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विश्व दिव्यांग दिवस: दिव्यांग खिलाड़ियों ने जीते कई नेशनल मेडल...लेकिन सरकार ने नहीं दी स्कॉलरशिप

जयपुर के दिव्यांग खिलाड़ी चंदन और रमेश अपने हौसलों के दम पर अपना दम दिखा रहे हैं. इन दोनों खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान साबित कर जयपुर का नाम रोशन किया है. लेकिन दिव्यांग खिलाड़ियों पर सरकार की बेरुखी दिख रही है. देखिए जयपुर से विश्व दिव्यांग दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट...

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दिव्यांग खिलाड़ियों ने जीते कई नेशनल मेडल...लेकिन सरकार ने नहीं दी स्कॉलरशिप
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Published : Dec 3, 2019, 6:53 PM IST

जयपुर. जिसे लोग शारीरिक कमी बताते है, उस कमी को हौसलों से पूरा किया जा सकता है..और इसको साबित किया है जयपुर के रहने वाले चंदन वर्मा और रमेश चंद यादव ने एक खिलाड़ी के रूप में..विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर आपको दिव्यांग खिलाड़ियों के जुनून की ऐसी ही कहानी बताएंगे..जो तमाम उन युवाओं के लिए मिसाल हैं जो सब कुछ होते हुए भी स्पोर्ट्स में रुचि नहीं दिखाते हैं.

विश्व दिव्यांग दिवस: दिव्यांग खिलाड़ियों ने जीते कई नेशनल मेडल...लेकिन सरकार ने नहीं दी स्कॉलरशिप

सेरेब्रल पॉलसी बीमारी से पीड़ित 25 वर्षीय चंदन वर्मा
राजधानी जयपुर के रहने वाले 25 वर्षीय चंदन वर्मा इंटरनेशनल दिव्यांग खिलाड़ी है. जिन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल में कई पुरस्कार और मेडल अपने नाम किए है. चंदन वर्मा रेस, बैडमिंटन, क्रिकेट जैसे खेलों में हिस्सा ले चुके है. चंदन बचपन से सेरेब्रल पॉलसी बीमारी से पीड़ित है. 5 साल की उम्र तक चंदन चल फिर भी नहीं पाते थे. वही 4 साल की उम्र में ही चंदन के पिता का निधन हो गया था.

पढ़ें- Special: सरकार सिर्फ एक दिन ही करती है हमें याद, फिर तो अपने भरोसे हमारा सफर और जिंदगी : दिव्यांग Player

15 नेशनल और 5 राज्य स्तरीय मेडल जीते
लेकिन आज चंदन ने पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी गुलाबी नगरी का नाम रोशन किया है. चंदन ने अब तक 15 नेशनल और 5 राज्य स्तरीय मेडल हासिल किए है. चंदन ने बताया कि घर के पास खेल मैदान में दोस्तों को छक्के चौके लगाते देखा, तो मन में ठान लिया कि एक दिन देश के लिए खेलना है. चंदन ने एक साल तक दूसरों को देखकर खेल की बारीकियों को सीखा. मेहनत रंग लाई और डिस्ट्रिक्ट, स्टेट, नेशनल सब जगह परचम लहराया.

पढ़ें- Special: एक दिव्यांग में गजब का जज्बा, दोनों हाथ नहीं होने पर पैरों से कर रहा कमाल

बिना कोच की सहायता से हासिल किए मेडल
चंदन ने बताया कि परिवार की गरीबी के चलते हैं उन्होंने कभी कोच की सहायता नहीं ली बल्कि खुद के बलबूते पर ये सभी मेडल को हासिल किया है. चंदन ने बताया कि वे बच्चों को मोटीवेट स्पीच भी देते है ताकि ओर भी बच्चें खेल में रुचि बढ़ाएं. चंदन का कहना है कि जब वो दिव्यांग होकर मेडल जीत सकते है तो सामान्य बच्चे क्यों नहीं जीत सकते.

