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नगर पालिका संशोधन विधेयक पर सदन में बरसे भाजपा विधायक, कहा- कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को खपाने की कोशिश

राजस्थान विधानसभा में राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक- 2021 पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक जमकर सरकार पर बरसे. इस संशोधन विधेयक के जरिए कानून में किए जा रहे बदलाव को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित बीजेपी के सभी विधायकों ने स्वायत्तशासी संस्थाओं को कमजोर करने वाला बताया.

सदन में बीजेपी नेताओं का हंगामा, Rajasthan Legislative Assembly Proceedings
सदन में बीजेपी नेताओं का हंगामा
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Published : Mar 19, 2021, 10:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक- 2021 पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक जमकर सरकार पर बरसे. इस संशोधन विधेयक के जरिए कानून में किए जा रहे बदलाव को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित बीजेपी के सभी विधायकों ने स्वायत्तशासी संस्थाओं को कमजोर करने वाला बताया.

सदन में बोले गुलाबचंद कटारिया

हालांकि, सदन में बहस के दौरान सभापति राजेंद्र पारीक ने संशोधन प्रस्ताव पर बोलने के लिए सत्ता पक्ष के 2 विधायकों की अनुमति मांगी, तो नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष ने इससे इनकार कर दिया. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा की संशोधन विधेयक पर बोलने की अनुमति सबको है, लेकिन नियम यही है कि जो पहले इस प्रस्ताव को जनमत में जानने के लिए भेजना चाहता है वह तमाम विधायक क्रमवार बोले और उसमें भी जिसने प्रस्ताव पहले दिया है पहले वह बोले, जहां तक दो माननीय सदस्यों को इसमें बोलना है तो वह तीसरी पोजीशन में विदेश जाने के बाद अपनी बात रख सकते हैं, तब राजेंद्र पारीक ने कहा कि इन्हें किसी काम से जल्दी जाना था, इसलिए यह चाहते हैं कि पहले बोलें लेकिन नियम में नहीं है तो कोई बात नहीं.

यह भी पढ़ेंः स्पीकर ने शिक्षा मंत्री को लताड़ा, कहा- आपको आफरा आ रहा है तो कहीं और निकाल लीजिएगा, सवालों का सीधा जवाब दें

इस संशोधन के जरिए स्वायत्त शासन संस्थाओं की मटिया मेट करने की तैयारी कर ली हैः कटारिया

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने जहां इस संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान उसकी खामियां गिनाते हुए कहा कि मौजूदा समय में यह संशोधन लाने की जरूरत ही नहीं थी. कटारिया ने कहा कि साल 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए सरकार यह संशोधन लेकर आई, लेकिन उसके बाद 2014 के चुनाव भी हो गए और उसके आगे के भी चुनाव और नगर निकायों में वार्डों का परिसीमन तक हो गया, ऐसे में सरकार 2021 की जनगणना के बाद यह संशोधन लाती तो शायद जनता भी इससे खुश होती. कटारिया ने कहा कि जिस प्रकार इन नगर निकायों में मनोनीत पार्षदों की संख्या बढ़ाने का संशोधन किया गया है, वह इन नगर निकाय में हंगामे की स्थिति पैदा करेगा. कटारिया ने कहा कि अच्छा तो यह होता कि सरकार इन नगर निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने और इन्हें मजबूत बनाने में ध्यान देती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

मनोनीत पार्षदों की संख्या बढ़ाकर कांग्रेस के 7 हजार कार्यकर्ताओं को खपाने की कोशिशः राठौड़

सदन में बोले राजेंद्र राठौड़

वहीं, संशोधन विधेयक पर बोलते हुए प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जिस प्रकार का संशोधन नगर पालिका एक्ट में किया जा रहा है, वह केवल और केवल प्रदेश भर में कांग्रेस के करीब 7 हजार कार्यकर्ताओं को नगर निकायों में खपाने की कोशिश है. राठौड़ के अनुसार संशोधन में नगर पालिका में मनोनीत पार्षदों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर दी गई. नगर परिषद में यह संख्या 4 से बढ़ाकर 8 कर दी गई और नगर निगमों में मनोनीत पार्षदों की संख्या 6 से बढ़ाकर 12 कर दी गई.

