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ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर कब्जा क्यों चाहते हैं ट्रंप, अमेरिका के लिए दोनों कितने अहम, जानें - DONALD TRUMP

डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की सुरक्षा के लिए ग्रीनलैंड और पनामा नहर पर कब्जे को जरूरी बताया है.

reasons behind donald trump desire for us to acquire greenland and panama canal
डोनाल्ड ट्रंप (AP)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 15 hours ago

हैदराबाद: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पड़ोसी देशों को यूएस में शामिल किए जाने की वकालत कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कनाडा को अमेरिका में शामिल करने को लेकर बयान दिया था. अब उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड और पनामा नहर को अमेरिका के नियंत्रण में लाने की इच्छा जाहिर की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने फ्लोरिडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन मुद्दों पर खुलकर बात की. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा के लिए दोनों की जरूरत है.

ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या वह ग्रीनलैंड या पनामा नहर पर कब्जे के लिए सैन्य या आर्थिक बल का प्रयोग करेंगे? तो उन्होंने कहा, "नहीं, मैं आपको इन दोनों पर ही विश्वास नहीं दिला सकता हूं."

हालांकि, डेनमार्क और पनामा दोनों ने ही ट्रंप के इस सुझाव को नकार दिया है. ग्रीनलैंड, डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है, जबकि पनामा नहर पर मध्य अमेरिकी देश पनामा का नियंत्रण है. पनामा नहर उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के दो महाद्वीपों को अलग करती है.

इसी तरह, कनाडा को मिलाने की बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कनाडा की सुरक्षा पर अरबों डॉलर खर्च करता है. इसलिए कनाडा को अमेरिका का एक राज्य होना चाहिए. हालांकि कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विलय की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है.

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा कि ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड के लोगों का है... सिर्फ स्थानीय लोग ही इसके भविष्य का निर्णय कर सकते हैं. ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डेनमार्क को नाटो सदस्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरूरत है. इसी प्रकार, ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है.

ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए क्यों अहम
उत्तरी अमेरिका से यूरोप तक के सबसे छोटे मार्ग पर स्थित द्वीप ग्रीनलैंड एक बड़े अमेरिकी अंतरिक्ष केंद्र का घर है. यह दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार हैं, जो बैटरी और उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं. ट्रंप का कहना है कि चीनी और रूसी जहाजों पर नजर रखने के लिए यह द्वीप महत्वपूर्ण है.

  • ग्रीनलैंड का कुल क्षेत्रफल 2.16 मिलियन वर्ग किलोमीटर (836,330 वर्ग मील) है, जिसमें अन्य तटवर्ती द्वीप भी शामिल हैं.
  • डेनमार्क ने 1721 में द्वीप का उपनिवेश बनाया.
  • ग्रीनलैंड में लगभग 57,000 लोग बसे हैं, जिनमें से अधिकांश स्वदेशी इनुइत समुदाय (Inuit Community) के हैं.
  • इनुइट ने पिछले लगभग 800 वर्षों से ग्रीनलैंड को आबाद किया है.
  • ग्रीनलैंड आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है.
  • यह भौगोलिक दृष्टि से उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा है.
  • ग्रीनलैंड की अपनी स्थानीय सरकार है, लेकिन इस पर डेनमार्क का भी नियंत्रण है.
  • ग्रीनलैंड की आधिकारिक भाषा ग्रीनलैंडिक है.

ग्रीनलैंड पर कब्जा क्यों करना चाहते हैं ट्रंप

ट्रंप की ग्रीनलैंड में नई दिलचस्पी आर्कटिक सुरक्षा के बारे में अमेरिका की बड़ी चिंताओं और रूसी प्रभाव का मुकाबला करने की उसकी इच्छा को दर्शाती है. ग्रीनलैंड पर नियंत्रण हासिल कर, अमेरिका आर्कटिक में अपनी पैठ मजबूत कर सकता है और बहुमूल्य संसाधनों तक पहुंच सुरक्षित कर सकता है.

उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा ग्रीनलैंड आर्कटिक से अपनी निकटता और अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के कारण भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.

द्वीप का स्थान आर्कटिक तक पहुंच प्रदान करता है, जो प्रभाव और संसाधनों के लिए होड़ करने वाले देशों के लिए बढ़ती रुचि का क्षेत्र है.

ग्रीनलैंड और आर्कटिक में ट्रंप की दिलचस्पी इस क्षेत्र में रूस और चीन से आगे निकलने को लेकर अमेरिका की चिंताओं को दर्शाती है. रूस अपने सहयोगी चीन के साथ पहले से ही आर्कटिक में अपनी पैठ बढ़ाना चाहता है.

अलास्का के कारण अमेरिका आर्कटिक परिषद बहुपक्षीय समूह का सदस्य भी है, उसका लक्ष्य चीन की 'पोलर सिल्क रोड' पहल को रोकना है, जो दुनिया भर में वैकल्पिक मार्ग है.

प्राकृतिक संसाधनों का भंडार
ग्रीनलैंड की विशाल संसाधन क्षमता, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, यूरेनियम और संभावित तेल भंडार शामिल हैं, इसे आर्कटिक क्षेत्र में रणनीतिक संपत्ति बनाती है.

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र, जिसमें ग्रीनलैंड और कनाडा शामिल हैं, दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत गैस और 13 प्रतिशत तेल का घर है. यहां बर्फ के नीचे, अनुमानित एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुएं हैं.

सुरक्षा को लेकर चिंताएं
डेनिश इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ शोधकर्ता उलरिक प्राम गाद के अनुसार, "अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी विरोधी देश ग्रीनलैंड पर नियंत्रण न कर पाए, क्योंकि यह अमेरिका पर हमला करने के लिए एक आधार हो सकता है."

ग्रीनलैंड को खरीदने के लिए अमेरिकी प्रयास
ट्रंप का प्रयास ग्रीनलैंड को खरीदने का पहला अमेरिकी प्रयास नहीं है. अमेरिका ने 1867 से कई बार ग्रीनलैंड को खरीदने पर विचार किया है. 1941 में, जब डेनमार्क ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो अमेरिका ने ग्रीनलैंड की रक्षा की जिम्मेदारी संभाली और अन्य चीजों के अलावा दो बड़े हवाई अड्डे स्थापित किए.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका ने ग्रीनलैंड को 100 मिलियन अमरीकी डॉलर में खरीदने की पेशकश की, लेकिन डेनमार्क ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

1946 में, अमेरिका ने आर्कटिक द्वीप के रणनीतिक भागों के लिए अलास्का में भूमि की अदला-बदली के विचार के साथ ग्रीनलैंड को खरीदने के लिए डेनमार्क को 100 मिलियन डॉलर (€90 मिलियन) का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि अमेरिका और डेनमार्क एक समझौते पर पहुंचे और 1951 में अमेरिका को ग्रीनलैंड के सबसे उत्तरी भाग में एयर बेस स्थापित करने की अनुमति मिली.

पनामा नहर के नियंत्रण क्यों चाहता है अमेरिका

पनामा नहर को लेकर ट्रंप ने कहा है कि यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने दावा किया कि चीन इसका संचालन कर रहा है. पनामा जलमार्ग अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ता है. हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए कहा कि नहर में चीन का हस्तक्षेप नहीं है.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक हांगकांग की कंपनी सीके हचिसन होल्डिंग्स पनामा नहर के प्रवेश द्वार पर दो बंदरगाहों का प्रबंधन करती है.

पनामा नहर का निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में किया गया था. अमेरिका का 1977 तक नहर क्षेत्र पर नियंत्रण था. 1977 में टोरीजोस-कार्टर संधि के तहत नहर को पनामा को सौंप दिया गया. ट्रंप ने कहा है कि पनामा नहर को पनामा को सौंपना एक बड़ी गलती थी.

