जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस के 71 साल के इतिहास में प्रदेश अध्यक्ष पद पर लंबे समय तक रहने का रिकॉर्ड अब सचिन पायलट के नाम हो गया है. आज ही के दिन 21 जनवरी साल 2014 को पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने थे. पायलट से पहले प्रदेश में कोई भी नेता ऐसा नहीं रहा जो अपने एक कार्यकाल में 6 साल तक अध्यक्ष रहा हो.
राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के 6 साल पूरे होने के अवसर पर उन्होंने कहा कि 6 साल राजस्थान अध्यक्ष के सफर में जो प्यार और आशीर्वाद उन्हें राजस्थान की जनता से मिला है उसे अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा आशीर्वाद मानते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे दो दशक की राजनीति में पिछले 6 साल सबसे दिलचस्प रहे.
पायलट ने कहा कि इतिहास गवाह रहेगा कि कैसे कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने खून पसीना बहाया आंदोलन किए, प्रदर्शन किए, पद यात्रा की, रैलियां की, घेराव किए, लाठीचार्ज सहे पुलिस के और उसी का नतीजा है कि हमारी सीटों की संख्या 5 गुना बढ़कर 100 के पार हुई.
उन्होंने कहा कि अध्यक्ष होने के नाते हर बार यह बात बोलता हूं कि उन कार्यकर्ताओं की मेहनत ही दी कि हम आज जनता के सेवक बन सके और उन कार्यकर्ताओं के मान और सम्मान के लिए मैं हमेशा बोलता हूं और आगे भी बोलता रहूंगा जिन कार्यकर्ताओं ने विपक्ष में रहते हुए खून पसीना बहाया, लाठिया खाई, धरने प्रदर्शन किए उन लोगों के मान सम्मान के लिए मैं हमेशा बोलता रहूंगा.
आपको बता दें कि इससे पहले यह रिकॉर्ड परसराम मदेरणा के नाम था, जो 5 साल 11 महीने और 17 दिन तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे.
बस एक नजर में, अब तक के अध्यक्षों का कार्यकाल...
- गोकुलभाई भट्ट 26 जून 1948 से 11 जून 1949 तक
- जय नारायण व्यास 12 जून 1949 से 10 मई 1951 तक
- माणिक्य लाल वर्मा 11 मई 1951 से 22 अप्रैल 1952 तक
- मास्टर आदित्येंद्र 23 अप्रैल 1952 से अगस्त 1956 तक
- जय नारायण व्यास 1956 से 1957 तक अध्यक्ष रहे, उस समय क्षेत्रीय प्रदेश कांग्रेस के वह अध्यक्ष भी बने
- शोभाराम 1956 से 1957 तक अध्यक्ष रहे, उस समय संयुक्त प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे
- मथुरादास माथुर 1957 से 2 जनवरी 1958 तक
- सरदार हरलाल सिंह 3 जनवरी 1958 से 1959 तक
- मथुरादास माथुर 1960 से 11 मई 1962 तक
- हरिदेव जोशी 12 मई 1962 से 21 मई 1966 तक
- राम किशोर व्यास 22 मई 1966 से 23 सितंबर 1967 तक
- नाथूराम मिर्धा 24 सितंबर 1967 से 23 सितंबर 1971 तक
- लक्ष्मी कुमारी चुंडावत 24 सितंबर 1971 से 20 अप्रैल 1972 तक
- गिरधारी लाल व्यास 21 अप्रैल 1972 से 6 अगस्त 1977 तक
- नाथूराम मिर्धा 7 अगस्त 1977 से दिसंबर 1977 तक
- राम किशोर व्यास जनवरी 1978 से सितंबर 1980 तक
- रामनारायण चौधरी अक्टूबर 1980 से 16 जुलाई 1982 तक
- नवल किशोर शर्मा 17 जुलाई 1982 से 17 सितंबर 1985 तक
- अशोक गहलोत 18 सितंबर 1985 से 8 जून 1989 तक
- हीरालाल देवपुरा 8 जून 1989 से 7 दिसंबर 1989 तक
- परसराम मदेरणा 8 दिसंबर 1989 से 25 नवंबर 1995 तक
- अशोक गहलोत 1 दिसंबर 1995 से 14 अप्रैल 1999 तक
- डॉ. गिरिजा व्यास 15 अप्रैल 1999 से 16 जनवरी 2004 तक
- नारायण सिंह 17 जनवरी 2004 से 12 अप्रैल 2005 तक
- डॉक्टर बीडी कल्ला 13 अप्रैल 2005 से 24 सितंबर 2007 तक
- डॉक्टर सीपी जोशी 25 सितंबर 2007 से 16 जून 2011 तक
- डॉक्टर चंद्रभान 17 जून 2011 से 20 जनवरी 2014 तक
- सचिन पायलट 21 जनवरी 2014 से आज तक
कभी धूप, कभी छांव भरा रहा पायलट का कार्यकाल...
राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भले ही अपना एक बार में सबसे लंबा अध्यक्ष होने का रिकॉर्ड बना लिया है, लेकिन उनका यह सफर इतना आसान नहीं रहा. जब वह अध्यक्ष बनकर आए तो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महज 21 सीटों पर सिमट चुकी थी. उसके बाद जब लोकसभा चुनाव आए तो पायलट को एक तरीके से कांटों का ताज विरासत में मिला और यह सही भी हुआ, क्योंकि सभी 25 लोकसभा सीटों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. खुद सचिन पायलट भी अपनी सीट अजमेर लोकसभा सीट नहीं बचा सके.
163 सीटों की बहुमत वाली भाजपा से करते रहे मुकाबला...
इसके बाद वह लगातार सड़क पर 163 के बहुमत वाली भाजपा से मुकाबला करते रहे, लेकिन उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस को 3 से 4 विधानसभा सीटों पर जीत दिलवाई और विधानसभा चुनाव आते-आते उन्होंने अपने आप को एक बड़े नेता के तौर पर ही स्थापित नहीं किया, बल्कि मुख्यमंत्री का भी प्रबल दावेदार बना दिया.
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नहीं बन पाए मुख्यमंत्री...
साल 2018 का विधानसभा चुनाव पायलट की अध्यक्षता में लड़ा गया, जिससे कांग्रेस को विधानसभा में बहुमत भी मिला. हालांकि उन्हें मुख्यमंत्री तो नहीं, लेकिन राजस्थान सरकार में उपमुख्यमंत्री जरूर बनाया गया. इसके बाद एक बार फिर मई 2019 के लोकसभा चुनाव सचिन पायलट के लिए बुरा सपना साबित हुए और वह ऐसे नेता भी बन गए, जिनके अध्यक्ष रहते हुए लगातार दो लोकसभा चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले हुए दो लोकसभा उपचुनाव अजमेर और अलवर में कांग्रेस को जीत मिली थी. लेकिन वह जीत महज 6 महीने की ही रही.
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एक पद, एक व्यक्ति सिद्धांत...
राजस्थान में हुए निकाय चुनाव में कांग्रेस को 49 में से 37 निकाय और निगमों में जीत मिली. गाहे-बगाहे कई बार राजस्थान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदलने की चर्चाएं भी एक पद एक व्यक्ति सिद्धांत के आधार पर चलती रही. हालांकि अभी यह सब मुद्दे शांत हैं. ऐसे में देखना होगा कि सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के अपने कार्यकाल को और कितना लंबा खींचते हैं. वहीं पायलट के पास राजस्थान में पंचायती राज विभाग का चार्ज भी है और इन दिनों चुनाव करवाने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग के साथ चल रही उनकी जुबानी जंग भी चर्चा का विषय बनी हुई है.