जयपुर. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच प्रदेश में रेमडेसिविर दवा की कमी होने लगी है. आमतौर पर पॉजिटिव मरीजों को यह दवा अस्पतालों में दी जा रही है लेकिन चिकित्सकों ने दावा किया है कि कोरोना बीमारी को ठीक करने के लिए रेमडेसिविर दवा कारगर नहीं है. कोरोना संक्रमित व्यक्ति स्टेरॉयड दवा से 10 से 12 दिन में ठीक हो जाता है और रेमडेसिविर दवा सिर्फ मरीज के रिकवरी के समय को कम करती है.
पढे़ं: राजस्थान ब्यूरोक्रेसी में फेरबदल, 8 IAS अधिकारियों का तबादला...यहां देखें पूरी लिस्ट
सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि रेमडेसिविर दवा की मांग कोरोना की दूसरी लहर में काफी देखने को मिल रही है. लेकिन यह दवा सिर्फ रिकवरी के समय को कम करती है यानी जहां कोरोना मरीज 10 से 12 दिन में आमतौर पर ठीक होता है तो इस दवा से 7 से 8 दिन में ठीक होगा. यानी मरीजों को ठीक करने में रेमडेसिविर दवा कारगर नहीं है. डॉ सुधीर भंडारी का यह भी कहना है कि कोविड-19 की दूसरी लहर में मरीज सिर्फ स्टेरॉयड से ठीक किए जा रहे हैं और आमतौर पर रेमडेसिविर दवा के साथ-साथ मरीजों को स्टेरॉइड और खून पतला करने की दवा भी दी जा रही है. जिसके बाद ही मरीज ठीक हो रहा है. ऐसे में रेमडेसीविर दवा के जीवन रक्षक होने पर अब सवाल खड़ा हो गया है. यहां तक कि चिकित्सकों ने दावा भी किया है कि इसे लेकर एक है शोध भी किया गया है.
रेमडेसिविर की पहले सप्ताह में जरूरत
डॉ. सुधीर भंडारी का कहना है कि रेमडेसिविर दवा मरीज को शुरुआती दौर में ही दी जाती है और यदि मरीज के संक्रमित होने के दूसरे या तीसरे सप्ताह में यह दवा कारगर साबित नहीं होती. इसके अलावा एंटीबायोटिक दवा और अन्य स्टेरॉयड के साथ यह दवा दी जाती है. इसके अलावा यदि मरीज वेंटिलेटर पर आ गया है तो यह दवा काम नहीं करती. आमतौर पर मरीज की ऑक्सीजन लेवल कम होने पर ही यह दवा दी जाती है. ऐसे में संक्रमित होने वाले सभी मरीजों को रेमडेसिविर देना जरूरी नहीं है.