यह भी पढ़ेंः सुकेत गैंग रेप केस: 3 बापर्दा सहित 4 आरोपी गिरफ्तार, 5 दिन में पेश होगा चालान, अब तक 20 लोग अरेस्ट

राजस्थान की नगर निकायों की संख्या देखें तो एक बहुत बड़ा आंकड़ा निकलकर सामने आएगा, जिसके जरिए कांग्रेस असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनोनीत पार्षद के रूप में संतुष्ट करने का काम करेगी. हालांकि, राजेंद्र राठौड़ ने मौजूदा संशोधन में मनोनीत पार्षदों में एक दिव्यांग को शामिल करने के बदलाव पर संतुष्ट दिखे, लेकिन यह भी कहा कि आरक्षण में जो 3 फीसदी दिव्यांगों को मिलता है, प्रमोशन में भी मिले यह मांग कब तक पूरी होगी यह भी सरकार को सोचना चाहिए. राठौड़ ने नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 को प्रवर समिति में भेजने या फिर जनमत जानने के लिए भेजने की मांग की.

इस संशोधन से सतीश पूनिया भी दिखे असंतुष्ट

वहीं, इस संशोधन विधेयक पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और आमेर से विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि इस संशोधन का मंतव्य राजनीतिक है, अगर संशोधन के जरिए नगर निकायों में मनोनीत पार्षदों के रूप में अर्जुन अवॉर्डी विशेष श्रेणी के लोगों को लिया जाता तो इसकी शोभा ज्यादा होती, लेकिन इस संशोधन के जरिए पिछले दरवाजे से कांग्रेस राजनीतिक कार्यकर्ताओं को खपाने का काम कर रही है, जो साफ तौर पर देखा जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान हाईकोर्ट से निलंबित आरएएस पिंकी मीणा को जमानत मिली

सतीश पूनिया ने कहा कि जिस प्रकार पिछले दिनों निकाय और पंचायत राज चुनाव में परिसीमन किया गया और फिर चुनाव में देरी की गई वह कहीं ना कहीं इन संस्थाओं को कमजोर करने का काम था. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश में स्वायत शासन संस्था है, कमजोर हुई है. आज नगर निकायों के पास कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं है, सफाई व अन्य उपकरण कहां से खरीदेंगे. ऐसे में सरकार का ध्यान स्वायत्तशासी संस्थाओं को मजबूत करने पर होना चाहिए था, लेकिन इन नगर निकायों में संशोधन के जरिए 12-12 लोगों को भेजा जा रहा है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक- 2021 पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक जमकर सरकार पर बरसे. इस संशोधन विधेयक के जरिए कानून में किए जा रहे बदलाव को नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया सहित बीजेपी के सभी विधायकों ने स्वायत्तशासी संस्थाओं को कमजोर करने वाला बताया.

सदन में बोले गुलाबचंद कटारिया

हालांकि, सदन में बहस के दौरान सभापति राजेंद्र पारीक ने संशोधन प्रस्ताव पर बोलने के लिए सत्ता पक्ष के 2 विधायकों की अनुमति मांगी, तो नेता प्रतिपक्ष और उपनेता प्रतिपक्ष ने इससे इनकार कर दिया. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा की संशोधन विधेयक पर बोलने की अनुमति सबको है, लेकिन नियम यही है कि जो पहले इस प्रस्ताव को जनमत में जानने के लिए भेजना चाहता है वह तमाम विधायक क्रमवार बोले और उसमें भी जिसने प्रस्ताव पहले दिया है पहले वह बोले, जहां तक दो माननीय सदस्यों को इसमें बोलना है तो वह तीसरी पोजीशन में विदेश जाने के बाद अपनी बात रख सकते हैं, तब राजेंद्र पारीक ने कहा कि इन्हें किसी काम से जल्दी जाना था, इसलिए यह चाहते हैं कि पहले बोलें लेकिन नियम में नहीं है तो कोई बात नहीं.

