जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आबकारी नीति-2021 के खिलाफ दखल से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही अदालत ने इस संबंध में दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश लक्की वाइन्स व अन्य की याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए दिए. खंडपीठ ने गत 17 मार्च को बहस सुनकर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
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याचिकाओं में कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2020-21 के लिए शराब लाइसेंस दिया गया था. उस समय राज्य सरकार ने कहा था कि इस लाइसेंस अवधि को एक साल के लिए बढ़ाया जा सकता है. वहीं अब नई नीति में भी सरकार लाइसेंस अवधि को एक साल बढ़ाने के लिए कह रही है. जबकि पिछले वर्ष के शराब लाइसेंस की अवधि नहीं बढ़ाई गई.
याचिका में कहा गया कि प्रोमिस ऑफ स्टोपल के नियम के तहत राज्य सरकार अपने वायदे से मुकर नहीं सकती है. सरकार के वायदे के चलते ही याचिकाकर्ताओं ने शराब लाइसेंस लिया था, लेकिन सरकार ने अवधि बढ़ाने के बजाए नीलामी के जरिए लाइसेंस दे दिए. दूसरी ओर राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार ने अवधि बढ़ाने की सिर्फ संभावना जताई थी. लाइसेंस अवधि एक साल के लिए ही होती है. इसके अलावा नई नीति के तहत सरकार को राजस्व ज्यादा मिलेगा. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया है.