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जयपुर ग्रामीण योद्धाः बेरोज गांव के पहरेदारों ने घुसने नहीं दिया कोरोना को, 2 गज की दूरी और मास्क को बनाया हथियार

पूरा देश कोरोना से जंग लड़ रहा है. क्या गांव क्या शहर हर व्यक्ति इस जंग में अपनी भागीदारी निभा रहा है. इस संबंध में जयपुर के ग्राम पंचायत ढाणी बोराज के लोग कोरोना को अपने गांव में घुसने भी नहीं दिया. रात-दिन पहरेदारी, 2 गज की दूरी, मास्क और सैनिटाइजर को अपना हथियार बनाया और कोरोना से जंग जारी रखी है.

jaipur corona special news, जयपुर कोरोना स्पेशल खबर
बोराज गांव के ग्रामीण योद्धा
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Published : Aug 20, 2020, 4:33 PM IST

जयपुर. वर्तमान में पूरा देश कोरोना की चपेट में है और इससे बचने के लिए सभी लोग हर प्रकार से इससे बचने के उपाय भी कर रहे हैं. शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी कोरोना अपने पैर पसार रहा है. आज हम बात करेगे ग्राम पंचायत ढाणी बोराज की जहां के लोगों की सूझबूझ ने इस ग्राम पंचायत में कोरोना संक्रमण से बचाए रखा.

कोरोना से लड़ने में सक्षम हैं बेरोज के ग्रामीण

ढाणी बोराज ग्राम पंचायत के इस गांव में 600 घरों की बस्ती है जिसमे 12 हजार लोग रहते है. बुजुर्गों का सहयोग और युवाओं के सूझबूझ ने कोरोना को गांव में प्रवेश तक नहीं करने दिया. वर्तमान आंकड़ों की बात करे तो 19 अगस्त की सुबह तक जयपुर में कोरोना के 7823 मामले हो गए है. वहीं, इस बिमारी से अपनी जान गंवाने वालों की संख्या 241 है.

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सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मीटिंग करते ग्रामीण

रात-दिन दिया पहरा

प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण के बीच लॉकडाउन लागू था और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही थी उस वक्त इस ग्राम पंचायत के लोगों ने बिना किसी प्रशासन की मदद के अन्य गांव से जुड़ने वाले सभी तीन रास्तों को सील कर दिया और गांव में प्रवेश के लिए मात्र एक रास्ते को खुला रखा. जिस पर भी रात दिन बारी-बारी से युवा पहरा देते है. यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि गांव वालों की आपसी समझ और सजगता के चलते कोरोना संक्रमण इस गांव में नहीं घुस सका.

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दुकानदार भी रख रहे सावधानी

पढ़ेंः Special : पाली में 'लॉकडाउन' नहीं मेडिकल सुविधाएं बढ़ेंगी, स्थापित होंगे नए कोविड केयर सेंटर

उन्होंने कहा कि गांव वालों ने अपने स्वविवेक से निर्णय लेते हुए गांव में प्रवेश के सभी मार्गों को बंद कर दिया. किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पूर्ण तरीके से रोक लगा दी. गांव में भी लोगों को घरों में रहने की नसीहत दी गई. साथ ही मास्क पहनने, बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने की नसीहत दी गई , यही वजह है की गांव में अब तक कोई भी कोरोना का कोई केस सामने नहीं आया.

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कोरोना की लड़ाई में नन्हा वॉरियर

2 गज की दूरी है जरूरी

ग्राम पंचायत की सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापिका की माने तो खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. अभी भी देश दुनिया में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का असर बरकरार है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन भले ही खुल गया हो और लोगों की आवाजाही भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन अभी भी गांव वाले बिना मास्क पहने बिना घर से बाहर नहीं निकलते. इतना ही नहीं बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने के नियमों का भी पालन करते हैं. गांव में अगर महिलाओं को भी देखे तो वह भी अपनी जरूरी कामकाज के दौरान मास्क का उपयोग करते हैं. युवा भी इस कोरोना वायरस के परिणामों को समझते हैं और इसीलिए वह हमेशा मास्क पहन कर रहते है.

