जोधपुर. राज्य सरकार ने निर्णय लिया है की जोधपुर संभाग में कोरोना के जितने मरीज है उनका उपचार जोधपुर एम्स में किया जाएगा. लेकिन, जोधपुर एम्स में ऐसे मरीजों के उपचार से किनारा किया जा रहा है. जोधपुर शहर में हॉटस्पॉट इलाके में रहते हैं उन्हें साफ तौर से इमरजेंसी में इलाज देने से इंकार कर दिया जाता है. एम्स की इसी नीति का शिकार एम्स का ही एक नर्सिंग कर्मी हो गया. जिसके चलते उसे अपनी पत्नी का गर्भपात करवाना पड़ा.
दरअसल एम्स में सीनियर नर्सिंग ऑफिसर के पद पर कार्यरत नरेश स्वामी की पत्नी 3 माह के गर्भ से थी.17 मई को अपनी पत्नि की तबीयत तबीयत बिगड़ने पर एम्स पहुंचा. यहां गायनिक विभाग की डॉक्टर ने कहा कि आप हॉटस्पॉट क्षेत्र में रहते हैं ऐसे में मैं आपकी पत्नि का उपचार नहीं कर सकती. बाहर जाकर सोनोग्राफी करवाओ और मुझसे फोन पर बात कर लेना. कर्मचारी नरेश ने डॉक्टर से कहा कि की वह यहीं का कर्मचारी है. लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हुई. एम्स के बाहर भी उसे उपचार प्राप्त करने में समय लग गया.
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आखिरकार उसकी पत्नी का निजी अस्पताल में गर्भपात करवाना पड़ा. नरेश ने बताया कि एम्स के कर्मचारियों की अगर ये स्थिति है तो बाहर से आने वाले मरीजों के साथ क्या होता होगा. जबकि सरकार ने तय कर रखा है की किसी भी मरीज को उपचार से वंचित नहीं किया जा सकता. नरेश ने कहा कि डॉक्टर चाहते तो पर्सनल प्रोटेक्ट किट का इस्तेमाल कर मेरी पत्नी की जांच कर लेते. लेकिन, ऐसा नही किया. नरेश ने अपनी पूरी पीड़ा एम्स के निदेशक को एक पत्र लिखकर बताई है. हालांकि उस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है. इधर जोधपुर एम्स की नर्सिंग एसोसिएशन नोवा ने भी एम्स प्रबंधन से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. जोधपुर एम्स की ओर से इस प्रकरण को लेकर किसी ने आधिकारिक वक्तव्य नहीं दिया है.