बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने बुधवार को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) में करोड़ों रुपये के अवैध स्थल आवंटन की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई 27 जनवरी तक स्थगित कर दी.
धारवाड़ पीठ में आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना ने लोकायुक्त को 27 जनवरी तक मामले की जांच की प्रगति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. पीठ ने प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक आपत्तियां दर्ज करने का भी आदेश दिया.
वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए जबकि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और कर्नाटक के पूर्व महाधिवक्ता रवि वर्मा कुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का प्रतिनिधित्व किया.
मुडा मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बी एम पार्वती पर आरोप है कि उन्होंने मैसूर के एक पॉश इलाके में मुडा द्वारा रिहायशी लेआउट विकसित करने के लिए कथित तौर पर अधिग्रहित की गई अपनी जमीन के मुआवजे के तौर पर 14 साइट्स हासिल की. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सीएम ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके कथित जमीन घोटाला कराया. अवैध रूप से 14 प्लॉट हासिल किए. उस इलाके में साइट आवंटित करवाई जहां संपत्ति के मूल्य मुडा द्वारा अधिग्रहित की गई उनकी जमीन के इलाके की तुलना में कई गुना अधिक हैं.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की जांच वर्तमान में लोकायुक्त द्वारा की जा रही है. लोकायुक्त की ओर से सिद्धारमैया, पार्वती, उनके भाई मल्लिकार्जुन स्वामी और अन्य आरोपियों से पहले ही पूछताछ की जा चुकी है. इस बीच कृष्णा ने सीबीआई जांच की मांग करते हुए एक याचिका दायर की.
इसमें उन्होंने लोकायुक्त पर अविश्वास व्यक्त किया और दावा किया कि राज्य सरकार के अधीन काम करने वाला लोकायुक्त किसी ऐसे मामले में न्याय नहीं कर सकता, जिसमें मुख्यमंत्री के अलावा कोई और शामिल नहीं है. आज मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कृष्णा ने कहा कि उम्मीद है कि अगली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट उनकी याचिका पर अपना फैसला सुनाएगा.