जयपुर. राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को चुनाव होना है. चुनाव की तारीख जैसे-जैसे करीब आती जा रही है. वैसे-वैसे राजस्थान के सियासत में उबाल तेज होता जा रहा है. इसी के साथ ही कांग्रेस-भाजपा के बीच शह-मात का खेल भी पूरे परवान पर चढ़ चुका है. सियासी गर्माहट के बीच राज्य की गहलोत सरकार ने अपने सभी विधायकों समेत निर्दलीय विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है. साथ ही उन्होंने यह कहकर राजनीतिक गलियारों में सनसनी फैला दी कि कांग्रेस विधायकों के खरीद-फरोख्त की कोशिश की जा रही है. हालांकि, सीएम गहलोत की ओर से दिए इस बयान का काउंटर करते हुए भाजपा ने साफ कहा कि ये केवल एक सनसनी ही है. भाजपा ने गहलोत के इस आरोप को सिरे ही खारिज कर दिया.
दोनों दलों की ओर से जारी बयानबाजी के बीच राजनीतिक गलियारों में कयासों का दौर भी जारी है. राजनीतिक विश्लेषक से लेकर सियासी पंडित तक हर कोई अचानक बदले घटनाक्रम को लेकर अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं. साथ ही कयास भी लगा रहे हैं, कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि राज्य की राजनीतिक में अचानक इतना बड़ा भूचाल आ गया. क्योंकि संख्या बल के आधार पर देखें तो राज्य की गहलोत सरकार को कहीं से कोई खतरा नजर नहीं आ रहा है.
ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि जब कोई खतरा ही नहीं है तो फिर सियासत में अचानक बढ़ी गर्माहट के क्या मायने हैं. आइये हम आपको राज्य की सियासत में अचानक आए भूचाल के बाद किस पल सियासी पारा कितना चढ़ता गया उसे विस्तार से बताते हैं...
सीमाएं सील करने का दिया आदेश
राजस्थान सरकार ने 10 जून को प्रदेश की सीमाओं को 7 दिन तक सील करने का आदेश दिया. माना गया कि प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमितों के मामलों को देखते हुए गहलोत सरकार ने यह फैसला लिया है. इस आदेश के मुताबिक बाहर से आने वाले अनधिकृत लोगों के प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है.
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सीमाएं सील करने के आदेश में संसोधन
10 जून को सुबह 11 बजे राज्य सरकार की ओर से सीमाएं सील करने के आदेश जारी हुए थे, लेकिन आदेश जारी होने के बाद ही गहलोत सरकार ने तुरंत ही अपने आदेश में आंशिक संशोधन कर दिया. इस संशोधन के तहत अब सीमाएं 'सील' करने के बजाय उन्हें 'नियंत्रण' करने का आदेश जारी किया गया. यह आदेश महानिदेशक कानून-व्यवस्था एमएल लाठर की तरफ से जारी किया गया था.
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सीएम ने बुलाई विधायकों की बैठक
राज्यसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे प्रदेश में सियासी पारा भी चरम पर है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हॉर्स ट्रेडिंग के खतरे को देखते हुए 10 जून शाम 7 बजे कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की एक बैठक बुलाई. इसको लेकर सीएम गहलोत का कहना था कि कोरोना काल का फायदा उठाकर बीजेपी गुजरात में विधायकों को तोड़ रही है, जबकि भाजपा को कोरोना से लड़ाई में देश के साथ एकजुट होना चाहिए था.
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विधायकों को शिव विलास रिसोर्ट में शिफ्ट किया गया
19 जून को होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने रणनीति शुरू कर दी है. प्रदेश में राज्यसभा की 3 सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस ने विधायकों की बाड़ेबंदी की है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 10 जून को सीएमआर में बुलाई विधायक दल की बैठक को होटल शिव विलास में शिफ्ट किया और सभी विधायकों को सीएमआर से बस के जरिए होटल शिव विलास लाया गया.
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विधायकों के साथ हुई बैठक
सीएम अशोक गहलोत ने 10 जून को ही पहले प्रदेश नेतृत्व के साथ उच्चस्तरीय बैठक की और उसके बाद विधायकों के साथ बैठक कर एकजुटता का संदेश दिया. बैठक में राजस्थान कांग्रेस के सभी विधायकों सहित निर्दलीय विधायक भी मौजूद रहे.
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विधायकों को घर जाने की इजाजत
बता दें कि विधायकों को 10 जून की रात से ही रिसोर्ट में रुकना था. लेकिन रिसोर्ट में लॉकडाउन के कारण सुविधा नहीं थी. इसलिए बुधवार को विधायकों को बैठक के बाद घर जाने की इजाजत दे दी गई. जिसके बाद सभी विधायकों को गुरुवार शाम को फिर से रिसोर्ट लौटना होगा. वहीं, विधायकों की दवा ओर कपड़े नहीं होने से शुक्रवार सुबह तक का समय दिया गया.
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सीएम का बड़ा बयान
इस बीच प्रदेश में विधायकों की खरीद फरोख्त के आरोप प्रत्यारोप के बीच सीएम गहलोत ने यह खुल कर कह दिया है कि राज्यसभा चुनाव में विधायकों को खरीदने का प्रयास किया जा रहा है. जिसके लिए बड़ी तादात में जयपुर कैश पहुंच चुका है. लेकिन मुझे गर्व है कि मैं उस राज्य का मुख्यमंत्री हूं जहां विधायक सौदा नहीं करते.
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राजस्थान में सियासी हलचल पर एक्सपर्ट से चर्चा
वहीं, राजस्थान में आखिर पर्दे के पीछे क्या चल रहा है, क्या राजस्थान में वाकई सरकार को कोई खतरा है या फिर कुछ और है. यह समझने के लिए ईटीवी भारत ने एक राजनीतिक परिचर्चा की. जिसमें हिस्सा लिया राजनीतिक विश्लेषक अवधेश आकोदिया, वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा, ईटीवी भारत राजस्थान के ब्यूरो चीफ अश्विनी पारीक और परिचर्चा का संचालन कर रहे हैं ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रज मोहन सिंह.
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राजनीतिक विश्लेषक अवधेश आकोदिया कहते हैं कि अशोक गहलोत इस चुनाव के जरिए अपनी धाक जमाना चाहते हैं, लेकिन सतही तौर पर देखें तो इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं दिखती है, क्योंकि इस वक्त ना तो सरकार को कोई खतरा है और ना ही उनके नेतृत्व को ही कोई खतरा दिख रहा है.
वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा ईटीवी से बातचीत में कहते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के विकल्प के बारे में कोई नहीं सोच रहा है. जबतक सचिन पायलट खुद मैदान में न आ जाएं, जिसकी संभावना बेहद कम है.