जोधपुर. सुपारी लेने के बाद भी हार्डकोर अपराधी कैलाश मांजू की हत्या नहीं हुई इससे शहर में होने वाला गैंगवार तो टल गया, लेकिन अब जोधपुर जेल में गैंगवार होने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है. क्योंकि मांजू की सुपारी देने वाले सभी हिस्ट्रीशीटर और बदमाश पुलिस की गिरफ्त में आ रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर इस महीने के अंत तक कैलाश मांजू भी पैरोल खत्म कर जेल पहुंच जाएगा.
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इसके बाद एक दूसरे के जानी दुश्मन दोनों बदमाश नांदिया और मांजू गैंग जेल में आमने-सामने होंगे. कैलाश मांजू के कई गुर्गे पहले से ही जोधपुर जेल में है जबकि विक्रम सिंह, उसका साथी हिस्ट्रीशीटर दिनेश भंभाणी, सुभाष कडवासडा उर्फ बाहुबली मनोहर सिंह गिरफ्तार हो चुके हैं. वहीं, लवजीत सिंह और अन्य को अगले एक-दो दिनों में पुलिस पकड़ने की तैयारी में है.
ऐसी स्थिति में जेल में बदमाशों की भिड़ंत तय मानी जा रही है. दबी जुबान में पुलिस के अधिकारी भी यह बात कर रहे हैं कि जब सब अंदर होंगे तो क्या होगा? अभी विक्रम सिंह और उसका साथी पुलिस रिमांड पर चल रहा है और जल्दी ही एक और आरोपी लवजीत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उन्हें जेल भेजा जा सकता है.
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कैलाश मांजू 60 लाख रुपए दिनेश मुंबई में मांगता है, जिसको लेकर दोनों के बीच रंजिश चल रही है. विक्रम सिंह नांदिया दिनेश को सहायता करता है, ऐसे में मांजू की उससे भी रंजिश हो गई. यही कारण है कि इस वर्ष शिवरात्रि पर जेल में बैठे कैलाश मांजू के इशारे पर उसके लोगों ने विक्रम सिंह को मारने के लिए हमला किया, लेकिन विक्रम सिंह बच गया.
इसलिए जब कैलाश मांजू पिछले महीने पैरोल पर बाहर आया तो विक्रम सिंह और दिनेश ने मिलकर मांजू को मारने की सुपारी भीलवाड़ा कांस्टेबल हत्याकांड के मुख्य आरोपी राजू फौजी को दी. लेकिन फौजी का एक गुर्गा पुलिस की गिरफ्त में आ जाने से फौजी ने सुपारी की राशि वापस पहुंचा दी.
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कैलाश मांजू के ज्यादातर गुर्गे अभी जोधपुर जेल में ही हैं, उसे जेल में अपने आदमियों के अलावा लॉरेंस के गुर्गे भी सपोर्ट करेंगे. ऐसे में विक्रम नांदिया और उसके गुर्गों का जेल में दिन निकालना आसान नहीं होगा क्योंकि सुपारी देकर हत्या करवाने की बात अब जगजाहिर हो चुकी है. ऐसे में दोनों गैंग के बीच जेल में गैंगवार की आशंका बढ़ जाती है.
देश की सुरक्षा जेलों में जोधपुर जेल की गिनती होती है, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं भी बहुत लचर है. जेल में मोबाइल फोन मिलना आम बात है, जिसके चलते अपराधी जेल से बैठे अपना नेटवर्क चला रहे हैं. लेकिन उससे बड़ी घटना भी वर्ष 2010 में यहां हो चुकी है. जब 18 सितंबर को जोधपुर जेल के जेलर भारत भूषण भट्ट की हत्या एक कैदी नरेंद्र जाट ने कर दी थी. उस समय से ही जोधपुर जेल में कुख्यात तस्कर कैलाश मांजू का दबदबा रहा है.
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यूं तो जोधपुर जेल में अलग-अलग बैरक बना कर बदमाशों को रखा जाता है, लेकिन अभी भी हर बैरक पर बदमाशों का कब्जा हो रखा है. वे अपनी मर्जी से वहां शासन चलाते हैं. इनमें ज्यादातर NDPS एक्ट में बंद तस्कर हैं, जो लंबी अवधि की सजा काट रहे हैं, जिनके कई फोटो और वीडियो पहले भी सामने आ चुके हैं. उनके बैरक में जेल के प्रहरी भी घुसने से पहले कई बार सोचते हैं. बताया जा रहा है कि उन सभी तस्करों पर कैलाश मांजू का हाथ है.