पनामा नहर का महत्व

पनामा नहर वैश्विक समुद्री परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है. यह अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती है, जिससे जहाजों को दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से पर केप हॉर्न के आसपास लंबी और खतरनाक यात्रा नहीं करनी पड़ती है.

वैश्विक समुद्री परिवहन का अनुमानित 5 प्रतिशत पनामा नहर से होकर गुजरता है, जो एशिया और अमेरिका के पूर्वी तट के बीच यात्रा करने वाले जहाजों को दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से के आसपास लंबे और खतरनाक मार्ग से बचने की अनुमति देता है.

पनामा नहर कुल वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 7.7 प्रतिशत का योगदान देती है और कुल वार्षिक निर्यात में इसकी 15.9 प्रतिशत भागीदारी है. पनामा नहर प्राधिकरण ने कहा कि नहर ने वित्त वर्ष 2024 में पनामा के खजाने में 2.47 बिलियन डॉलर का योगदान दिया.

पनामा नहर के निर्माण को लेकर प्रमुख तथ्य

  • ब्याज सहित पनामा नहर निर्माण की कुल लागत 1925 के डॉलर में 763.7 मिलियन डॉलर आई.
  • 1904 से 1913 के बीच नहर पर 56,000 से ज्यादा लोगों ने काम किया.
  • 1913 में निर्माण पूरा हुआ था.
  • पनामा नहर के निर्माण में 27,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई.

यह भी पढ़ें- शपथ लेने से पहले ट्रंप ने शेयर किया नया नक्शा, कनाडा को बताया अमेरिका का हिस्सा, ट्रूडो भड़के

हैदराबाद: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने पड़ोसी देशों को यूएस में शामिल किए जाने की वकालत कर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कनाडा को अमेरिका में शामिल करने को लेकर बयान दिया था. अब उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड और पनामा नहर को अमेरिका के नियंत्रण में लाने की इच्छा जाहिर की है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने फ्लोरिडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इन मुद्दों पर खुलकर बात की. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की आर्थिक सुरक्षा के लिए दोनों की जरूरत है.

ट्रंप से जब पूछा गया कि क्या वह ग्रीनलैंड या पनामा नहर पर कब्जे के लिए सैन्य या आर्थिक बल का प्रयोग करेंगे? तो उन्होंने कहा, "नहीं, मैं आपको इन दोनों पर ही विश्वास नहीं दिला सकता हूं."

हालांकि, डेनमार्क और पनामा दोनों ने ही ट्रंप के इस सुझाव को नकार दिया है. ग्रीनलैंड, डेनमार्क का स्वायत्त क्षेत्र है, जबकि पनामा नहर पर मध्य अमेरिकी देश पनामा का नियंत्रण है. पनामा नहर उत्तर अमेरिका और दक्षिण अमेरिका के दो महाद्वीपों को अलग करती है.

इसी तरह, कनाडा को मिलाने की बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कनाडा की सुरक्षा पर अरबों डॉलर खर्च करता है. इसलिए कनाडा को अमेरिका का एक राज्य होना चाहिए. हालांकि कनाडा के निवर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने विलय की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है.

डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन ने कहा कि ग्रीनलैंड, ग्रीनलैंड के लोगों का है... सिर्फ स्थानीय लोग ही इसके भविष्य का निर्णय कर सकते हैं. ग्रीनलैंड बिक्री के लिए नहीं है. हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डेनमार्क को नाटो सदस्य अमेरिका के साथ घनिष्ठ सहयोग की जरूरत है. इसी प्रकार, ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट इगा ने स्पष्ट किया कि ग्रीनलैंड बिकाऊ नहीं है.

ग्रीनलैंड अमेरिका के लिए क्यों अहम
उत्तरी अमेरिका से यूरोप तक के सबसे छोटे मार्ग पर स्थित द्वीप ग्रीनलैंड एक बड़े अमेरिकी अंतरिक्ष केंद्र का घर है. यह दुर्लभ खनिजों के बड़े भंडार हैं, जो बैटरी और उच्च तकनीक वाले उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं. ट्रंप का कहना है कि चीनी और रूसी जहाजों पर नजर रखने के लिए यह द्वीप महत्वपूर्ण है.

