जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने चिकित्सा विभाग में 37 पदों के लिए आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती 2015 में आरपीएससी की ओर से अपनाई गई चयन प्रक्रिया और चयन सूची को वैध करार दिया है. इसके साथ ही अदालत ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के अधिक अंक लाने पर उन्हें सामान्य श्रेणी के पदों पर माइग्रेट करने को भी सही माना है. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेंद्र गोयल की खंडपीठ ने ये आदेश आरपीएससी और अन्य की रिव्यू पिटीशन पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने आरपीएससी को स्क्रीनिंग टेस्ट में पास होने वाले सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने, संयुक्त मेरिट लिस्ट बनाने और माइग्रेशन के नियम की पालना करके संशोधित मेरिट लिस्ट जारी करने के अपने निर्देश को वापस ले लिया है.
आरपीएससी के अधिवक्ता एमएफ बैग ने बताया कि भर्ती पूरी तरह से इंटरव्यू के अंको पर आधारित थी. आवेदन अधिक आने पर अभ्यर्थियों की शॉर्ट लिस्टिंग करने के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट लिया गया. जिसमें वर्गवार 3 गुना चयनतों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया.
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इसमें कुछ असफल अभ्यर्थियों की ओर से चुनौती देते हुए कहा गया कि आयोग ने अभ्यर्थियों को वर्गवार साक्षात्कार के लिए बुलाया है. इसके अलावा नियुक्ति के लिए साक्षात्कार में समान अंक लाने वाले अभ्यर्थियों के स्क्रीनिंग के अंको को भी देखा जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकल पीठ ने स्क्रीनिंग के अंकों को वेटेज देने और सामान्य वर्ग में माइग्रेट नहीं करने के आदेश दिए. इसके खिलाफ आरपीएससी और चयनित अभ्यर्थियों ने खंडपीठ में अपील पेश की.
खंडपीठ ने वर्गवार अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाने के बजाय पुनः संयुक्त रूप से मेरिट लिस्ट बनाकर माइग्रेशन का लाभ देने को कहा. इसके खिलाफ रिव्यू याचिका दायर कर कहा गया कि आयोग ने साक्षात्कार के लिए बजाय सामान्य रूप से ही अभ्यर्थियों को बुलाया था. ऐसे में पूर्व के आदेश पर पुनर्विचार किया जाए.