ETV Bharat / city

उपचुनाव में मुख्यमंत्री का घेराव करेंगे प्रदेश भर के शराब व्यापारी, आबकारी नीति में बदलाव और छूट की मांग - Rajasthan Liquor Welfare Society

राजस्थान के शराब व्यापारियों ने उपचुनाव में सीएम गहलोत (CM Gehlot) का घेराव करने की चेतावनी दी है. इसके साथ ही उन्होंने चेतावनी दी है कि मांगें नहीं मानी गई तो मुख्यमंत्री निवास का भी घेराव किया जाएगा.

Rajasthan liquor traders, Jaipur news
राजस्थान शराब व्यापारियों की चेतावनी
author img

By

Published : Oct 10, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Oct 10, 2021, 5:39 PM IST

जयपुर. प्रदेशभर के व्यापार शराब व्यापारियों ने उपचुनाव में मुख्यमंत्री का घेराव करने की चेतावनी दी है. शराब व्यापारियों ने राज्य सरकार से आबकारी नीति में बदलाव और छूट की मांग की है. प्रदेश भर के शराब व्यापारी रविवार को जयपुर में जुटे. जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में शराब व्यापारियों ने बैठक आयोजित कर राज्य सरकार की नई आबकारी नीति पर आक्रोश प्रकट करते हुए बदलाव की मांग की है.

शराब व्यापारियों ने कहा है कि अगर शराब व्यापारियों की मांग नहीं मानी गई तो उपचुनाव (Rajasthan by election) में मुख्यमंत्री का घेराव करके ज्ञापन सौंपेंगे. इसके साथ ही उन्होंने राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का भी अल्टीमेटम दिया है.

राजस्थान शराब व्यापारियों की चेतावनी

राजस्थान लिकर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि 3 महीने से प्रदेश के ठेकेदार जिला मुख्यालयों, आबकारी कार्यालयों और गोदाम पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही. रविवार को प्रदेशभर के शराब व्यापारियों की जयपुर में बैठक आयोजित की गई है. आबकारी नीति 2021-22 शराब व्यवसायियों के विरुद्ध है. नई आबकारी नीति के तहत कंपोजिट फीस, बीएलएफ समेत अनेक भार डाल दिए गए हैं. बिक्री नहीं होने के कारण अप्रैल से लेकर सितंबर तक जो बकाया है, उसको भी शराब व्यापारियों पर थोप दिया गया है.

निलेश मेवाड़ा का कहना है कि कोरोना काल में सरकार (Rajasthan Government) की ओर से कोई छूट नहीं दी गई है. शराब व्यापारियों का व्यापार खत्म हो गया है. इतना होने के बावजूद सरकार कोई भी निर्णय नहीं ले रही है. अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार गांधीवादी चोला भी पहनना चाहती है, शराब बिकवाना भी चाहती है और शराब व्यवसायियों से पैसा भी वसूल करना चाहती है लेकिन व्यापारियों को कोई राहत नहीं देना चाहती है.

यह भी पढ़ें. बिजली संकट में कुछ राहत मिलने की उम्मीद, कोयले की आपूर्ति में सुधार...सोमवार से दिखेगा असर

उन्होंने कहा कि आबकारी अधिकारी शराब व्यवसायियों से कहते हैं कि हमने पीले चावल थोड़ी ना दिए थे, जो आप लोग सरकार के पास शराब दुकाने लेने आए हो. उन अधिकारी को जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने ही बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाए थे. आबकारी अधिकारी ठेकेदारों के घर घर गए थे. विभाग के अधिकारी कहते हैं कि 13000 करोड़ की रेवेन्यू से हमारे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर सरकार को 13000 करोड़ के रेवेन्यू से फर्क नहीं पड़ता है तो शराबबंदी कर दीजिए.

शराब व्यापारियों ने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री से बात करना चाहते हैं तो जवाब मिलता है कि मुख्यमंत्री शराब के मामले में कोई बात नहीं करना चाहते. फिर मुख्यमंत्री ने यह विभाग अपने पास क्यों रखा है. निलेश मेवाड़ा ने बताया कि आगामी दिनों में प्रत्येक जिला स्तर पर शराब व्यापारी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे. आने वाले उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री प्रतापगढ़ और उदयपुर जाने वाले हैं. शराब व्यापारी भी मुख्यमंत्री के पास जाएंगे. चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री से राहत देने की मांग की जाएगी. अगर फिर भी मुख्यमंत्री सुनवाई नहीं करते हैं तो पूरे राजस्थान में शराब व्यापारी बिलिंग बंद करके दुकाने सरेंडर करेंगे.

