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जोधपुर: नुक्कड़ नाटक के जरिये आत्महत्या नहीं करने के लिए जागरूक किया गया - Aware of not committing suicide

जोधपुर जिले के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने एक नई पहल की शुरुआत की. देश में लगातार आत्महत्या की घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के उद्देश्य से एक नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. यह नाटक 'सुसाइड प्रिवेंशन कैम्पेन' के तहत हुई.

जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, Jai Narayan Vyas University
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Published : Sep 17, 2019, 1:49 AM IST

जोधपुर. जिले के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने एक नई पहल की शुरुआत की. देश में लगातार आत्महत्या की घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए आमजन में इसके प्रति एक नई जागरूकता लाने के उद्देश्य से नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. यह नाटक 'सुसाइड प्रिवेंशन कैम्पेन' के तहत हुई. यह नुक्कड़ नाटक 'डियर जिंदगी' के नाम से हुई.

आत्महत्या नहीं करने को लेकर नाटक से किया जागरुक

जहां केंद्र और राज्य की सरकारों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठन और एनजीओ भी लगातार आंकड़ों को कम करने के प्रयासरत हैं. उसी कड़ी में अब विद्यार्थी वर्ग भी अपने युवा जोश के साथ जुड़ रहा है. जहां व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक के द्वारा आत्महत्या की घटनाओं के आंकड़ों को कम करने और तनावग्रस्त व्यक्ति के तनाव कम करने के मनोवैज्ञानिक उपायों को कला मंचन के द्वारा प्रदर्शित किया.

पढ़ें- लोकसभा स्पीकर ने नाव से किया बाढ़ प्रभावित इलाके का दौरा, कहा- एक व्यक्ति एक परिवार योजना से करेंगे बाढ़ पीड़ितों की मदद

मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एल.एन बुनकर ने बताया कि जहा आज के समय का युवा स्ट्रेस को बर्दाश्त नहीं कर पाता है और उसी कारण वह अप्रिय घटना कर बैठता है. जहां जरूरत होती है, उनकी परिस्थिति को पुनः अनुकूल करने की. जिसमें मनोविज्ञानिकों की भूमिका को इस नुक्कड़ नाटक के द्वारा बताया गया.

पढ़ें- पिछली सरकार ने चुनाव जीतने के लिए पैसा उड़ाया, इसलिए प्रदेश की आर्थिक हालत कमजोर : सीएम गहलोत

विभाग की सहायक आचार्य ड़ॉ. हेमलता जोशी ने बताया कि सुसाइड की अधिकांश घटनाओं में अत्यधिक मामले युवाओं के सामने आ रहे हैं. जिसमें ज्यादा मामले शिक्षा क्षेत्र में हताशा और पारिवारिक कारण के होते है. ऐसे मामलों में एक मनोचिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. कार्यक्रम में प्रो.विमला वर्मा, ड़ॉ. अर्पिता कक्कड़ ने विद्यार्थियों को विभाग की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया. वहीं, नुक्कड़ नाटक में मुख्य किरदार में जया, भाग्यश्री, ज्योति, पूर्वा, पूजा, दक्षिता, मनीषा, नगमा और वंदना ने भाग लिया.

जोधपुर. जिले के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने एक नई पहल की शुरुआत की. देश में लगातार आत्महत्या की घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए आमजन में इसके प्रति एक नई जागरूकता लाने के उद्देश्य से नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया. यह नाटक 'सुसाइड प्रिवेंशन कैम्पेन' के तहत हुई. यह नुक्कड़ नाटक 'डियर जिंदगी' के नाम से हुई.

आत्महत्या नहीं करने को लेकर नाटक से किया जागरुक

जहां केंद्र और राज्य की सरकारों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठन और एनजीओ भी लगातार आंकड़ों को कम करने के प्रयासरत हैं. उसी कड़ी में अब विद्यार्थी वर्ग भी अपने युवा जोश के साथ जुड़ रहा है. जहां व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक के द्वारा आत्महत्या की घटनाओं के आंकड़ों को कम करने और तनावग्रस्त व्यक्ति के तनाव कम करने के मनोवैज्ञानिक उपायों को कला मंचन के द्वारा प्रदर्शित किया.

