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Rajasthan High court : सेवानिवृत्ति के बाद शिक्षक का चयन माना अवैध, अधिकारियों को किया तलब - Selection of teachers after retirement in Rajasthan

राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक की सेवानिवृत्ति के बाद उसके चयन को (Rajasthan High court) अवैध मानने से जुड़े एक मामले की सुनवाई की. कोर्ट ने इस संबंध में बीकानेर जिला परिषद के सीईओ और जिला शिक्षाधिकारी को 30 अगस्त को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Aug 6, 2022, 11:17 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक की सेवानिवृत्ति के बाद उसके चयन को अवैध मानने पर (High Court summoned officials) बीकानेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला शिक्षाधिकारी को तीस अगस्त को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 24 अप्रैल, 1990 को बीकानेर जिला परिषद में हुई थी. विभाग में कई बार अभ्यावेदन देने के बाद भी उसे नियमित नहीं किया गया. वहीं जून, 2018 को वह जयपुर के दूदू से सेवानिवृत्त हो गया. जब उसे पेंशन परिलाभ नहीं दिए गए तो उसने हाईकोर्ट में याचिका पेश की. जिस पर सुनवाई करते हुए गत दिनों अदालत ने विभाग से जवाब मांगा था.

पढ़ें. तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2021: खेल कोटे के अभ्यर्थियों को वरीयता के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

जिसके जवाब में विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति पूर्ण रूप से अस्थाई तौर पर हुई थी. शिक्षक ने अप्रैल 1999 को जिला स्थापना समिति को अध्यापक चयन के लिए आवेदन किया. लेकिन संवीक्षा रिपोर्ट पर प्रभारी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं होने तक उसकी बीएसटीसी की डिग्री की जांच रिपोर्ट नहीं होने के कारण उसका चयन नहीं किया गया. वहीं बाद में उसका तबादला बीकानेर से जयपुर में हो गया. ऐसे में रिकॉर्ड के अभाव में आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई. इसके अलावा जयपुर से इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं आने के कारण जिला स्थापना समिति, बीकानेर की ओर से चयन की कार्रवाई नहीं की गई.

जवाब में यह भी कहा गया कि याचिका दायर करने के बाद विभाग ने याचिकाकर्ता के डिप्लोमा की जांच के लिए कमेटी गठित की. कमेटी को संबंधित संस्था ने बताया कि प्रयागराज हाईकोर्ट के वर्ष 2004 के आदेश पर संस्था का रिकॉर्ड सीज होने के कारण याचिकाकर्ता की अंकतालिका का सत्यापन नहीं हो पाएगा. वहीं कमेटी को राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान, कानपुर की रजिस्ट्रार गीता मिश्रा ने बताया कि संस्थान ने याचिकाकर्ता को उपाधि नहीं दी है. ऐसे में जिला स्थापना समिति ने गत दो अगस्त को याचिकाकर्ता के प्राइमरी टीचर प्रमाण पत्र को वैध नहीं मानते हुए उनका स्थायीकरण नहीं करने का निर्णय लिया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला शिक्षाधिकारी को हाजिर होकर जवाब देने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने तृतीय श्रेणी शिक्षक की सेवानिवृत्ति के बाद उसके चयन को अवैध मानने पर (High Court summoned officials) बीकानेर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला शिक्षाधिकारी को तीस अगस्त को हाजिर होने के आदेश दिए हैं. जस्टिस इंद्रजीत सिंह ने यह आदेश रामस्वरूप शर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता लक्ष्मीकांत शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति 24 अप्रैल, 1990 को बीकानेर जिला परिषद में हुई थी. विभाग में कई बार अभ्यावेदन देने के बाद भी उसे नियमित नहीं किया गया. वहीं जून, 2018 को वह जयपुर के दूदू से सेवानिवृत्त हो गया. जब उसे पेंशन परिलाभ नहीं दिए गए तो उसने हाईकोर्ट में याचिका पेश की. जिस पर सुनवाई करते हुए गत दिनों अदालत ने विभाग से जवाब मांगा था.

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जिसके जवाब में विभाग ने कहा कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति पूर्ण रूप से अस्थाई तौर पर हुई थी. शिक्षक ने अप्रैल 1999 को जिला स्थापना समिति को अध्यापक चयन के लिए आवेदन किया. लेकिन संवीक्षा रिपोर्ट पर प्रभारी अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं होने तक उसकी बीएसटीसी की डिग्री की जांच रिपोर्ट नहीं होने के कारण उसका चयन नहीं किया गया. वहीं बाद में उसका तबादला बीकानेर से जयपुर में हो गया. ऐसे में रिकॉर्ड के अभाव में आगे की कार्रवाई नहीं हो पाई. इसके अलावा जयपुर से इस संबंध में कोई प्रस्ताव नहीं आने के कारण जिला स्थापना समिति, बीकानेर की ओर से चयन की कार्रवाई नहीं की गई.

जवाब में यह भी कहा गया कि याचिका दायर करने के बाद विभाग ने याचिकाकर्ता के डिप्लोमा की जांच के लिए कमेटी गठित की. कमेटी को संबंधित संस्था ने बताया कि प्रयागराज हाईकोर्ट के वर्ष 2004 के आदेश पर संस्था का रिकॉर्ड सीज होने के कारण याचिकाकर्ता की अंकतालिका का सत्यापन नहीं हो पाएगा. वहीं कमेटी को राष्ट्रीय पत्राचार संस्थान, कानपुर की रजिस्ट्रार गीता मिश्रा ने बताया कि संस्थान ने याचिकाकर्ता को उपाधि नहीं दी है. ऐसे में जिला स्थापना समिति ने गत दो अगस्त को याचिकाकर्ता के प्राइमरी टीचर प्रमाण पत्र को वैध नहीं मानते हुए उनका स्थायीकरण नहीं करने का निर्णय लिया है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी और जिला शिक्षाधिकारी को हाजिर होकर जवाब देने को कहा है.

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