जयपुरः राजस्थान हाईकोर्ट ने प्रदेश की 6759 पंचायतों के चुनाव स्थगित कर निवर्तमान सरपंचों को ही प्रशासक नियुक्त करने के मामले में राज्य सरकार से दो सप्ताह में बताने को कहा है कि पंचायतों का चुनाव कार्यक्रम क्या है और वे कब चुनाव कराएंगे. अदालत ने यह भी पूछा है कि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा होने के बाद उनमें सरपंचों को प्रशासक लगाने के क्या प्रावधान हैं?. सीजे एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश गिर्राज सिंह व अन्य की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रशासक केवल अस्थाई व्यवस्था और कम समय के लिए ही लगाए जा सकते हैं.
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेमचंद देवंदा व अजय पूनिया ने कहा कि राज्य के ग्रामीण विकास व पंचायत राज विभाग ने 16 जनवरी 2025 की नोटिफिकेशन जारी किया. इसमें संविधान व पंचायत राज अधिनियम के प्रावधानों की अवहेलना करते हुए पंचायतों को भंग किए बिना ही निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक लगा दिया है. ऐसा करना संविधान के अनुच्छेद 243 ई व 243 के और राजस्थान पंचायत राज एक्ट की धारा 17 व 94 की अवहेलना है.
पढ़ेंः पंचायत चुनावों को स्थगित कर निवर्तमान सरपंचों को प्रशासक लगाने पर मांगा जवाब
लोकतंत्र की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायतों में उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद आम चुनाव नहीं कराना गलत है. इसके अलावा नोटिफिकेशन में ना तो चुनाव कराए जाने की कोई सीमा तय है और ना प्रशासकों के कार्यकाल की ही कोई तिथि तय की है. संवैधानिक प्रावधानों में ना तो पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है और ना ही उनमें प्रशासक लगाए जा सकते हैं. वहीं, महाधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने पंचायत राज एक्ट की धारा 95 के तहत ही सरपंचों को प्रशासक लगाया है. इसके साथ ही महाधिवक्ता ने विस्तृत जवाब पेश करने के लिए समय मांगा. इस पर अदालत ने उन्हें दो सप्ताह का समय देते हुए इस संबंध में जानकारी देने को कहा है.