दोहरी नीति अपना रही है सरकार

निलेश मेवाड़ा ने बताया कि विभाग की इच्छा होती है, उनकी दुकान है तो निरस्त कर देते हैं. जहां चाहे वही दुकान निरस्त होने के बाद भी उनका बकाया निकाल देते हैं. आरटीडीसी और आरएसबीसीएल ने शराब दुकाने ली थी लेकिन दुकाने नहीं चलने की वजह से वापस छोड़ दी. लेकिन विभाग ने दोनों डिपार्टमेंट को बकायेदार नहीं बनाया और दुकाने निरस्त कर दी. जबकि शराब व्यापारियों पर बकाया निकाला जा रहा है.

कोरोना काल में सुबह 6 बजे से 11 बजे तक केवल 5 घंटे दुकान खोली गई थी. जबकि राज्य सरकार ने बिक्री की गारंटी 10 घंटे तय की थी. लेकिन दुकान मात्र 5 घंटे ही खुल सके. प्रथम तिमाही की पेनाल्टी माफ की जाए. ऐसे में सरकार को 50 से 60 प्रतिशत की छूट देनी चाहिए. शराब व्यापारियों की मांग है कि कंपोजिट फीस माफ की जाए.

यह भी पढ़ें. जयपुर : बिजली संकट के लिए वसुंधरा राजे ने साधा निशाना, कहा- 'गहलोत राज' में बिजली कटौती से सभी त्रस्त

शराब व्यापारियों का कहना है कि नई आबकारी नीति में शराब के विक्रय पर 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देने का दावा किया था. जबकि हकीकत में 12 से 13 प्रतिशत का ही कमीशन मिल रहा है, जिस पर भी कई टैक्स लगा दिए गए हैं. राज्य सरकार ने लाइसेंस फीस तो समाप्त कर दी है लेकिन उसको नया नाम दे दिया बेसिक लाइसेंस फीस. जो राजस्थान निर्मित मदिरा पर 881 रुपये प्रति पेटी है. वहीं देसी मदिरा पर 357 रुपये प्रति पेटी अलग से वसूला जा रहा है. इसको भी राज्य सरकार माफ करें. राज्य सरकार ने शराब की दुकान गारंटी पर दी है. ऐसे में कंपोजिट फीस लेने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन व्यापारियों पर यह आर्थिक भार डाला गया है.

शराब व्यापारियों की प्रमुख मांगें है कि इस साल शराब ठेकों में गारंटी की बाध्यता समाप्त की जाए. नई शराब नीति में नीलामी बोली होने के कारण कंपोजिट फीस का कोई औचित्य नहीं बनता है इसलिए इसको उठाया जाए. शराब से सभी प्रकार के राइडर हटाए जाए. देसी शराब में बीएलएफ को एक्साइज में सम्मिलित किया जाए. अंग्रेजी शराब में बिल्डिंग पर 20% कमीशन दिया जाए. आईएमएफएल में 20 रुपये प्रति बल्क लीटर किया जाए.

यह भी पढ़ें. Pandora Paper Leak: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की बहू निहारिका राजे का भी नाम आया सामने!

साथ ही दुकान खुलने का समय सुबह 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया जाए. परमिट फीस साल 2006 की नीति के अनुसार बल्क लीटर में नए लेकर एक मुफ्त परमिट फीस ली जाए. जो दुकान सरेंडर हो उसे निरस्त माना जाए. सभी तरह के राइडर हटाया जाए. एमएसपी हटाकर एमआरपी लागू की जाए.

शराब व्यापारियों का कहना है कि शराब दुकान के संचालन में व्यापारी सफल नहीं हो रहे हैं. ऐसे में दुकानें सरेंडर करनी पड़ रही है लेकिन राज्य सरकार ना ही सरेंडर कर रही है और ना ही निरस्त कर रही है. बल्कि व्यापारियों पर जुर्माना लगा रही है. आबकारी नीति की विफलता के कारण ही आरटीडीसी, आरएसबीसीएल और आरएसजीएसएम की ओर से संचालित दुकानें भी सरेंडर कर दी गई है.

