जयपुर. दशकों तक मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों को पानी पिलाने वाली टंकी को विभाग ने तोड़ने का निर्णय किया और यह काम अब अंतिम चरण में पहुंचने वाला है. विभाग ने इस टंकी से मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों के जल कनेक्शन हटाकर जल भवन स्थित टंकी से कर दिया है. 30 सितंबर तक टंकी को तोड़ने का काम पूरा हो जाएगा.
सिविल लाइंस स्थित फाटक के पास पुरानी पानी की टंकी मौजूद थी. इस टंकी ने सिविल लाइंस स्थित राजभवन, मुख्यमंत्री और मंत्रियों-विधायकों को दशकों तक पानी पहुंचाया है. 1968 में बनी यह टंकी जर्जर हो चुकी थी. इसके बाद एमएनआईटी के इंजीनियर ने इस टंकी को उपयोग में लेने से मना कर दिया.
राजभवन, मुख्यमंत्री आवास सहित मंत्रियों के पानी के कनेक्शन जल भवन स्थित पानी के टंकी से कर दिए गए हैं. सिविल लाइन्स फाटक के पास स्थित यह टंकी 4.5 लाख लीटर की थी और इसे दिन में तीन बार भरा जाता था. इस टंकी से सभी आवासों पर 24 घंटे पानी सप्लाई किया जाता था.
मेन रोड पर स्थित आम लोगों के मकानों में भी इसी टंकी के जरिए 24 घंटे पानी पहुंचता था. इस टंकी से पानी सप्लाई पहले ही बंद कर दी गई थी और इस टंकी को तोड़ने का ठेका भी दिया जा चुका था, लेकिन कोरोना के कारण यह काम शुरू नहीं हुआ था. वहीं अब अनलॉक शुरू होने के बाद इस टंकी को तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है.
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अब केवल टंकी के पिल्लर टूटना बाकी है, खतरे को देखते हुए पानी की टंकी के पिलर मजदूरों के द्वारा थोड़े जा रहे हैं. अधिशासी अभियंता विशाल सक्सेना ने बताया कि 30 सितंबर तक टंकी के पूरे पिलर भी तोड़ दिए जाएंगे यह टंकी 23.5 मीटर ऊंची है. इसमें 18 मीटर स्टेजिंग है और 5.5 मीटर वाटर टैंक बना हुआ है. टंकी को तीन बार भरने से 13.5 लाख लीटर पानी का उपयोग 1 दिन में किया जाता था.
अब नई टंकी से मुख्यमंत्री, राजभवन और अन्य मंत्रियों की आवासों पर पानी सप्लाई करने में 9.5 लाख लीटर पानी खर्च होता है. यानी 4 लाख लीटर पानी की बचत हो रही है. साथ ही कहा कि यह पानी पहले छीजत में जाता था क्योंकि इनके अलावा भी आम जनता के घर भी इसी टंकी से पेयजल कनेक्शन लिए हुए थे. राजभवन, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के आवासों में कुल मिलाकर 146 कनेक्शन थे.
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विशाल सक्सेना ने बताया कि इस टंकी का निर्माण 1968 में हुआ और इस टंकी के जरिए सिविल लाइंस, बदरामपुरा, शिवाजी नगर, केशव नगर, गौरव नगर, सूरज नगर ईस्ट ओर वेस्ट के अलावा अचरोल हाउस, मैसूर हाउस, जेकब रोड के इलाके में पानी सप्लाई किया जाता रहा है.
सन 2009 एमएनआईटी ने पेयजल के लिए टंकी को उपयुक्त नहीं माना. इसके बाद 2018 में इस टंकी को तोड़ने की वित्तीय स्वीकृति मिली और फरवरी 2020 में इस को तोड़ने का काम शुरू हुआ लेकिन कोरोना के चलते यह काम समय पर पूरा नहीं हो पाया. वहीं यह काम फिर से जून में शुरू हो गया है और अब यह काम 30 सिंतबर तक पूरा होगा.