जयपुर. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने यूथ कांग्रेस की ओर से मनाए जा रहे बेरोजगारी दिवस को सियासी पाखंड बताया है. यूथ पार्लियामेंट में युवाओं से लोकतंत्र में उनकी भूमिका पर चर्चा करते हुए उन्होंने केंद्र सरकार की योजनाओं की जमकर तारीफ की. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई की ओर से मनाए जा रहे बेरोजगारी दिवस पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया.
सतीश पूनिया ने बेरोजगारी दिवस को महज एक सियासी कारण बताते हुए कहा कि कांग्रेस को देश की आजादी के बाद 70 वर्ष में से 50 वर्ष काम करने का मौका मिला. वो किसानों और नौजवानों की समस्याएं दूर करते हुए इच्छाएं और अपेक्षाएं पूरी कर सकते थे. लेकिन आज बेरोजगारी दिवस मना कर खुद पाप के भागी बन रहे हैं. ये महज एक सियासी पाखंड है. ईटीवी भारत से बातचीत में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश वासियों की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जन्मदिन की बधाई देते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी 2014 में भ्रष्टाचार और अराजकता के खिलाफ देश में राजनीतिक परिवर्तन के कारक बने. इसके पीछे सबसे बड़ी ऊर्जा और ताकत नौजवानों की थी. भारत में लगभग 55 करोड़ नौजवान आबादी है, जो दुनिया में कहीं नहीं है. देश का नौजवान अब मुखर भी है, जागरूक भी है.
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पीएम मोदी ने जिस तरह से बुनियादी विकास को गति दी, जनधन, उज्ज्वला, आवास, आयुष्मान जैसी योजनाओं से देश में बदलाव आया. वहीं श्री राम जन्मभूमि से लेकर अनुच्छेद 370 जैसे बहुत से वैचारिक मुद्दे थे, जिनका समाधान किया गया. इससे युवा भी आकर्षित हुए. एक सामान्य कार्यकर्ता से लोकतंत्र के शीर्ष तक पहुंचने वाले नरेंद्र मोदी की जीवन यात्रा नौजवानों के लिए प्रेरणा का रास्ता हो सकती है.
वहीं प्रताप सिंह खाचरियावास की ओर से शहरी मनरेगा लागू करने के बयान पर सतीश पूनिया ने कहा कि शहरी बेरोजगारी को दूर करने के लिए स्ट्रीट वेंडर्स को ताकत दी है. लगभग 25 लाख स्ट्रीट वेंडर्स को 2500 करोड़ रुपए की सहायता दी गई है. कोरोना के कालखंड में जिन लोगों को तकलीफ हुई, उनको राहत देने की कोशिश की गई है. इस संबंध में और ज्यादा एक्शन प्लान की आवश्यकता है, तो निश्चित रूप से सरकार उस दिशा में सोच रही होगी.
उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता मोहन प्रकाश के देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खत्म होने के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि इस देश में लोकतंत्र पर हमला और प्रेस पर सेंसरशिप 1975 में हुई थी. पहली बार आपातकाल लगा और देश ने करीब 2 वर्षों तक वो दंश झेला है. अब जाकर भारत का लोकतंत्र मुखर हुआ है, सशक्त हुआ है. यदि दुनिया में इबादत की और अभिव्यक्ति की आजादी सबसे ज्यादा कहीं है तो वो भारत में ही है.
3 दिन तक चले यूथ पार्लियामेंट के आखिरी सत्र में सतीश पूनिया के साथ केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी के कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा भी मौजूद रहे. इस सत्र के बाद 20 से ज्यादा राज्यों के करीब 200 ज्यादा प्रतिभागियों को राजस्थान विधानसभा के विजिट पर भी ले जाया गया.