जयपुर. प्रदेशभर के व्यापार शराब व्यापारियों ने उपचुनाव में मुख्यमंत्री का घेराव करने की चेतावनी दी है. शराब व्यापारियों ने राज्य सरकार से आबकारी नीति में बदलाव और छूट की मांग की है. प्रदेश भर के शराब व्यापारी रविवार को जयपुर में जुटे. जयपुर के पिंक सिटी प्रेस क्लब में शराब व्यापारियों ने बैठक आयोजित कर राज्य सरकार की नई आबकारी नीति पर आक्रोश प्रकट करते हुए बदलाव की मांग की है.

शराब व्यापारियों ने कहा है कि अगर शराब व्यापारियों की मांग नहीं मानी गई तो उपचुनाव (Rajasthan by election) में मुख्यमंत्री का घेराव करके ज्ञापन सौंपेंगे. इसके साथ ही उन्होंने राजधानी जयपुर में मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने का भी अल्टीमेटम दिया है.

राजस्थान शराब व्यापारियों की चेतावनी

राजस्थान लिकर वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने बताया कि 3 महीने से प्रदेश के ठेकेदार जिला मुख्यालयों, आबकारी कार्यालयों और गोदाम पर प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी मांगें नहीं मान रही. रविवार को प्रदेशभर के शराब व्यापारियों की जयपुर में बैठक आयोजित की गई है. आबकारी नीति 2021-22 शराब व्यवसायियों के विरुद्ध है. नई आबकारी नीति के तहत कंपोजिट फीस, बीएलएफ समेत अनेक भार डाल दिए गए हैं. बिक्री नहीं होने के कारण अप्रैल से लेकर सितंबर तक जो बकाया है, उसको भी शराब व्यापारियों पर थोप दिया गया है.

निलेश मेवाड़ा का कहना है कि कोरोना काल में सरकार (Rajasthan Government) की ओर से कोई छूट नहीं दी गई है. शराब व्यापारियों का व्यापार खत्म हो गया है. इतना होने के बावजूद सरकार कोई भी निर्णय नहीं ले रही है. अध्यक्ष निलेश मेवाड़ा ने सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार गांधीवादी चोला भी पहनना चाहती है, शराब बिकवाना भी चाहती है और शराब व्यवसायियों से पैसा भी वसूल करना चाहती है लेकिन व्यापारियों को कोई राहत नहीं देना चाहती है.

यह भी पढ़ें. बिजली संकट में कुछ राहत मिलने की उम्मीद, कोयले की आपूर्ति में सुधार...सोमवार से दिखेगा असर

उन्होंने कहा कि आबकारी अधिकारी शराब व्यवसायियों से कहते हैं कि हमने पीले चावल थोड़ी ना दिए थे, जो आप लोग सरकार के पास शराब दुकाने लेने आए हो. उन अधिकारी को जवाब देते हुए कहा कि सरकार ने ही बड़े-बड़े विज्ञापन छपवाए थे. आबकारी अधिकारी ठेकेदारों के घर घर गए थे. विभाग के अधिकारी कहते हैं कि 13000 करोड़ की रेवेन्यू से हमारे कोई फर्क नहीं पड़ता. अगर सरकार को 13000 करोड़ के रेवेन्यू से फर्क नहीं पड़ता है तो शराबबंदी कर दीजिए.

शराब व्यापारियों ने कहा कि जब भी मुख्यमंत्री से बात करना चाहते हैं तो जवाब मिलता है कि मुख्यमंत्री शराब के मामले में कोई बात नहीं करना चाहते. फिर मुख्यमंत्री ने यह विभाग अपने पास क्यों रखा है. निलेश मेवाड़ा ने बताया कि आगामी दिनों में प्रत्येक जिला स्तर पर शराब व्यापारी अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपेंगे. आने वाले उपचुनाव के लिए मुख्यमंत्री प्रतापगढ़ और उदयपुर जाने वाले हैं. शराब व्यापारी भी मुख्यमंत्री के पास जाएंगे. चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री से राहत देने की मांग की जाएगी. अगर फिर भी मुख्यमंत्री सुनवाई नहीं करते हैं तो पूरे राजस्थान में शराब व्यापारी बिलिंग बंद करके दुकाने सरेंडर करेंगे.

