ETV Bharat / city

Rajasthan Highcourt : चारागाह भूमि आवंटन मामले में कलेक्टर सहित अधिकारियों को नोटिस जारी - ETV Bharat Rajasthan news

राजस्थान हाइकोर्ट की जयपुर बेंच ने चारागाह भूमि को सामाजिक संस्था को आवंटित करने के (Allotment of pasture land to Social organization) मामले में नोटिस जारी कर कलेक्टर सहित संबंधित अधिकारी से जवाब तलब किया है.

Rajasthan Highcourt
राजस्थान हाईकोर्ट
author img

By

Published : Sep 23, 2022, 7:31 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने चारागाह भूमि का आवंटन सामाजिक संस्था को करने पर राजस्व सचिव और जयपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रवि कुमावत की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने (Allotment of pasture land to Social organization) तय किया था कि चारागाह भूमि का आवंटन अन्य प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने 25 अप्रैल 2011 को एक अधिसूचना जारी कर कलेक्टर को भूमि आवंटन का अधिकार दे दिया. याचिका में कहा गया कि चारागाह भूमि समाप्त होने से इकोलॉजिकल बैलेंस बिगड़ जाएगा. इसके अलावा कानूनन चारागाह भूमि का न तो किसी को आवंटित किया जा सकता है और न ही इसका नियमितीकरण या अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग किया जा सकता है.

पढ़ें. वन भूमि पर पट्टा जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी दें-एनजीटी

याचिका में कहा गया कि जिले के नरेना कस्बे की चारागाह भूमि पर एक सामाजिक संस्था ने कब्जा कर रखा है. वहीं अब इस भूमि को राज्य सरकार की ओर से कब्जाधारी सामाजिक संस्था को आवंटित किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायत भेजी गई है, लेकिन संस्था के दबाव में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में गुहार लगाई है कि इस अधिसूचना को निरस्त कर अब तक जितनी भी चारागाह भूमि की किस्म को बदला गया है, उसे वापस चारागाह में बदला जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने चारागाह भूमि का आवंटन सामाजिक संस्था को करने पर राजस्व सचिव और जयपुर कलेक्टर सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रवि कुमावत की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता पीसी भंडारी ने अदालत को बताया कि वर्ष 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने (Allotment of pasture land to Social organization) तय किया था कि चारागाह भूमि का आवंटन अन्य प्रयोजन के लिए नहीं किया जा सकता. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने 25 अप्रैल 2011 को एक अधिसूचना जारी कर कलेक्टर को भूमि आवंटन का अधिकार दे दिया. याचिका में कहा गया कि चारागाह भूमि समाप्त होने से इकोलॉजिकल बैलेंस बिगड़ जाएगा. इसके अलावा कानूनन चारागाह भूमि का न तो किसी को आवंटित किया जा सकता है और न ही इसका नियमितीकरण या अन्य प्रयोजन के लिए उपयोग किया जा सकता है.

पढ़ें. वन भूमि पर पट्टा जारी करने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की जानकारी दें-एनजीटी

याचिका में कहा गया कि जिले के नरेना कस्बे की चारागाह भूमि पर एक सामाजिक संस्था ने कब्जा कर रखा है. वहीं अब इस भूमि को राज्य सरकार की ओर से कब्जाधारी सामाजिक संस्था को आवंटित किया जा रहा है. याचिका में कहा गया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को शिकायत भेजी गई है, लेकिन संस्था के दबाव में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई. याचिका में गुहार लगाई है कि इस अधिसूचना को निरस्त कर अब तक जितनी भी चारागाह भूमि की किस्म को बदला गया है, उसे वापस चारागाह में बदला जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.