  • ग्रीनलैंड का कुल क्षेत्रफल 2.16 मिलियन वर्ग किलोमीटर (836,330 वर्ग मील) है, जिसमें अन्य तटवर्ती द्वीप भी शामिल हैं.
  • डेनमार्क ने 1721 में द्वीप का उपनिवेश बनाया.
  • ग्रीनलैंड में लगभग 57,000 लोग बसे हैं, जिनमें से अधिकांश स्वदेशी इनुइत समुदाय (Inuit Community) के हैं.
  • इनुइट ने पिछले लगभग 800 वर्षों से ग्रीनलैंड को आबाद किया है.
  • ग्रीनलैंड आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है.
  • यह भौगोलिक दृष्टि से उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा है.
  • ग्रीनलैंड की अपनी स्थानीय सरकार है, लेकिन इस पर डेनमार्क का भी नियंत्रण है.
  • ग्रीनलैंड की आधिकारिक भाषा ग्रीनलैंडिक है.

ग्रीनलैंड पर कब्जा क्यों करना चाहते हैं ट्रंप

ट्रंप की ग्रीनलैंड में नई दिलचस्पी आर्कटिक सुरक्षा के बारे में अमेरिका की बड़ी चिंताओं और रूसी प्रभाव का मुकाबला करने की उसकी इच्छा को दर्शाती है. ग्रीनलैंड पर नियंत्रण हासिल कर, अमेरिका आर्कटिक में अपनी पैठ मजबूत कर सकता है और बहुमूल्य संसाधनों तक पहुंच सुरक्षित कर सकता है.

उत्तरी अमेरिका महाद्वीप का हिस्सा ग्रीनलैंड आर्कटिक से अपनी निकटता और अपने प्रचुर प्राकृतिक संसाधनों के कारण भू-राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है.

द्वीप का स्थान आर्कटिक तक पहुंच प्रदान करता है, जो प्रभाव और संसाधनों के लिए होड़ करने वाले देशों के लिए बढ़ती रुचि का क्षेत्र है.

ग्रीनलैंड और आर्कटिक में ट्रंप की दिलचस्पी इस क्षेत्र में रूस और चीन से आगे निकलने को लेकर अमेरिका की चिंताओं को दर्शाती है. रूस अपने सहयोगी चीन के साथ पहले से ही आर्कटिक में अपनी पैठ बढ़ाना चाहता है.

अलास्का के कारण अमेरिका आर्कटिक परिषद बहुपक्षीय समूह का सदस्य भी है, उसका लक्ष्य चीन की 'पोलर सिल्क रोड' पहल को रोकना है, जो दुनिया भर में वैकल्पिक मार्ग है.

प्राकृतिक संसाधनों का भंडार
ग्रीनलैंड की विशाल संसाधन क्षमता, जिसमें सोना, चांदी, तांबा, यूरेनियम और संभावित तेल भंडार शामिल हैं, इसे आर्कटिक क्षेत्र में रणनीतिक संपत्ति बनाती है.

यूएस जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, आर्कटिक क्षेत्र, जिसमें ग्रीनलैंड और कनाडा शामिल हैं, दुनिया की लगभग 30 प्रतिशत गैस और 13 प्रतिशत तेल का घर है. यहां बर्फ के नीचे, अनुमानित एक ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की दुर्लभ धातुएं हैं.

सुरक्षा को लेकर चिंताएं
डेनिश इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्टडीज के वरिष्ठ शोधकर्ता उलरिक प्राम गाद के अनुसार, "अमेरिका यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई भी विरोधी देश ग्रीनलैंड पर नियंत्रण न कर पाए, क्योंकि यह अमेरिका पर हमला करने के लिए एक आधार हो सकता है."

