ETV Bharat / city

सचिन पायलट Waiting में...सिद्धू ने भरी 'उड़ान'...अब क्या करेगा आलाकमान ? - Pradesh Congress Committee

पंजाब का सियासी कलह हल हो चुका है. नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बना दिये गये. लेकिन क्या राजस्थान में सचिन पायलट वर्सेज अशोक गहलोत के सियासी घमासान का कोई नतीजा निकलता दिख रहा है.

सचिन पायलट नवजोत सिंह सिद्धू
सचिन पायलट नवजोत सिंह सिद्धू
author img

By

Published : Jul 18, 2021, 10:49 PM IST

Updated : Jul 18, 2021, 10:56 PM IST

जयपुर. पंजाब कांग्रेस का झगड़ा समाप्त हो गया है. नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है. अब वे सुनील जाखड़ की जगह लेंगे. इसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं.

पंजाब विवाद के इस तरह के हल के बाद अब राजस्थान के असंतुष्ट गुट को भी आलाकमान से आस बंध गई है. जाहिर है कि सचिन पायलट और उनके समर्थित नेताओं को पंजाब में किये गए आलाकमान के फैसले से बहुत राहत और बल मिला होगा.

सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और पीसीसी के अध्यक्ष थे. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से तनातनी और बगावत के कारण उन्हें ये दोनों पद गंवाने पड़े थे. इसके बाद बगावत का दौर चला और सुलह भी हो गई. लेकिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को जिस शर्त पर आलाकमान ने पार्टी में लौटने की राह दिखाई थी, वे शर्तें अभी तक अधूरी हैं.

राजस्थान में अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सभी पक्षों को संतुष्ट करना टेढ़ी खीर है. ऐसे में पंजाब के फैसले ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी नींद उड़ा दी होगी.

जाहिर है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक लगातार आलाकमान से उनकी मांगों पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं. सचिन पायलट कई बार दिल्ली का चक्कर लगा चुके हैं. उन्होंने अन्य दल ज्वाइन नहीं कर समझदारी दिखाई और पार्टी का भरोसा भी कायम रखा. जिस तरह से पायलट गुट और गहलोत गुट के बीच बयानबाजी होती रही है, उसे देखते हुए आलाकमान पर भी फैसला लेने का दबाव है.

पढ़ें- सीएम गहलोत ने Delta Variant को लेकर किया आगाह, 'अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बढ़ाने का फैसला सोच समझ कर ले केंद्र सरकार'

जिस तरह से पंजाब के राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप हुआ है, उस लिहाज से लगता है कि राजस्थान के राजनीतिक संकट का हल भी जल्दी ही होगा.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान का मुद्दा पंजाब के मुद्दे से अलग है. राजस्थान में सचिन पायलट पहले से उप मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ जैसे अहम पदों पर काबिज थे. ऐसे में माना ये जा रहा है कि सचिन की निगाहें मुख्यमंत्री पद पर थीं और समर्थित नेताओं के 'सम्मान' के तौर पर वे अहम पद हथियाना चाहते थे.

पढ़ें- नवजोत सिंह सिद्धू बने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष, चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त

बहरहाल, सवाल यह है कि राजस्थान के राजनीतिक संकट का मौजूदा दौर में क्या हल दिखाई देता है. क्या दोबारा उप मुख्यमंत्री पद और पीसीसी चीफ का पद पाकर सचिन पायलट संतुष्ट हो जाएंगे. मंत्री पद से हटाए गए उनके साथियों को अगर वापस काबिज भी कर दिया गया तो सवाल यही पैदा होगा कि सचिन की बगावत का क्या मतलब था.

क्या सचिन पायलट राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं. अगर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन ही मौजूदा सियासी संकट का हल है तो क्या आलाकमान यह फैसला कर पाएगा. जबकि अशोक गहलोत का कद राष्ट्रीय कांग्रेस में बेहद बड़ा और अहम है.

जयपुर. पंजाब कांग्रेस का झगड़ा समाप्त हो गया है. नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया है. अब वे सुनील जाखड़ की जगह लेंगे. इसके साथ ही चार कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं.

पंजाब विवाद के इस तरह के हल के बाद अब राजस्थान के असंतुष्ट गुट को भी आलाकमान से आस बंध गई है. जाहिर है कि सचिन पायलट और उनके समर्थित नेताओं को पंजाब में किये गए आलाकमान के फैसले से बहुत राहत और बल मिला होगा.

सचिन पायलट राजस्थान के उप मुख्यमंत्री और पीसीसी के अध्यक्ष थे. लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से तनातनी और बगावत के कारण उन्हें ये दोनों पद गंवाने पड़े थे. इसके बाद बगावत का दौर चला और सुलह भी हो गई. लेकिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों को जिस शर्त पर आलाकमान ने पार्टी में लौटने की राह दिखाई थी, वे शर्तें अभी तक अधूरी हैं.

राजस्थान में अभी तक मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सभी पक्षों को संतुष्ट करना टेढ़ी खीर है. ऐसे में पंजाब के फैसले ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी नींद उड़ा दी होगी.

जाहिर है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक लगातार आलाकमान से उनकी मांगों पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं. सचिन पायलट कई बार दिल्ली का चक्कर लगा चुके हैं. उन्होंने अन्य दल ज्वाइन नहीं कर समझदारी दिखाई और पार्टी का भरोसा भी कायम रखा. जिस तरह से पायलट गुट और गहलोत गुट के बीच बयानबाजी होती रही है, उसे देखते हुए आलाकमान पर भी फैसला लेने का दबाव है.

पढ़ें- सीएम गहलोत ने Delta Variant को लेकर किया आगाह, 'अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बढ़ाने का फैसला सोच समझ कर ले केंद्र सरकार'

जिस तरह से पंजाब के राजनीतिक घटनाक्रम का पटाक्षेप हुआ है, उस लिहाज से लगता है कि राजस्थान के राजनीतिक संकट का हल भी जल्दी ही होगा.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राजस्थान का मुद्दा पंजाब के मुद्दे से अलग है. राजस्थान में सचिन पायलट पहले से उप मुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ जैसे अहम पदों पर काबिज थे. ऐसे में माना ये जा रहा है कि सचिन की निगाहें मुख्यमंत्री पद पर थीं और समर्थित नेताओं के 'सम्मान' के तौर पर वे अहम पद हथियाना चाहते थे.

पढ़ें- नवजोत सिंह सिद्धू बने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष, चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त

बहरहाल, सवाल यह है कि राजस्थान के राजनीतिक संकट का मौजूदा दौर में क्या हल दिखाई देता है. क्या दोबारा उप मुख्यमंत्री पद और पीसीसी चीफ का पद पाकर सचिन पायलट संतुष्ट हो जाएंगे. मंत्री पद से हटाए गए उनके साथियों को अगर वापस काबिज भी कर दिया गया तो सवाल यही पैदा होगा कि सचिन की बगावत का क्या मतलब था.

क्या सचिन पायलट राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन चाहते हैं. अगर राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन ही मौजूदा सियासी संकट का हल है तो क्या आलाकमान यह फैसला कर पाएगा. जबकि अशोक गहलोत का कद राष्ट्रीय कांग्रेस में बेहद बड़ा और अहम है.

Last Updated : Jul 18, 2021, 10:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.