जयपुर. राज्य सरकार विधानसभा सदस्यों की निवासीय सुविधा नियम, 1997 के तहत वरिष्ठ जनप्रतिनिधियों को आवास आवंटन करने में विधायकों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है. भाजपा के वरिष्ठ नेता और पांच बार विधायक रहे नरपतसिंह राजवी ने विधानसभा स्पीकर को पत्र खिलकर इस संबंध में अपनी आपत्ति दर्ज कराई है.
राजवी की ओर से भेजे पत्र में कहा गया कि आठ विधायकों को उनके पसंद के घर आवंटित किए गए हैं. वहीं बीते एक साल में कुछ विधायकों को उनका मौजूदा आवास ही आवंटित किया गया है. विधानसभा सदस्यों को निवासीय सुविधा नियम, 1997 के संशोधन के तहत जिन विधायकों को आवास आवंटन का लाभ दिया गया है, उनमें से अधिकांश उनसे कनिष्ठ हैं. पूर्व मुख्यमंत्री के बाद प्रदेश में कैबिनेट मंत्री और कम से कम तीन बार विधायक रहने की कैटेगिरी में उनका वरिष्ठता में पहला स्थान है. इसके बावजूद उनकी आरे से पूर्व में लिखे पत्र पर कार्रवाई ना कर अपने पसंद के विधायकों को उनकी पसंद के आवास आवंटित किए गए हैं. राजवी की ओर से भेजे पत्र में पीड़ा जाहिर करते हुए कहा गया कि उनका परिवार वर्ष 1952 से विधानसभा के माध्यम से प्रदेश की सेवा कर रहा है लेकिन इस भेदभाव से वे पूरी तरह आहत हुए हैं. ऐसे में पत्र पर कार्रवाई करते हुए नियमानुसार वरिष्ठता के तहत उन्हें 14, सिविल लाइन्स का बंगला आवंटित किया जाए.
भैरोसिंह शेखावत को हुआ था आवंटन
पत्र में कहा गया है कि 14, सिविल लाइन्स बंगला भैरोसिंह शेखावत को बतौर पूर्व मुख्यमंत्री आवंटित किया गया था. उनके निधन के बाद उपराष्ट्रपति पेंशन अधिनियम के तहत उनकी विधवा सूरज कंवर को यह आवास आवंटित हुआ. इसके बाद सूरज कंवर के निधन के अगले दिन से भैरोसिंह के दत्तक पुत्र विक्रमादित्य सिंह राज्य सरकार को अग्रिम किराया जमा करा रहे हैं.
नियमों में संशोधन कर तय की गई है कैटेगिरी
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गत एक अगस्त को अधिसूचना जारी कर विधानसभा सदस्यों को निवासीय सुविधा नियम, 1997 में संशोधन कर प्रावधान किया है कि जो प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, भारत सरकार में राज्यमंत्री रहा हो और कम से कम तीन बार सदस्य रहा हो, राज्य का कैबीनेट मंत्री रहा हो और कम से कम दो बार सदस्य रहा हो या कम से कम दो बार सांसद रहा हो को गृह समिति उनकी बारी से पहले समुचित आवास आवंटित कर सकेगी.