जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश मेें महिला स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की बेहतर मार्केटिंग के लिए उचित प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराएगी. इससे उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सकेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से बड़ी संख्या में महिलाएं स्वावलम्बी बन रही हैं और उनका सामाजिक और आर्थिक सशक्तीकरण हो रहा है.
बता दें कि सीएम अशोक गहलोत बुधवार को मुख्यमंत्री निवास से राजस्थान ग्रामीण आजीविका परिषद और ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से रामलीला मैदान में आयोजित जयपुर सरस राष्ट्रीय क्राफ्ट मेले का वर्चुअल शुभारंभ कर रहे थे. इस दौरान मुख्यमंत्री ने इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आए दस्तकारों, शिल्पकारों, कलाकारों का स्वागत करते हुए कहा कि राज्य सरकार उनकी कला और हुनर को भरपूर प्रोत्साहन देगी. राजस्थान में 2 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों के जरिए 23 लाख से अधिक महिलाओं का जुड़ना शुभ संकेत है. कहा कि यह दर्शाता है कि महिलाएं आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर हैं.
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वहीं मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने दस्तकारों, बुनकरों, हस्तशिल्पियों आदि कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कई घोषणाएं की हैं. इसमें दिल्ली हाट की तर्ज पर जयपुर हाट विकसित करने, सीकर के अरबन हाट का काम पूरा करने, राजीविका से जुड़े ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों के एक लाख रूपए तक के उत्पादों की सरकारी विभागों में सीधी खरीद का प्रावधान, हैण्डलूम के कार्डधारक बुनकरों को एक लाख रूपए और हैण्डीक्राफ्ट दस्तकारों के लिए तीन लाख रूपए तक के ऋण पर ब्याज का राज्य सरकार की ओर से शत-प्रतिशत पुर्नभरण जैसी कई घोषणाएं शामिल हैं.
गहलोत ने कहा कि ऑर्गेनिक खेती का प्रचलन दिनों-दिन बढ़ रहा है, जिसे देखते हुए स्वयं सहायता समूह अधिक से अधिक ऑर्गेनिक उत्पाद तैयार करें. ताकि इससे लोगों को गुणवत्तायुक्त उत्पाद मिलने के साथ ही स्वयं सहायता समूहों को बेहतर मूल्य भी मिल सके. साथ ही उन्होंने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों की सराहना करते हुए कहा कि ये उत्पाद ईको-फ्रेंडली होने के साथ-साथ हमारी संस्कृति के आदान-प्रदान और उसके संरक्षण में बड़ी भूमिका निभाते हैं. ऐसे मेले हमारी सांस्कृतिक विविधता और अनेकता में एकता की भावना को और मजबूत करते हैं.
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मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर मेले में देश के विभिन्न क्षेत्रों से आई स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं से संवाद किया. बिहार की संगीता देवी, नागालैण्ड की चुभासेनला, दमन और दीव की रश्मिता बेन, भरतपुर की बृजेश भार्गव और जयपुर की शालिनी सोनी ने उत्पादों के बारे में जानकारी देने के साथ ही महिला स्वयं सहायता से जुड़ने से हुए उनके आर्थिक और सामाजिक स्वावलम्बन के अनुभव बताए. सात ही मुख्यमंत्री ने उनके प्रयासों की सराहना की और कहा कि वे निरन्तर कामयाबी की ओर आगे बढ़ते रहें. वहीं
मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि राजस्थान में स्वयं सहायता समूह की परिकल्पना काफी पुरानी है और आज इतनी बडी संख्या में महिलाओं का इनसे जुड़ना इनकी कामयाबी को दर्शाता है.
इसके साथ ही कहा कि महिला स्वयं सहायता समूहों को वित्तीय समावेशन की दिशा में राज्य सरकार प्रयासरत है. इसके साथ ही अतिरिक्त मुख्य सचिव ग्रामीण विकास और पंचायतीराज रोहित कुमार सिंह ने बताया कि 21 मार्च तक चलने वाले इस राष्ट्रीय मेले में 22 राज्यों के करीब 300 समूहों ने 150 स्टॉल्स लगाई हैं. इसमें दस्तकारों और तैयार गलीचे, कालीन, दरियां, जयपुरी रजाइयां, पेपरमेशी के उत्पाद, लाख और कांच की चूड़ियां, चमड़े की जूतियां, खाद्य पदार्थ सहित विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प और हैण्डीक्राफ्ट उत्पाद उपलब्ध हैं.
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इस दौरान राजीविका की मिशन निदेशक शुचि त्यागी ने आभार व्यक्त किया. वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री निवास पर उदयपुर, त्रिपुरा और टोंक जिले के महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों ने मुख्यमंत्री को अपने-अपने स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों का अवलोकन कराया. इसके साथ ही गहलोत ने उनके उत्पादों की सराहना की और उनका उत्साहवर्धन किया.