पढ़ें- विश्व विकलांग दिवस: भरतपुर की ये संस्थान 38 सालों से दे रही सहारा, पौने दो लाख दिव्यांगों को दिए कृत्रिम अंग​​​​​​​

रमेश चंद यादव ने भी नाम किया रोशन
उधर, 27 वर्षीय रमेश चंद यादव भी इसी बीमारी से पीड़ित है. रमेश ने भी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल हासिल किये है. रमेश ने बताया कि चंदन को देखकर ही खेलने की ललक बढ़ी और उसके मार्गदर्शन में ही कई मैडल हासिल किए है. रमेश ने 2016 से पैरा एथलेटिक में भाग ले रहे है. वहीं अब तक 9 राष्ट्रीय स्तर के मेडल और 4 राज्य स्तर पर मेडल जीत चुके हैं.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर अशोक गहलोत ने की दिव्यांग बच्चों से मुलाकात​​​​​​​

दिव्यांग खिलाड़ियों पर सरकार की बेरुखी
चंदन और रमेश ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनेकों मेडल जीतकर राजधानी का नाम तो रोशन किया है. लेकिन इन दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि सरकार ने अभी तक स्कॉलरशिप नहीं दी है, बल्कि नेशनल खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा स्कॉलरशिप दी जाती रही है. दोनों खिलाड़ियों ने कई बार सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन सरकार की बेरुखी इन दिव्यांग खिलाड़ियों को मायूस कर देती है.

जयपुर. जिसे लोग शारीरिक कमी बताते है, उस कमी को हौसलों से पूरा किया जा सकता है..और इसको साबित किया है जयपुर के रहने वाले चंदन वर्मा और रमेश चंद यादव ने एक खिलाड़ी के रूप में..विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर आपको दिव्यांग खिलाड़ियों के जुनून की ऐसी ही कहानी बताएंगे..जो तमाम उन युवाओं के लिए मिसाल हैं जो सब कुछ होते हुए भी स्पोर्ट्स में रुचि नहीं दिखाते हैं.

विश्व दिव्यांग दिवस: दिव्यांग खिलाड़ियों ने जीते कई नेशनल मेडल...लेकिन सरकार ने नहीं दी स्कॉलरशिप

सेरेब्रल पॉलसी बीमारी से पीड़ित 25 वर्षीय चंदन वर्मा
राजधानी जयपुर के रहने वाले 25 वर्षीय चंदन वर्मा इंटरनेशनल दिव्यांग खिलाड़ी है. जिन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल में कई पुरस्कार और मेडल अपने नाम किए है. चंदन वर्मा रेस, बैडमिंटन, क्रिकेट जैसे खेलों में हिस्सा ले चुके है. चंदन बचपन से सेरेब्रल पॉलसी बीमारी से पीड़ित है. 5 साल की उम्र तक चंदन चल फिर भी नहीं पाते थे. वही 4 साल की उम्र में ही चंदन के पिता का निधन हो गया था.

पढ़ें- Special: सरकार सिर्फ एक दिन ही करती है हमें याद, फिर तो अपने भरोसे हमारा सफर और जिंदगी : दिव्यांग Player

15 नेशनल और 5 राज्य स्तरीय मेडल जीते
लेकिन आज चंदन ने पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी गुलाबी नगरी का नाम रोशन किया है. चंदन ने अब तक 15 नेशनल और 5 राज्य स्तरीय मेडल हासिल किए है. चंदन ने बताया कि घर के पास खेल मैदान में दोस्तों को छक्के चौके लगाते देखा, तो मन में ठान लिया कि एक दिन देश के लिए खेलना है. चंदन ने एक साल तक दूसरों को देखकर खेल की बारीकियों को सीखा. मेहनत रंग लाई और डिस्ट्रिक्ट, स्टेट, नेशनल सब जगह परचम लहराया.

पढ़ें- Special: एक दिव्यांग में गजब का जज्बा, दोनों हाथ नहीं होने पर पैरों से कर रहा कमाल

बिना कोच की सहायता से हासिल किए मेडल
चंदन ने बताया कि परिवार की गरीबी के चलते हैं उन्होंने कभी कोच की सहायता नहीं ली बल्कि खुद के बलबूते पर ये सभी मेडल को हासिल किया है. चंदन ने बताया कि वे बच्चों को मोटीवेट स्पीच भी देते है ताकि ओर भी बच्चें खेल में रुचि बढ़ाएं. चंदन का कहना है कि जब वो दिव्यांग होकर मेडल जीत सकते है तो सामान्य बच्चे क्यों नहीं जीत सकते.

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रमेश चंद यादव ने भी नाम किया रोशन
उधर, 27 वर्षीय रमेश चंद यादव भी इसी बीमारी से पीड़ित है. रमेश ने भी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल हासिल किये है. रमेश ने बताया कि चंदन को देखकर ही खेलने की ललक बढ़ी और उसके मार्गदर्शन में ही कई मैडल हासिल किए है. रमेश ने 2016 से पैरा एथलेटिक में भाग ले रहे है. वहीं अब तक 9 राष्ट्रीय स्तर के मेडल और 4 राज्य स्तर पर मेडल जीत चुके हैं.