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इस संशोधन के जरिए स्वायत्त शासन संस्थाओं की मटिया मेट करने की तैयारी कर ली हैः कटारिया

नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने जहां इस संशोधन विधेयक पर बहस के दौरान उसकी खामियां गिनाते हुए कहा कि मौजूदा समय में यह संशोधन लाने की जरूरत ही नहीं थी. कटारिया ने कहा कि साल 2011 की जनगणना का हवाला देते हुए सरकार यह संशोधन लेकर आई, लेकिन उसके बाद 2014 के चुनाव भी हो गए और उसके आगे के भी चुनाव और नगर निकायों में वार्डों का परिसीमन तक हो गया, ऐसे में सरकार 2021 की जनगणना के बाद यह संशोधन लाती तो शायद जनता भी इससे खुश होती. कटारिया ने कहा कि जिस प्रकार इन नगर निकायों में मनोनीत पार्षदों की संख्या बढ़ाने का संशोधन किया गया है, वह इन नगर निकाय में हंगामे की स्थिति पैदा करेगा. कटारिया ने कहा कि अच्छा तो यह होता कि सरकार इन नगर निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने और इन्हें मजबूत बनाने में ध्यान देती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.

मनोनीत पार्षदों की संख्या बढ़ाकर कांग्रेस के 7 हजार कार्यकर्ताओं को खपाने की कोशिशः राठौड़

सदन में बोले राजेंद्र राठौड़

वहीं, संशोधन विधेयक पर बोलते हुए प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि जिस प्रकार का संशोधन नगर पालिका एक्ट में किया जा रहा है, वह केवल और केवल प्रदेश भर में कांग्रेस के करीब 7 हजार कार्यकर्ताओं को नगर निकायों में खपाने की कोशिश है. राठौड़ के अनुसार संशोधन में नगर पालिका में मनोनीत पार्षदों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर दी गई. नगर परिषद में यह संख्या 4 से बढ़ाकर 8 कर दी गई और नगर निगमों में मनोनीत पार्षदों की संख्या 6 से बढ़ाकर 12 कर दी गई.

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राजस्थान की नगर निकायों की संख्या देखें तो एक बहुत बड़ा आंकड़ा निकलकर सामने आएगा, जिसके जरिए कांग्रेस असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को मनोनीत पार्षद के रूप में संतुष्ट करने का काम करेगी. हालांकि, राजेंद्र राठौड़ ने मौजूदा संशोधन में मनोनीत पार्षदों में एक दिव्यांग को शामिल करने के बदलाव पर संतुष्ट दिखे, लेकिन यह भी कहा कि आरक्षण में जो 3 फीसदी दिव्यांगों को मिलता है, प्रमोशन में भी मिले यह मांग कब तक पूरी होगी यह भी सरकार को सोचना चाहिए. राठौड़ ने नगरपालिका संशोधन विधेयक 2021 को प्रवर समिति में भेजने या फिर जनमत जानने के लिए भेजने की मांग की.

इस संशोधन से सतीश पूनिया भी दिखे असंतुष्ट

वहीं, इस संशोधन विधेयक पर बोलते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और आमेर से विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि इस संशोधन का मंतव्य राजनीतिक है, अगर संशोधन के जरिए नगर निकायों में मनोनीत पार्षदों के रूप में अर्जुन अवॉर्डी विशेष श्रेणी के लोगों को लिया जाता तो इसकी शोभा ज्यादा होती, लेकिन इस संशोधन के जरिए पिछले दरवाजे से कांग्रेस राजनीतिक कार्यकर्ताओं को खपाने का काम कर रही है, जो साफ तौर पर देखा जा सकता है.

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सतीश पूनिया ने कहा कि जिस प्रकार पिछले दिनों निकाय और पंचायत राज चुनाव में परिसीमन किया गया और फिर चुनाव में देरी की गई वह कहीं ना कहीं इन संस्थाओं को कमजोर करने का काम था. उन्होंने यह भी कहा कि पिछले 2 साल के कार्यकाल में प्रदेश में स्वायत शासन संस्था है, कमजोर हुई है. आज नगर निकायों के पास कर्मचारियों को देने के लिए वेतन नहीं है, सफाई व अन्य उपकरण कहां से खरीदेंगे. ऐसे में सरकार का ध्यान स्वायत्तशासी संस्थाओं को मजबूत करने पर होना चाहिए था, लेकिन इन नगर निकायों में संशोधन के जरिए 12-12 लोगों को भेजा जा रहा है.

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