जोधपुर. जोधपुर दौरे के दूसरे दिन सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot In Jodhpur) आज बीएसएफ की पासिंग आउट परेड का हिस्सा (BSF passing out Parade in Jodhpur) बने. उन्होंने अपने संबोधन में इस अर्द्धसैनिक बल को देश के लिए अहम बताया.बीएसएफ स्टाफ ट्रेनिंग सेंटर के चंदन सिंह चंदेल स्टेडियम में शनिवार को बैच संख्या 241 व 242 के नवारक्षकों की पासिंग आउट परेड सम्पन्न हुई. इस समारोह में प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत शामिल हुए और उन्होंने परेड की सैल्युट ली (CM Ashok Gehlot took Salute of BSF passing out Parade). कुल 404 जवान बीएसएफ के बेड़े में शामिल हुए हैं.
इस मौके पर मुख्यमंत्री गहलोत ने नवारक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे विश्वास है कि आप देश की सरहद को सुरक्षित रखेंगे. गहलोत ने सेना की तारीफ की और कहा की बीएसएफ ने देश सेवा के लिए जो भी निर्णय लिए हैं वो स्वागत योग्य है. उन्होंने बीएसएफ की अहमियत बयां की. कहा- ये ऐसा अर्द्ध सैनिक बल है जो जल, थल और नभ में अपनी सार्थकता रखता है. मुख्यमंत्री ने कहा की बीएसएफ, सीमा के साथ-साथ आंतरिक सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
सीएम ने कहा ये सुखद है कि अब महिलाएं भी इस बल में शामिल होने लगी हैं. इस दौरान एसटीसी के आईजी मदन सिंह ने मुख्यमंत्री से बीएसएफ के आवासीय कॉलोनी विकसित करने के लिए जगह देने की मांग की. जिसे पूरा करने की वादा सीएम ने किया. मुख्यमंत्री ने ट्रेनिग के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करने वाले जवानों को मेडल प्रदान किए. समारोह में विधायक मनीषा पंवार, पशुधन विकास बोर्ड अध्यक्ष राजेंद्र सिंह सोलंकी, महापौर कुंती देवड़ा सहित बीएसएफ के महानिरीक्षक, प्रशिक्षण अधिकारी एव जिला प्रशासन के आला अधिकारी मौजूद रहे.
वहीं, पासिंग आउट परेड में जवानों ने अपने शौर्य का दमखम दिखाया. परेड के बाद चंदन सिंह चंदेल स्टेडियम में जवानों ने हथियार संचालन और शारीरिक शौर्य का प्रदर्शन किया. परंड ग्राउंट पर जवानों ने युद्ध और अशांति की स्थिति में एक हाथ में गोली लगने की स्थिति में केवल एक ही हाथ से मशीन गन ऑपरेटिंग के लिए प्रशिक्षण का परिणाम दिखाया. महज बीस सेकेंड में हथियार ऑपरेट करने का प्रदर्शन किया गया. इसके बाद जवानों ने शारीरिक दमखम दिखाते हुए हैरतअंगेज प्रदर्शन किया. जोधपुर स्टाफ ट्रेनिंग सेंटर में पूरे भारत वर्ष से बीएसएफ के लिए रिक्रूट होने वाले जवानों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है. यहां पर 44 सप्ताह के प्रशिक्षण के दौरान उन्हें युद्धकाल और शांतिकाल में एक अर्द्ध सैनिक बल की भूमिका के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. जिसमें हथियार चलाने से लेकर आंतकवादियों से लोहा लेना और अशांत क्षेत्रों में किस तरह से जनता के साथ संतुलन बनाया जाता है, उसके लिए प्रशिक्षित किया जाता है.