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सफाई कर्मचारी को मिल रहे थे पांच सौ रुपए, हाईकोर्ट ने नियमित वेतनमान के दिए आदेश - जयपुर न्यूज

अलवर के बानसूर की पंचायत समिति में तैनात सफाई कर्मचारी की याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार को उसे नियमित देने के आदेश दिए हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता को दूसरी बार याचिका दायर करने को मजबूर करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार का जुर्माना लगाया है.

Jaipur High Court News, जयपुर न्यूज
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Published : Nov 14, 2019, 10:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर जिले की बानसूर पंचायत समीति में तैनात सफाई कर्मचारी को पांच सौ रुपए मासिक वेतन देने को शर्मनाक और मानवीय गरिमा के खिलाफ माना है. अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता कर्मचारी को नियमित वेतन श्रृंखला के साथ ही समस्त परिलाभ अदा करने को कहा है.

न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश अनिल कुमार की याचिका पर दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को दूसरी बार याचिका दायर करने को मजबूर करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा कि एक सफाई कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी से कम राशि देना अन्याय है. राज्य सरकार कल्याणकारी सरकार है. उसे दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी देनी ही चाहिए.

याचिका में अधिवक्ता मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता 1 अक्टूबर 1997 से सफाई कर्मचारी का काम कर रहा है. पहले उसे तीन सौ रुपए मासिक दिए जाते थे, वहीं अब पांच सौ रुपए दिए जा रहे हैं. हाईकोर्ट ने 21 मार्च 2014 को राज्य सरकार को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नियमित करने पर विचार करने को कहा था.

पढ़ें- ननिहाल पक्ष से भी मिल सकता है टीएसपी का लाभ, नियुक्ति में नहीं मानी जाए बाधा

इसके बावजूद राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारी का स्वीकृत पद नहीं होने का हवाला देकर उसे नियमित नहीं किया. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट दस साल की अवधि पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने वाले दिशा-निर्देश दे चुका है, ऐसे में याचिकाकर्ता को भी नियमित किया जाए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर जिले की बानसूर पंचायत समीति में तैनात सफाई कर्मचारी को पांच सौ रुपए मासिक वेतन देने को शर्मनाक और मानवीय गरिमा के खिलाफ माना है. अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता कर्मचारी को नियमित वेतन श्रृंखला के साथ ही समस्त परिलाभ अदा करने को कहा है.

न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश अनिल कुमार की याचिका पर दिए. अदालत ने याचिकाकर्ता को दूसरी बार याचिका दायर करने को मजबूर करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. अदालत ने कहा कि एक सफाई कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी से कम राशि देना अन्याय है. राज्य सरकार कल्याणकारी सरकार है. उसे दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी देनी ही चाहिए.

याचिका में अधिवक्ता मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता 1 अक्टूबर 1997 से सफाई कर्मचारी का काम कर रहा है. पहले उसे तीन सौ रुपए मासिक दिए जाते थे, वहीं अब पांच सौ रुपए दिए जा रहे हैं. हाईकोर्ट ने 21 मार्च 2014 को राज्य सरकार को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नियमित करने पर विचार करने को कहा था.

पढ़ें- ननिहाल पक्ष से भी मिल सकता है टीएसपी का लाभ, नियुक्ति में नहीं मानी जाए बाधा

इसके बावजूद राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारी का स्वीकृत पद नहीं होने का हवाला देकर उसे नियमित नहीं किया. याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट दस साल की अवधि पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने वाले दिशा-निर्देश दे चुका है, ऐसे में याचिकाकर्ता को भी नियमित किया जाए.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने अलवर जिले की बानसूर पंचायत समीति में तैनात सफाई कर्मचारी को पांच सौ रुपए मासिक वेतन देने को शर्मनाक और मानवीय गरीमा के खिलाफ माना है। अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता कर्मचारी को नियमित वेतन श्रृंखला के साथ ही समस्त परिलाभ अदा करने को कहा है।Body:न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने यह आदेश अनिल कुमार की याचिका पर दिए। अदालत ने याचिकाकर्ता को दूसरी बार याचिका दायर करने को मजबूर करने पर राज्य सरकार पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने कहा कि एक सफाई कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी से कम राशि देना अन्याय है। राज्य सरकार कल्याणकारी सरकार है उसे दैनिक मजदूरी पर काम करने वाले कर्मचारी को न्यूनतम मजदूरी देनी ही चाहिए।
याचिका में अधिवक्ता मनोज कुमार चौधरी ने बताया कि याचिकाकर्ता 1 अक्टूबर 1997 से सफाई कर्मचारी का काम कर रहा है। पहले उसे तीन सौ रुपए मासिक दिए जाते थे, वहीं अब पांच सौ रुपए दिए जा रहे है। हाईकोर्ट ने 21 मार्च 2014 को राज्य सरकार को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता को नियमित करने पर विचार करने को कहा था। इसके बावजूद राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारी का स्वीकृत पद नहीं होने का हवाला देकर उसे नियमित नहीं किया। याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट दस साल की अवधि पूरे करने वाले कर्मचारियों को नियमित करने वाले दिशा-निर्देश दें चुका है, ऐसे में याचिकाकर्ता को भी नियमित किया जाए।Conclusion:
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