दोहरी नीति अपना रही है सरकार

निलेश मेवाड़ा ने बताया कि विभाग की इच्छा होती है, उनकी दुकान है तो निरस्त कर देते हैं. जहां चाहे वही दुकान निरस्त होने के बाद भी उनका बकाया निकाल देते हैं. आरटीडीसी और आरएसबीसीएल ने शराब दुकाने ली थी लेकिन दुकाने नहीं चलने की वजह से वापस छोड़ दी. लेकिन विभाग ने दोनों डिपार्टमेंट को बकायेदार नहीं बनाया और दुकाने निरस्त कर दी. जबकि शराब व्यापारियों पर बकाया निकाला जा रहा है.

कोरोना काल में सुबह 6 बजे से 11 बजे तक केवल 5 घंटे दुकान खोली गई थी. जबकि राज्य सरकार ने बिक्री की गारंटी 10 घंटे तय की थी. लेकिन दुकान मात्र 5 घंटे ही खुल सके. प्रथम तिमाही की पेनाल्टी माफ की जाए. ऐसे में सरकार को 50 से 60 प्रतिशत की छूट देनी चाहिए. शराब व्यापारियों की मांग है कि कंपोजिट फीस माफ की जाए.

यह भी पढ़ें. जयपुर : बिजली संकट के लिए वसुंधरा राजे ने साधा निशाना, कहा- 'गहलोत राज' में बिजली कटौती से सभी त्रस्त

शराब व्यापारियों का कहना है कि नई आबकारी नीति में शराब के विक्रय पर 20 से 25 प्रतिशत कमीशन देने का दावा किया था. जबकि हकीकत में 12 से 13 प्रतिशत का ही कमीशन मिल रहा है, जिस पर भी कई टैक्स लगा दिए गए हैं. राज्य सरकार ने लाइसेंस फीस तो समाप्त कर दी है लेकिन उसको नया नाम दे दिया बेसिक लाइसेंस फीस. जो राजस्थान निर्मित मदिरा पर 881 रुपये प्रति पेटी है. वहीं देसी मदिरा पर 357 रुपये प्रति पेटी अलग से वसूला जा रहा है. इसको भी राज्य सरकार माफ करें. राज्य सरकार ने शराब की दुकान गारंटी पर दी है. ऐसे में कंपोजिट फीस लेने का कोई औचित्य नहीं है, लेकिन व्यापारियों पर यह आर्थिक भार डाला गया है.

शराब व्यापारियों की प्रमुख मांगें है कि इस साल शराब ठेकों में गारंटी की बाध्यता समाप्त की जाए. नई शराब नीति में नीलामी बोली होने के कारण कंपोजिट फीस का कोई औचित्य नहीं बनता है इसलिए इसको उठाया जाए. शराब से सभी प्रकार के राइडर हटाए जाए. देसी शराब में बीएलएफ को एक्साइज में सम्मिलित किया जाए. अंग्रेजी शराब में बिल्डिंग पर 20% कमीशन दिया जाए. आईएमएफएल में 20 रुपये प्रति बल्क लीटर किया जाए.

यह भी पढ़ें. Pandora Paper Leak: पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की बहू निहारिका राजे का भी नाम आया सामने!

साथ ही दुकान खुलने का समय सुबह 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया जाए. परमिट फीस साल 2006 की नीति के अनुसार बल्क लीटर में नए लेकर एक मुफ्त परमिट फीस ली जाए. जो दुकान सरेंडर हो उसे निरस्त माना जाए. सभी तरह के राइडर हटाया जाए. एमएसपी हटाकर एमआरपी लागू की जाए.

शराब व्यापारियों का कहना है कि शराब दुकान के संचालन में व्यापारी सफल नहीं हो रहे हैं. ऐसे में दुकानें सरेंडर करनी पड़ रही है लेकिन राज्य सरकार ना ही सरेंडर कर रही है और ना ही निरस्त कर रही है. बल्कि व्यापारियों पर जुर्माना लगा रही है. आबकारी नीति की विफलता के कारण ही आरटीडीसी, आरएसबीसीएल और आरएसजीएसएम की ओर से संचालित दुकानें भी सरेंडर कर दी गई है.

Last Updated : Oct 10, 2021, 5:39 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.