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अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः दुष्कर्म के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर, कैसे देंगे बेटियों को सुरक्षित आंगन...

आज हम इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मना रहे हैं. लेकिन आज जिस तरह से महिलाओं के साथ अपराध और हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं उससे क्या सिर्फ बेटी दिवस मनाने मात्र तक ही हमारी जिम्मेदारी है या ये सिर्फ एक औपचारिकता है, जिसे बस निभाया जा रहा है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Oct 11, 2020, 8:27 PM IST

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, International Girl child Day
महिलाओं से अपराध के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर

जयपुर. 11 अक्टूबर को हम इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मना रहे हैं. पूरी दुनिया में बच्चियों के कई मुकाम और उनके ओर से तय किए गए आयामों पर चर्चा हो रही है. राजस्थान की गहलोत सरकार भी इस दिन को उत्सव के रूप में मना रही है, लेकिन नेशनल क्राइम ब्यूरो के जो ताजा आंकड़े जारी हुए हैं उसमें हम नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में पहले पायदान पर खड़े हैं. महिला अत्याचार में अन्य राज्यों की तुलना में दूसरे पायदान पर है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इन आंकड़ों के जरिए हम यह दिखाए कि इस सच के बाद भी हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाना सार्थक है.

महिलाओं से अपराध के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर

कभी महिलाओं के सम्मान और बलिदान के लिए पहचान रखने वाले राजस्थान में ना महिलाएं सुरक्षित हैं और ना ही मासूम बच्चियां. नेशनल क्राइम ब्यूरो के ताजा आंकड़ों में आए सच और महिला अत्याचार की घटनाओं पर हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिला कर रखा दिया. आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर राजस्थान में बहुमत के साथ सत्ता में आई कांग्रेस गहलोत सरकार बनी तो एक उम्मीद जगी थी, लेकिन सरकार बनने के डेढ़ साल बाद जो आंकड़े सामने आए है उन्होंने डरा दिया है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, International Girl child Day
राज्य सरकार को उठाना होगा कड़ा कदम

नेशनल क्राइम ब्यूरो के जो ताजा आंकड़े जारी हुए हैं, उसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर खड़ा है. महिला अत्याचार में अन्य राज्यों की तुलना में दूसरे और दलित अत्याचार में पहले पायदान पर है. राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी सरकार के इन आंकड़ों पर पहले ही चिंता जता चुकी है.

पढ़ेंः अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः हर क्षेत्र में बेटियों का दबदबा, बदलनी होगी कमतर आंकने की सोच

भाजपा की जब राजस्थान में सरकार थी तब महिला अत्याचार के आंकड़े बढ़ रहे थे, लेकिन वो आंकड़े आज भी बढ़ रहे हैं. जब कांग्रेस सरकार बनी तो कम होने की बजाए बढ़ ही रहे हैं. ऐसे में प्रदेश की महिलाएं खुद के साथ अपनी मासूम बच्चियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. वर्किंग वुमन ललिता कुच्छल बताती हैं कि जिस तरह से प्रदेश में हर दिन दो साल की बच्ची से लेकर 80 साल तक महिला के दुष्कर्म की घटना सुनते ही डर से कालेज कांप उठता है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, International Girl child Day
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुल देसाई

आज हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं, लेकिन जब महिलाएं और बच्चियां घर बाहर दो कदम की दूरी पर भी सुरक्षित नहीं है तो फिर किस बात का अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस. यह तब सार्थक होगा जब हम प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा दे सकेंगे.

पढ़ेंः अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस : बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को सरकार मृत्युदंड की सजा सुनाए : पद्मश्री गुलाबो सपेरा

इसी बीच कुछ दिन पहले अलवर से एक खबर ने थोड़ी राहत दी कि थानागाजी मामले में सभी मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इससे लगा कि त्वरित न्याय प्रक्रिया से सुधार होगा, लेकिन उसके अगले ही दिन बीकानेर, बांसवाड़ा, जोधपुर और दौसा से आई नाबालिक दुष्कर्म की घटना ने एक बार हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिला कर रखा दिया.

यूपी के हाथरस में घटना हुई तो कांग्रेस के नेता वहां पहुंच गए. राजस्थान में घटना हुई तो बीजेपी सड़कों पर उतर आई, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. सवाल बस इतना सा है कि हमारी लाडो कब तक ऐसे ही असुरक्षित सहमी सी घर में बैठी रहेगी.

