदूरी को 17 मार्च 2015 को आदेश जारी कर संशोधित किया था, जबकि इसके बाद राज्य सरकार ने समय-समय पर अकुशल, कुशल और अति कुशल कर्मचारियों की मजदूरी को 17 दिसंबर 2015, 5 जुलाई 2016 और 16 जनवरी 2018 को नोटिफिकेशन जारी कर संशोधित कर चुकी है.
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बंदियों की मजदूरी को संशोधित नहीं किया गया है और 17 मार्च 2015 के अनुसार ही भुगतान किया जा रहा है. सरकार की ओर से कहा गया, कि श्रम विभाग की ओर कुशल और अकुशल श्रमिकों की मजदूरी को संशोधित किया था. वह बंदियों पर लागू नहीं हो सकती है. कुशल और अकुशल श्रेणी में बंदियों को 209 रुपए और 189 रुपए मजदूरी के रूप में राज्य सरकार ने निर्धारित किए हैं. इसमें 59 रुपए भोजन, कपड़े और अन्य खर्च के पेटे कटौती कर ली जाती है.
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कोर्ट ने सभी पक्ष सुनने के बाद कैदियों को न्यायोचित मजदूरी निर्धारित करने के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो सप्ताह में एक कमेटी बनाने के आदेश दिए हैं. यह कमेटी गुजरात के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के अनुरूप विभिन्न काम के लिए बंदियों को भुगतान की जाने वाली मजदूरी को संशोधित करने की अनुशंसा करेगी. कमेटी गठन के दो महीने के अंदर यह अनुशंसा करनी होगी. कमेटी द्वारा की गई अनुशंसा पर राज्य सरकार द्वारा अगले चार सप्ताह में निर्णय किया जाएगा. अगले तीन महीने में पालना रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए है. पालना रिपोर्ट के लिए अगली सुनवाई 4 जनवरी को मुकर्रर की है.