जयपुर. राजस्थान पर्यटन विकास निगम (Rajasthan Tourism Development Corporation) के होटलों को लीज पर देकर कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेजने को लेकर आरटीडीसी कर्मचारी यूनियन (RTDC Employees Union) ने विरोध जताया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) ने होटलों को चलाने के लिए आईएमएफएल की सौगात दी है और नई होटले शुरू करने का निर्णय किया है. इसके बावजूद भी राजस्थान पर्यटन विकास निगम लीज पर देने की तैयारी कर रहा है. इन तमाम बातों को लेकर आरटीडीसी कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं.
कर्मचारियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार पैलेस ऑन व्हील भी निजी हाथों में देने की तैयारी कर रही है. कोरोना संकट के बाद पर्यटन विकास निगम को करीब 171 करोड रुपए का घाटा पहुंचा है. जिसके बाद पर्यटन विकास निगम ने सभी कार्यों को लीज पर देने की तैयारी की है. 30 वर्ष के लिए लीज अवधि होगी और प्रतिवर्ष 5% की वृद्धि की जाएगी. जो सबसे ज्यादा बोली लगाएगा उसी को लीज पर संपति दी जाएगी. संचालन के लिए सभी आवश्यक अनुमति निविदा दाता को प्राप्त करनी होगी. विवाद की स्थिति में द्वितीय स्तर पर अपील की सुविधा होगी.
आरटीडीसी कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष तेज सिंह राठौड़ ने बताया कि राजस्थान पर्यटन विभाग का प्रशासन आरटीडीसी को बंद करना चाह रहा है. आरटीडीसी की सारी होटले बंद कर के कर्मचारियों को प्रतिनियुक्ति पर भेज कर होटलों को लीज पर देना चाहते हैं. राजस्थान पर्यटन विकास निगम के तमाम कर्मचारियों और पर्यटन से जुड़े तमाम लोगों में इस बात को लेकर आक्रोश है. जिन होटलों के माध्यम से पर्यटकों को खुलेआम लूटने से बचा रहे हैं और राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा दिया, सरकार उनको बंद करना चाहती है. जबकि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने होटलों को चलाने के लिए आईएमएफएल की सौगात दी और नई होटले शुरू करने का निर्णय किया. इसके बावजूद भी राजस्थान पर्यटन विकास निगम लीज पर देने की तैयारी कर रहा है. इन तमाम बातों को लेकर कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा कि ऐसे अधिकारियों को पदस्थापित किया जाए जो राजस्थान पर्यटन विकास निगम को चलाने में रुचि रखते हो. ऐसे अधिकारियों को लगाया जाए तो राजस्थान पर्यटन विकास निगम मुनाफे में होगा. 2 साल से कोरोना के चलते राजस्थान पर्यटन विकास की स्थिति खराब हुई है. इससे पहले राजस्थान पर्यटन विकास निगम ने सालों साल सरकार को करोड़ों रुपए मुनाफा कमा कर दिया है. मुख्यमंत्री ने भी यह बात कही है कि आरटीडीसी का उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं है. आरटीडीसी का उद्देश्य नए सर्किट डेवलप करना है और पर्यटकों को लूटने से बचाना है.
इसके बावजूद भी राजस्थान पर्यटन विकास निगम द्वारा सभी इकाइयों को बंद कर निगम के कर्मचारियों को अन्य विभागों में विपरीत प्रतिनियुक्ति पर भेजने और निगम की इकाईयों के नाम पर 500 करोड रुपए का ऋण लेकर निगम को कार्यकारी संस्था बनाने का निर्णय लिया गया है. मुख्यमंत्री की ओर से चुनाव के पहले किए गए वादे के अनुरूप राजस्थान पर्यटन विकास निगम को सुदृढ़ करने के निर्णय विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लिए गए हैं, जिसमें आरटीडीसी यूनिट को बंद करना तो दूर बल्कि बंद पड़ी यूनिट को वापस संचालित करना, निगम की वित्तीय तरलता की स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए आईएमएफएल व्यवसाय आवंटित करना भी शामिल है.
ऐसे में आरटीडीसी प्रशासन द्वारा समीक्षा बैठक में रखे गए प्रस्ताव से कर्मचारियों में संशय की स्थिति पैदा हो गई है. कर्मचारियों की मांग है कि ऐसे निर्णय पर रोक लगाई जाए और पहले की तरह आरटीडीसी में जल महल तिजारा फोर्ट की तर्ज पर होने वाले किसी भी तरीके गलत निर्णय को नहीं दोहराया जाये. आरटीडीसी की स्थापना वर्ष 1979 में हुई थी. इसका मुख्य उद्देश्य था कि देसी और विदेशी सैलानियों को राजस्थान में आगमन पर सस्ती और रिहायति दरों पर आवास और भोजन की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ ही निजी होटलों के द्वारा की जा रही मनमानी पर रोक लगाई जा सके और उनके एकाधिकार पर अंकुश लगाया जा सके.
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तेज सिंह राठौड़ के अनुसार आरटीडीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी कड़ी मेहनत से और अपनी उत्कृष्ट सेवाओं से निगम और राज्य सरकार की साख में जबरदस्त इजाफा किया. साथ ही देश ही नहीं विदेशों में आरटीडीसी की पहचान बनी. आरटीडीसी की स्थापना का उद्देश्य प्रदेश में आने वाले पर्यटकों को कम दर में सेवाएं उपलब्ध करवाई जाए. लेकिन आरटीडीसी के अधिकारियों ने निगम को एक वाणिज्यिक संस्था के रूप में मानते हुए लाभ हानि से जोड़ दिया है. उन्होंने कहा कि पर्यटन विकास निगम में अधिकारियों और कर्मचारियों को समय पर वेतन और सेवानिवृत्ति परिलाभ नहीं दिए जाकर निगम प्रशासन द्वारा इस प्रकार से भय और डर पैदा किए जाने के साथ ही पर्यटन निगम कर्मचारियों के मनोबल को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.