जयपुर. प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य का अधिकार देने के लिए गहलोत सरकार की ओर से 'राइट टू हेल्थ' बिल (Right to health) लाया जा रहा है. लंबे समय से इस बिल पर काम किया जा रहा है और माना जा रहा है कि आगामी 2 माह के अंदर राइट टू हेल्थ बिल को लागू कर दिया जाएगा. जिसके बाद मरीजों को स्वास्थ्य का अधिकार देने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बन जाएगा.
मामले को लेकर चिकित्सा विभाग के शासन सचिव डॉ पृथ्वी का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल से जुड़ा (Rajasthan to implement Right to health policy) ड्राफ्ट बनकर तैयार है जिसकी री-राइटिंग दोबारा पूरी कर ली गई है. जल्द ही इसे कैबिनेट में भेजा जाएगा, जिसके बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा. डॉक्टर पृथ्वी का कहना है कि राजस्थान स्वास्थ्य सेवाओं में हमेशा अग्रणी रहा है और हमारी कोशिश है कि राइट टू हेल्थ बिल जल्द से जल्द प्रदेश में लागू किया जा सके.
समस्या का 30 दिन के भीतर होगा निस्तारण: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जल्द ही चिकित्सा विभाग की समीक्षा बैठक ले सकते हैं, जिसमें बिल से जुड़ा फाइनल ड्राफ्ट उनके समक्ष रखा जाएगा. राइट टू हेल्थ बिल के अनुसार मरीज जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण या फिर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को शिकायत दर्ज करा सकेगा. इसके तहत मरीज वेब पोर्टल या हेल्पलाइन पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकेंगे. जिसके बाद 30 दिन के अंदर शिकायत का निस्तारण करना अनिवार्य होगा. यदि इसके बाद भी शिकायत का समाधान नहीं होता है तो यह शिकायत राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास पहुंचेगी. ड्राफ्ट के अनुसार जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण में जिला कलेक्टर को अध्यक्ष बनाया गया है.
यह भी मिलेंगे अधिकार: इलाज के दौरान मरीज की अस्पताल में मौत हो जाती है और मरीज के परिजन बकाया पैसा नहीं चुकाते है तो अस्पताल की ओर से शव को रोक लिया जाता था. इस बिल के अनुसार ऐसे मामलों में बकाया राशि होने के बाद भी परिजनों को मृतक का शरीर प्राप्त हो सकेगा. इसके अलावा प्रदेश के सभी लोगों को स्वास्थ्य संबंधित जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिल सकेगा.
वहीं यदि मरीज को लामा( leaving against medical advice) किया जाता है तो उसके इलाज से संबंधित सारी जानकारी परिजन को देनी होगी और मरीज की बीमारी को गोपनीय रखना होगा. इसके अलावा इंश्योरेंस स्कीम में चयनित अस्पतालों में निशुल्क उपचार का अधिकार होगा. हालांकि इस बिल में मरीज और उनके परिजनों को लेकर भी कुछ कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, जिसके तहत इलाज के लिए आए मरीज को अपने स्वास्थ्य संबंधित सभी जानकारी स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को देनी होगी. इसके अलावा स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता के साथ मरीज या उसके परिजन दुर्व्यवहार नहीं करेंगे. साथ ही अप्राकृतिक मृत्यु के मामले में पोस्टमार्टम करने की अनुमति देनी होगी.
मांगी गई थी आपत्तियां: राइट टू हेल्थ बिल को लेकर राज्य सरकार की ओर से 24 मार्च तक आपत्तियां और सुझाव भी मांगे गए थे. जिसपर चर्चा करने के बाद चिकित्सा विभाग की ओर से फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है. हालांकि इस प्रक्रिया में विधिक राय भी ली गई है. इसके अलावा एक शिकायत निवारण तंत्र भी विकसित किया जाएगा जिसके तहत नियमों का उल्लंघन करने पर आर्थिक जुर्माना भी लगाया जाएगा. हालांकि इस ड्राफ्ट में सिविल कोर्ट में मुकदमा या कार्रवाई का अधिकार नहीं दिया गया है.