पढ़ें- अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर अशोक गहलोत ने की दिव्यांग बच्चों से मुलाकात​​​​​​​

दिव्यांग खिलाड़ियों पर सरकार की बेरुखी
चंदन और रमेश ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनेकों मेडल जीतकर राजधानी का नाम तो रोशन किया है. लेकिन इन दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला. दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि सरकार ने अभी तक स्कॉलरशिप नहीं दी है, बल्कि नेशनल खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा स्कॉलरशिप दी जाती रही है. दोनों खिलाड़ियों ने कई बार सरकार को पत्र लिखा है, लेकिन सरकार की बेरुखी इन दिव्यांग खिलाड़ियों को मायूस कर देती है.

Intro:जयपुर- जिसे लोग शारीरिक कमी बताते है, उस कमी को हौसलो से पूरा किया जा सकता है। ये सिद्ध कर दिखाया है जयपुर के ही रहने वाले चंदन वर्मा और रमेश चंद यादव ने। आज विश्व विकलांगता दिवस के मौके पर ईटीवी भारत ने दिव्यांग खिलाड़ियों से खास बातचीत की।

जयपुर के रहने वाले 25 वर्षीय चंद्र वर्मा इंटरनेशनल दिव्यांग खिलाड़ी है। जिन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल लेवल में कई पुरस्कार और मेडल अपने नाम किए है। चंदन वर्मा रेस, बैडमिंटन, क्रिकेट जैसे खेलों में हिस्सा ले चुके है। चंदन बचपन से सेरेब्रल पॉलसी बीमारी से पीड़ित है। 5 साल की उम्र तक चंदन चल फिर भी नहीं पाते थे। वही 4 साल की उम्र में ही चंदन के पिता का निधन हो गया था। लेकिन आज चंदन ने पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेकर देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी गुलाबी नगरी का नाम रोशन किया है। चंदन ने अब तक 15 नेशनल और 5 राज्य स्तरीय मैडल हासिल किए है। चंदन ने बताया कि घर के पास खेल मैदान में दोस्तों को छक्के चौके लगाते देखा, तो मन में ठान लिया कि एक दिन देश के लिए खेलना है। चंदन ने एक साल तक दूसरों को देखकर खेल की बारीकियों को सीखा। मेहनत रंग लाई और डिस्ट्रिक्ट, स्टेट, नेशनल सब जगह परचम लहराया। चंदन ने बताया कि परिवार की गरीबी के चलते हैं उन्होंने कभी कोच की सहायता नहीं ली बल्कि खुद के बलबूते पर ये सभी मेडल को हासिल किया है। चंदन ने बताया कि वे बच्चों को मोटीवेट स्पीच भी देते है ताकि ओर भी बच्चें खेल में रुचि बढ़ाएं। चंदन का कहना है कि जब वो दिव्यांग होकर मैडल जीत सकते है तो सामान्य बच्चे क्यों नहीं जीत सकते।

उधर, 27 वर्षीय रमेश चंद यादव भी इसी बीमारी से पीड़ित है। रमेश ने भी डिस्ट्रिक्ट, स्टेट और नेशनल लेवल पर कई मेडल हासिल किये है। रमेश ने बताया कि चंदन को देखकर ही खेलने की ललक बड़ी और उसके मार्गदर्शन में ही कई मैडल हासिल किए है। रमेश ने 2016 से पैरा एथलेटिक में भाग ले रहे है वही अब तक 9 राष्ट्रीय स्तर के मैडल और 4 राज्य स्तर पर मैडल जीत चुके है।


Body:दिव्यांग खिलाड़ियों पर सरकार की बेरुखी
चंदन और रमेश ने राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनेकों मैडल जीतकर राजधानी का नाम तो रोशन किया है। लेकिन इन दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकार का कोई सहयोग नहीं मिला है। दोनों खिलाड़ीयों ने बताया कि सरकार ने अभी तक स्कॉलरशिप नहीं दी है बल्कि नेशनल खेलने वाले सभी खिलाड़ियों को राज्य सरकार द्वारा स्कॉलरशिप दी जाती रही है। दोनो खिलाड़ियों ने कई बार सरकार को पत्र लिखा है लेकिन सरकार की बेरुखी इन दिव्यांग खिलाड़ियों को मायूस कर देती है।

बाईट- चंदन वर्मा, दिव्यांग खिलाड़ी
बाईट- रमेश चंद यादव, दिव्यांग खिलाड़ी


Conclusion:
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