जयपुर. सहाड़ा (Shada), राजसमंद (Rajsamand) और सुजानगढ़ (Sujangarh) विधानसभा में हुए उपचुनाव में मतदान के वास्तविक वोटर टर्नआउट (Toter Turnout) का पता लगाने के लिए पहली बार Booth App का इस्तेमाल किया गया. इसके चलते मतदाताओं को मतदान का प्रतिशत जानने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ा और एक क्लिक पर सभी जरूरी जानकारी मिलती गई.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया, भारत निर्वाचन आयोग की ओर से तैयार बूथ एप राज्य की तीन विधानसभाओं में हुए उपचुनाव के वास्तविक मतदान प्रतिशत जानने में खासा मददगार साबित हुआ. साथ ही फर्जी मतदान को रोकने में भी कारगर साबित हुआ. गुप्ता ने बताया, बूथ एप के जरिए मतदान केंद्र पर आने वाले प्रत्येक मतदाता की वोटर पर्ची से सीरियल नंबर अपलोड करते ही मतदाता का डेटा निर्वाचन आयोग के सर्वर पर चला जाता है. यह सर्वर वोटरटर्न आउट एप से जुड़ा हुआ है, जिससे एप पर प्रति मतदाता के मतदान के साथ ही मतदान प्रतिशत में हुई बढ़ोतरी तुरंत दिखाता है.
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मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया, कोई मतदाता उसी वोटर पर्ची को दोबारा लाकर मतदान की कोशिश करे तो इस एप के जरिए उसे भी रोका जा सकता है. भारत निर्वाचन आयोग ने पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर विधानसभा उपचुनाव में कुछ मतदान केंद्रों पर बूथ एप लगाने की सहमति मांगी थी. निर्वाचन विभाग ने सभी मतदान केंद्रों और सहायक मतदान केंद्रों पर बूथ एप लगवाए. नतीजन मतदाताओं को वास्तविक वोटर टर्नआउट देखने के लिए खासे प्रयास नहीं करने पड़े और केवल एक क्लिक पर उन्हें सभी जानकारी उपलब्ध हो गई.
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प्रवीण गुप्ता ने बताया, भारत निर्वाचन आयोग ने निर्वाचन विभाग की पहल को सराहा है. इस एप की सफलता के बाद आगामी चुनावों में बूथ एप के व्यापक इस्तेमाल की संभावना भी बढ़ी है. उपचुनाव से जुड़े सेक्टर आफिसर्स की मानें तो इस एप ने घंटों का काम सेकेंडों में करने का काम किया है. पहले मतदान दल के अधिकारी को प्रति दो घंटे में मतदान प्रतिशत की जानकारी मोबाइल या अन्य तरीकों से भेजनी पड़ती थी. इसमें देरी और गलती होने की आशंका सर्वाधिक रहती थी. अब केवल बूथ एप पर सीरियल नंबर अपलोड करते ही मतदान प्रतिशत से जुड़ी सभी जानकारी वोटर टर्नआउट एप पर पहुंच जाती है, जिसे पब्लिक डोमेन पर कोई भी देख सकता है.
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पीठासीन अधिकारियों का मानना है, इस एप के जरिए ज्यादा मतदान होने पर धमकाने या डराकर मतदान करवाने की आशंका को भांपा जा सकता है, तो कम मतदान होने पर भी तुरंत कार्रवाई की जा सकती है. इस एप से मॉनिटरिंग करना आसान हुआ है. यह एप आम मतदाताओं के साथ इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया को अपडेट करने में खासा मददगार साबित हुआ है.