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संविदाकर्मी की सेवा समाप्ति के मौखिक आदेश पर रोक, मांगा जवाब

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Published : Oct 10, 2020, 8:49 PM IST

Updated : Oct 11, 2020, 4:56 AM IST

साल 2016 में प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए कौशलेश पांडे को लैब टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था. जिसके बाद उन्हें पिछले 10 सितंबर को संबंधित अधिकारी ने मौखिक आदेश जारी कर सेवा से हटा दिया. राजस्थान हाईकोर्ट ने संविदा पर तैनात कर्मचारी की मौखिक आदेश से की गई सेवा समाप्ति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और s.m.s. मेडिकल कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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संविदाकर्मी की सेवा समाप्ति के मौखिक आदेश पर रोक

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए सालों से लैब टेक्नीशियन के पदों पर संविदा पर तैनात कर्मचारी की मौखिक आदेश से की गई सेवा समाप्ति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और s.m.s. मेडिकल कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश कौशलेश पांडे की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मनीष कुमार शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए साल 2016 में लैब टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था. याचिकाकर्ता को पिछले 10 सितंबर को संबंधित अधिकारी ने मौखिक आदेश जारी कर सेवा से हटा दिया.

पढ़ें- सरपंच प्रत्याशी के बेटे पर तेजाब फेंकने का मामला, चाकसू विधायक ने एसएमएस अस्पताल पहुंचकर पीड़ित का कुशलक्षेम जाना

याचिका में कहा गया कि वो 4 साल से नियमित काम कर रहा है. इस दौरान उसके काम मे कभी कोई गलती नहीं निकाली गई. इसके अलावा कोरोना संक्रमण में वैसे ही चिकित्साकर्मियों पर मरीजों का भारी दबाव चल रहा है. ऐसे में उसे हटाया जाना गलत है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए सालों से लैब टेक्नीशियन के पदों पर संविदा पर तैनात कर्मचारी की मौखिक आदेश से की गई सेवा समाप्ति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने प्रमुख चिकित्सा सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और s.m.s. मेडिकल कॉलेज प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश अशोक कुमार गौड़ ने यह आदेश कौशलेश पांडे की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मनीष कुमार शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए साल 2016 में लैब टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त हुआ था. याचिकाकर्ता को पिछले 10 सितंबर को संबंधित अधिकारी ने मौखिक आदेश जारी कर सेवा से हटा दिया.

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याचिका में कहा गया कि वो 4 साल से नियमित काम कर रहा है. इस दौरान उसके काम मे कभी कोई गलती नहीं निकाली गई. इसके अलावा कोरोना संक्रमण में वैसे ही चिकित्साकर्मियों पर मरीजों का भारी दबाव चल रहा है. ऐसे में उसे हटाया जाना गलत है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को हटाने पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

Last Updated : Oct 11, 2020, 4:56 AM IST
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