जयपुर. 11 अक्टूबर को हम इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे मना रहे हैं. पूरी दुनिया में बच्चियों के कई मुकाम और उनके ओर से तय किए गए आयामों पर चर्चा हो रही है. राजस्थान की गहलोत सरकार भी इस दिन को उत्सव के रूप में मना रही है, लेकिन नेशनल क्राइम ब्यूरो के जो ताजा आंकड़े जारी हुए हैं उसमें हम नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में पहले पायदान पर खड़े हैं. महिला अत्याचार में अन्य राज्यों की तुलना में दूसरे पायदान पर है. ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि इन आंकड़ों के जरिए हम यह दिखाए कि इस सच के बाद भी हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाना सार्थक है.

महिलाओं से अपराध के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर

कभी महिलाओं के सम्मान और बलिदान के लिए पहचान रखने वाले राजस्थान में ना महिलाएं सुरक्षित हैं और ना ही मासूम बच्चियां. नेशनल क्राइम ब्यूरो के ताजा आंकड़ों में आए सच और महिला अत्याचार की घटनाओं पर हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिला कर रखा दिया. आज अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर राजस्थान में बहुमत के साथ सत्ता में आई कांग्रेस गहलोत सरकार बनी तो एक उम्मीद जगी थी, लेकिन सरकार बनने के डेढ़ साल बाद जो आंकड़े सामने आए है उन्होंने डरा दिया है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, International Girl child Day
राज्य सरकार को उठाना होगा कड़ा कदम

नेशनल क्राइम ब्यूरो के जो ताजा आंकड़े जारी हुए हैं, उसमें नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले में राजस्थान पहले पायदान पर खड़ा है. महिला अत्याचार में अन्य राज्यों की तुलना में दूसरे और दलित अत्याचार में पहले पायदान पर है. राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी सरकार के इन आंकड़ों पर पहले ही चिंता जता चुकी है.

पढ़ेंः अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवसः हर क्षेत्र में बेटियों का दबदबा, बदलनी होगी कमतर आंकने की सोच

भाजपा की जब राजस्थान में सरकार थी तब महिला अत्याचार के आंकड़े बढ़ रहे थे, लेकिन वो आंकड़े आज भी बढ़ रहे हैं. जब कांग्रेस सरकार बनी तो कम होने की बजाए बढ़ ही रहे हैं. ऐसे में प्रदेश की महिलाएं खुद के साथ अपनी मासूम बच्चियों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है. वर्किंग वुमन ललिता कुच्छल बताती हैं कि जिस तरह से प्रदेश में हर दिन दो साल की बच्ची से लेकर 80 साल तक महिला के दुष्कर्म की घटना सुनते ही डर से कालेज कांप उठता है.

अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस, International Girl child Day
राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य राजुल देसाई

आज हम अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मना रहे हैं, लेकिन जब महिलाएं और बच्चियां घर बाहर दो कदम की दूरी पर भी सुरक्षित नहीं है तो फिर किस बात का अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस. यह तब सार्थक होगा जब हम प्रदेश की महिलाओं को सुरक्षा दे सकेंगे.

पढ़ेंः अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस : बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को सरकार मृत्युदंड की सजा सुनाए : पद्मश्री गुलाबो सपेरा

इसी बीच कुछ दिन पहले अलवर से एक खबर ने थोड़ी राहत दी कि थानागाजी मामले में सभी मुख्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. इससे लगा कि त्वरित न्याय प्रक्रिया से सुधार होगा, लेकिन उसके अगले ही दिन बीकानेर, बांसवाड़ा, जोधपुर और दौसा से आई नाबालिक दुष्कर्म की घटना ने एक बार हर संवेदनशील व्यक्ति को अंदर तक हिला कर रखा दिया.

यूपी के हाथरस में घटना हुई तो कांग्रेस के नेता वहां पहुंच गए. राजस्थान में घटना हुई तो बीजेपी सड़कों पर उतर आई, लेकिन इस गंभीर मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. सवाल बस इतना सा है कि हमारी लाडो कब तक ऐसे ही असुरक्षित सहमी सी घर में बैठी रहेगी.

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