जयपुर:शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2021) आज गुरुवार से शुरू हो गए हैं. नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) की आराधना की जाती है. पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री (Maa Shailputri) कहा जाता है.
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देवी (Maa Shailputri) के इस स्वरूप के दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल पुष्प है. ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर (Sriram Gurjar) का कहना है कि माता के इस स्वरूप को सौभाग्य, शांति और स्थिरता का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि देवी (Maa Shailputri) के इस स्वरूप की पूजा करने से मन कभी अशांत नहीं रहता और घर में सौभाग्य का आगमन होता है.
गुर्जर बताते हैं कि जिन जातकों के जीवन में उथल-पुथल मची रहती है और स्थायित्व का अभाव रहता है. मानसिक द्वंद्व रहता है. उन्हें माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
देवी शैलपुत्री को सफेद मिठाई, वस्त्र और पुष्प हैं विशेष प्रिय
मां शैलपुत्री (Maa Shailputri) को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है. उन्हें सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करने, सफेद मिठाई और सफेद पुष्प अर्पित करने से जल्द कृपा हासिल होती है. बीज मंत्र 'ॐ ह्रीं शिवायै नमः' के जाप से भी माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) प्रसन्न होती हैं.
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मनोकामना पूरी करने के लिए नवरात्रि के पहले दिन करें यह महा उपाय
एक साबुत पान का पत्ता लेकर उसके अंदर 27 साबुत लौंग रखने हैं. पान के पत्ते पर कलेवा (मोली) लपेटते हुए उसकी माला बनानी है. यह माला माता शैलपुत्री (Maa Shailputri) या मां भगवती को चढ़ाएं और माला चढ़ाते समय अपनी मनोकामना देवी को बताएं और उसे पूरी करने की प्रार्थना करनी चाहिए. इस उपाय से देवी शैलपुत्री (Maa Shailputri) प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूरी करती हैं.
शैलपुत्री देवी का ध्यान मंत्र-
वन्दे वांच्छित लाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम् ।
वृषारूढ़ां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम् ॥