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सैनिटाइजर का प्रयोग करते ग्रामीण

ग्राम पंचायत के बैठक में भी सोशल डिस्टेंसिंग

ग्राम पंचायत में होने वाली बैठकों में भी हमने देखा की वहां पर कर्मचारी ही नहीं बल्कि ग्रामवासियों ने भी मास्क लगाकर, सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की पालना करते नजर आए. सरपंच बताते हैं कि अभी भी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की जा रही है उसकी पालना वह सब करते हैं. क्योंकि अभी भी कोरोना वायरस जैसे संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हुआ है.

पढ़ेंः कोरोना के डर के आगे निगम भी मजबूर, कचरा निस्तारण बनी बड़ी चुनौती

जब भी लोग इकट्ठे होते हैं तब भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हैं और मास्क लगाकर ही एक दूसरे से बातचीत करते हैं. जब हम गांव की ग्राम पंचायत में पहुंचे और वहां के हालातों को देखा तो वहां भी लोग सरकार की गाइडलाइन की पूरी पालना करते नजर आए. सभी ने मास्क पहने हुए थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे.

ना बाहर गए ना बाहर से किसी को आने दिया

ग्राम पंचायत से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि गांव के लोग कोरोना वायरस जैसे संक्रमण की गंभीरता को पहले दिन से ही समझ रहे थे और उन्होंने कोई भी ऐसी लापरवाही नहीं की जिसकी वजह से गांव में संक्रमण का खतरा बढ़े. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने आपसी सहयोग से पूरे लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन किया. कोई भी व्यक्ति ना तो गांव से बाहर गया और ना ही गांव में किसी बाहरी व्यक्ति को आने दिया.

पढ़ेंः स्पेशल: रंग लाई मुहिम...अब इको फ्रेंडली 'गणेश' ले रहे आकार, POP से किया किनारा

इतना ही नहीं गांव में अगर किसी के आर्थिक हालात सही नहीं है तो उसे एक दूसरे के सहयोग से मदद भी की गई. गांव वाले बताते हैं कि यह बुरा वक्त है जो जल्द ही निकल जाएगा. इस बुरे वक्त में हम सब को एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा. एक दूसरे की समस्याओं को समझते हुए आपस में मिलनसार रहना होगा, तभी इस कोरोना संक्रमण को हराने में कामयाब हो सकेंगे.

जयपुर. वर्तमान में पूरा देश कोरोना की चपेट में है और इससे बचने के लिए सभी लोग हर प्रकार से इससे बचने के उपाय भी कर रहे हैं. शहरों के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र में भी कोरोना अपने पैर पसार रहा है. आज हम बात करेगे ग्राम पंचायत ढाणी बोराज की जहां के लोगों की सूझबूझ ने इस ग्राम पंचायत में कोरोना संक्रमण से बचाए रखा.

कोरोना से लड़ने में सक्षम हैं बेरोज के ग्रामीण

ढाणी बोराज ग्राम पंचायत के इस गांव में 600 घरों की बस्ती है जिसमे 12 हजार लोग रहते है. बुजुर्गों का सहयोग और युवाओं के सूझबूझ ने कोरोना को गांव में प्रवेश तक नहीं करने दिया. वर्तमान आंकड़ों की बात करे तो 19 अगस्त की सुबह तक जयपुर में कोरोना के 7823 मामले हो गए है. वहीं, इस बिमारी से अपनी जान गंवाने वालों की संख्या 241 है.

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सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मीटिंग करते ग्रामीण

रात-दिन दिया पहरा

प्रदेश में जब कोरोना संक्रमण के बीच लॉकडाउन लागू था और लोगों को घरों में रहने की हिदायत दी जा रही थी उस वक्त इस ग्राम पंचायत के लोगों ने बिना किसी प्रशासन की मदद के अन्य गांव से जुड़ने वाले सभी तीन रास्तों को सील कर दिया और गांव में प्रवेश के लिए मात्र एक रास्ते को खुला रखा. जिस पर भी रात दिन बारी-बारी से युवा पहरा देते है. यहां के बुजुर्ग बताते हैं कि गांव वालों की आपसी समझ और सजगता के चलते कोरोना संक्रमण इस गांव में नहीं घुस सका.

