जयपुर. आराध्य देव गोविंददेवजी मंदिर के सत्संग भवन में मनाए जा रहे फागोत्सव के दूसरे दिन मंगलवार को भजन और नृत्य की जुगलबंदी का श्रद्धालुओं ने भरपूर आनंद उठाया. कृष्ण-राधा और गोपी-ग्वालों के स्वरूप बने कलाकारों ने भजनों की पंक्तियों के अनुरूप अभिनय की छाप छोड़ी. इस मौके पर गायन-वादन और नृत्य की त्रिवेणी गणेश वंदना के साथ प्रवाहित हुई, जो शाम तक अनवरत प्रवाहित हुई.
मंगलवार को कई प्रसिद्ध कलाकारों ने भी ठाकुर जी के दरबार में हाजिरी दी. गणेश वंदना और गुरू वंदना के साथ पं. जगदीश शर्मा ने फागोत्सव का औपचारिक शुभारंभ किया. इस मौके पर गोविंददेवजी मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने कलाकारों का सम्मान भी किया. कुंजबिहारी जाजू ने म्हारा गोविंद रसिया छैला म्हे तो थां सं ही होली खेलां... गाया तो संपूर्ण पांडाल भाव विभोर हो गया. इसके बाद उन्होंने फागण का महीना मं क्यूं लुखतो डोले रे... रचना सुनाकर कान्हा के फाग खेलने से घबराने के भावों को अभिव्यक्ति दी.
लखनऊ से आई शालिनी गुप्ता ने मृगनैनी को यार नवल रसिया...गीत सुनाकर वाहवाही बटोरी. ईश्वर दत्त माथुर ने होली कैसे खेलूं मनमोहन के साथ... भजन सुनाकर राधाजी की शंका के मनोभावों को साकार किया तो इसके विपरीत भानुकुमार ने रंग डारुंगी नंद के लालन पे... गाकर सखियों की जिद का खाका खींच दिया. कमलकांत कौशिक ने होली खेल मना रे फागुन के दिन चार...फाल्गुनी रचना सुनाकर लोगों के मन में हिलोर पैदा की, उन्होंने ब्रज क्षेत्र का रसिया की मनोरम प्रस्तुति भी दी.