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मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एल.एन बुनकर ने बताया कि जहा आज के समय का युवा स्ट्रेस को बर्दाश्त नहीं कर पाता है और उसी कारण वह अप्रिय घटना कर बैठता है. जहां जरूरत होती है, उनकी परिस्थिति को पुनः अनुकूल करने की. जिसमें मनोविज्ञानिकों की भूमिका को इस नुक्कड़ नाटक के द्वारा बताया गया.

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विभाग की सहायक आचार्य ड़ॉ. हेमलता जोशी ने बताया कि सुसाइड की अधिकांश घटनाओं में अत्यधिक मामले युवाओं के सामने आ रहे हैं. जिसमें ज्यादा मामले शिक्षा क्षेत्र में हताशा और पारिवारिक कारण के होते है. ऐसे मामलों में एक मनोचिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. कार्यक्रम में प्रो.विमला वर्मा, ड़ॉ. अर्पिता कक्कड़ ने विद्यार्थियों को विभाग की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किया. वहीं, नुक्कड़ नाटक में मुख्य किरदार में जया, भाग्यश्री, ज्योति, पूर्वा, पूजा, दक्षिता, मनीषा, नगमा और वंदना ने भाग लिया.

Intro:जोधपुर
जोधपुर के जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के विद्यार्थियों ने एक नई पहल करते हुए देश में लगातार सुसाइड की घटनाओं के बढ़ते आंकड़ों को कम करने के लिए आमजन में इसके प्रति एक नई जागरूकता लाने के उद्देश्य से सोमवार को नया परिसर भाषा प्रकोष्ठ के बाहर 'सुसाइड प्रिवेंशन कैम्पेन' के तहत 'डियर जिंदगी' नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया जहा केंद्र व राज्यो की सरकारों के साथ विभिन्न सामाजिक संगठन व एनजीओ भी लगातार आंकड़ों को कम करने के प्रयासरत हैं उसी कड़ी में अब विद्यार्थी वर्ग भी अपने युवा जोश के साथ जुड़ रहा है जहां व्यास विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने नुक्कड़ नाटक के द्वारा सुसाइड की घटनाओं के आंकड़ों को कम करने व तनावग्रस्त व्यक्ति के तनाव कम करने के मनोवैज्ञानिक उपायों को कला मंचन के द्वारा प्रदर्शित किया मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर एल.एन बुनकर ने बताया कि जहा आज के समय का युवा स्ट्रेस को बर्दाश्त नही कर पाता ओर उसी कारण वह अप्रिय घटना कर बैठता है जहाँ जरूरत होती है उनकी परिस्थिति को पुनः अनुकूल करने की जिसमे मनोविज्ञानिकों की भूमिका कितनी उपयोगी होती है वह इस नुक्कड़ नाटक के द्वारा बताया गया है Body:विभाग की सहायक आचार्य ड़ॉ. हेमलता जोशी ने बताया कि सुसाइड की अधिकांश घटनाओं में अत्यधिक मामले युवाओं के सामने आ रहे हैं जिसमें ज्यादा मामले शिक्षा क्षेत्र में हताशा व पारिवारिक कारण अत्यधिक होते हैं जहा एक ऐसे मामलों में एक मनोचिकित्सक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है जो विभाग में प्रदेश के पहले जीवन परामर्शन केंद्र में भी ऐसे मामलों की काउंसलिंग व उपचार के लिए विभाग की ओर से व्यापक व्यवस्थाएं भी की गई है। कार्यक्रम में प्रो.विमला वर्मा,ड़ॉ. अर्पिता कक्कड़ ने भी विद्यार्थियों को विभाग की ओर से स्मृति चिन्ह प्रादन किया। नुक्कड़ नाटक में विद्यार्थियों में मुख्य किरदार में जया, भाग्यश्री, ज्योति,पूर्वा, पूजा, दक्षिता, मनीषा, नगमा,वंदना ने भाग लिया।Conclusion:बाईट डॉ हेमलता जोशी प्राचार्य
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