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दुकानदार भी रख रहे सावधानी

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उन्होंने कहा कि गांव वालों ने अपने स्वविवेक से निर्णय लेते हुए गांव में प्रवेश के सभी मार्गों को बंद कर दिया. किसी भी बाहरी व्यक्ति के आने-जाने पर पूर्ण तरीके से रोक लगा दी. गांव में भी लोगों को घरों में रहने की नसीहत दी गई. साथ ही मास्क पहनने, बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने की नसीहत दी गई , यही वजह है की गांव में अब तक कोई भी कोरोना का कोई केस सामने नहीं आया.

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कोरोना की लड़ाई में नन्हा वॉरियर

2 गज की दूरी है जरूरी

ग्राम पंचायत की सरकारी स्कूल की प्रधानाध्यापिका की माने तो खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है. अभी भी देश दुनिया में कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का असर बरकरार है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन भले ही खुल गया हो और लोगों की आवाजाही भले ही शुरू हो गई हो, लेकिन अभी भी गांव वाले बिना मास्क पहने बिना घर से बाहर नहीं निकलते. इतना ही नहीं बार-बार साबुन से हाथ धोने और 2 गज की दूरी बनाए रखने के नियमों का भी पालन करते हैं. गांव में अगर महिलाओं को भी देखे तो वह भी अपनी जरूरी कामकाज के दौरान मास्क का उपयोग करते हैं. युवा भी इस कोरोना वायरस के परिणामों को समझते हैं और इसीलिए वह हमेशा मास्क पहन कर रहते है.

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सैनिटाइजर का प्रयोग करते ग्रामीण

ग्राम पंचायत के बैठक में भी सोशल डिस्टेंसिंग

ग्राम पंचायत में होने वाली बैठकों में भी हमने देखा की वहां पर कर्मचारी ही नहीं बल्कि ग्रामवासियों ने भी मास्क लगाकर, सोशल डिस्टेसिंग के नियमों की पालना करते नजर आए. सरपंच बताते हैं कि अभी भी राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जो गाइडलाइन जारी की जा रही है उसकी पालना वह सब करते हैं. क्योंकि अभी भी कोरोना वायरस जैसे संक्रमण का खतरा खत्म नहीं हुआ है.

पढ़ेंः कोरोना के डर के आगे निगम भी मजबूर, कचरा निस्तारण बनी बड़ी चुनौती

जब भी लोग इकट्ठे होते हैं तब भी सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखते हैं और मास्क लगाकर ही एक दूसरे से बातचीत करते हैं. जब हम गांव की ग्राम पंचायत में पहुंचे और वहां के हालातों को देखा तो वहां भी लोग सरकार की गाइडलाइन की पूरी पालना करते नजर आए. सभी ने मास्क पहने हुए थे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे थे.

ना बाहर गए ना बाहर से किसी को आने दिया

ग्राम पंचायत से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि गांव के लोग कोरोना वायरस जैसे संक्रमण की गंभीरता को पहले दिन से ही समझ रहे थे और उन्होंने कोई भी ऐसी लापरवाही नहीं की जिसकी वजह से गांव में संक्रमण का खतरा बढ़े. उन्होंने कहा कि यहां के लोगों ने आपसी सहयोग से पूरे लॉकडाउन के दौरान नियमों का पालन किया. कोई भी व्यक्ति ना तो गांव से बाहर गया और ना ही गांव में किसी बाहरी व्यक्ति को आने दिया.

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इतना ही नहीं गांव में अगर किसी के आर्थिक हालात सही नहीं है तो उसे एक दूसरे के सहयोग से मदद भी की गई. गांव वाले बताते हैं कि यह बुरा वक्त है जो जल्द ही निकल जाएगा. इस बुरे वक्त में हम सब को एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होना होगा. एक दूसरे की समस्याओं को समझते हुए आपस में मिलनसार रहना होगा, तभी इस कोरोना संक्रमण को हराने में कामयाब हो सकेंगे.

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