ग्रीनलैंड को खरीदने के लिए अमेरिकी प्रयास
ट्रंप का प्रयास ग्रीनलैंड को खरीदने का पहला अमेरिकी प्रयास नहीं है. अमेरिका ने 1867 से कई बार ग्रीनलैंड को खरीदने पर विचार किया है. 1941 में, जब डेनमार्क ने कोई कार्रवाई नहीं की, तो अमेरिका ने ग्रीनलैंड की रक्षा की जिम्मेदारी संभाली और अन्य चीजों के अलावा दो बड़े हवाई अड्डे स्थापित किए.

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका ने ग्रीनलैंड को 100 मिलियन अमरीकी डॉलर में खरीदने की पेशकश की, लेकिन डेनमार्क ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया.

1946 में, अमेरिका ने आर्कटिक द्वीप के रणनीतिक भागों के लिए अलास्का में भूमि की अदला-बदली के विचार के साथ ग्रीनलैंड को खरीदने के लिए डेनमार्क को 100 मिलियन डॉलर (€90 मिलियन) का भुगतान करने का प्रस्ताव दिया. हालांकि अमेरिका और डेनमार्क एक समझौते पर पहुंचे और 1951 में अमेरिका को ग्रीनलैंड के सबसे उत्तरी भाग में एयर बेस स्थापित करने की अनुमति मिली.

पनामा नहर के नियंत्रण क्यों चाहता है अमेरिका

पनामा नहर को लेकर ट्रंप ने कहा है कि यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने दावा किया कि चीन इसका संचालन कर रहा है. पनामा जलमार्ग अटलांटिक और प्रशांत महासागरों को जोड़ता है. हालांकि, पनामा के राष्ट्रपति जोस राउल मुलिनो ने ट्रंप के दावों को खारिज करते हुए कहा कि नहर में चीन का हस्तक्षेप नहीं है.

मीडिया रिपोट्स के मुताबिक हांगकांग की कंपनी सीके हचिसन होल्डिंग्स पनामा नहर के प्रवेश द्वार पर दो बंदरगाहों का प्रबंधन करती है.

पनामा नहर का निर्माण 1900 के दशक की शुरुआत में किया गया था. अमेरिका का 1977 तक नहर क्षेत्र पर नियंत्रण था. 1977 में टोरीजोस-कार्टर संधि के तहत नहर को पनामा को सौंप दिया गया. ट्रंप ने कहा है कि पनामा नहर को पनामा को सौंपना एक बड़ी गलती थी.

पनामा नहर का महत्व

पनामा नहर वैश्विक समुद्री परिवहन के लिए महत्वपूर्ण है. यह अटलांटिक और प्रशांत महासागरों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करती है, जिससे जहाजों को दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से पर केप हॉर्न के आसपास लंबी और खतरनाक यात्रा नहीं करनी पड़ती है.

वैश्विक समुद्री परिवहन का अनुमानित 5 प्रतिशत पनामा नहर से होकर गुजरता है, जो एशिया और अमेरिका के पूर्वी तट के बीच यात्रा करने वाले जहाजों को दक्षिण अमेरिका के दक्षिणी हिस्से के आसपास लंबे और खतरनाक मार्ग से बचने की अनुमति देता है.

पनामा नहर कुल वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 7.7 प्रतिशत का योगदान देती है और कुल वार्षिक निर्यात में इसकी 15.9 प्रतिशत भागीदारी है. पनामा नहर प्राधिकरण ने कहा कि नहर ने वित्त वर्ष 2024 में पनामा के खजाने में 2.47 बिलियन डॉलर का योगदान दिया.

पनामा नहर के निर्माण को लेकर प्रमुख तथ्य

  • ब्याज सहित पनामा नहर निर्माण की कुल लागत 1925 के डॉलर में 763.7 मिलियन डॉलर आई.
  • 1904 से 1913 के बीच नहर पर 56,000 से ज्यादा लोगों ने काम किया.
  • 1913 में निर्माण पूरा हुआ था.
  • पनामा नहर के निर्माण में 27,000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हुई.

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