जोधपुर. राज्य सरकार की ओर से देवस्थान विभाग की सम्पत्तियों को लेकर लागू की गई नई किराया नीति को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. चुनौती देने वाली याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने नई किराया नीति को लेकर राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब-तलब किया है.
साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि जब तक याचिका पर निर्णय नहीं हो जाता तब तक नई किराया नीति से ही किराया जमा करवाना होगा. न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की अदालत में लक्ष्मी चंद की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका में बताया गया कि राज्य सरकार ने नई किराया नीति 1 अप्रैल 2021 से लागू की है.
नई किराया नीति के तहत किराया लगभग 30 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि किराये में यह बढ़ोतरी अनुचित है. किराया कानून में भी हर वर्ष 5 प्रतिशत तक ही किराया बढ़ाया जाता है. ऐसे में नई किराया नीति को चुनौती दी गई.
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष व्यास ने नोटिस स्वीकार करते हुए कहा कि नई किराया नीति तय करने से पहले सभी पहलुओं पर विचार किया गया था. किरायेदारों के साथ भी देवस्थान विभाग ने बैठक की थी. इसके बाद नई किराया नीति तैयार कर कैबिनेट कमेटी के समक्ष भेजी गई और लागू किया गया.
सरकार पक्ष के वकील ने कहा कि बढ़ाया गया किराया व्यवहारिक है. इस पर न्यायालय ने याचिका पर अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को मुकरर्र करते हुए कहा कि जब तक निर्णय नहीं हो तब तक नई किराया नीति से ही किराया वसूला जायेगा. निर्णय होने पर किराया तय किया जायेगा.