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राजस्थान हाईकोर्ट: सरकार बताए कितनी और कैसे वसूली जाए स्कूल फीस

राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से शपथ पत्र पेश कर ये बताने के लिए कहा है कि प्राइवेट स्कूलों को कितनी फीस वसूल करनी चाहिए और फीस वसूलने का तरीका क्या होगा. इस मामले में अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय की गई है.

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Published : Oct 14, 2020, 4:13 PM IST

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राजस्थान हाईकोर्ट लेटेस्ट न्यूज

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह 19 अक्टूबर तक शपथ-पत्र पेश कर बताए कि कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की फीस कितनी होनी चाहिए. इसके अलावा स्कूल खुलने के बाद फीस कितनी और कैसे वसूल की जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और सुनील समदडिया की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.

स्कूल फीस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से शपथ पत्र पेश करने को कहा

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट: आयोगों में खाली चल रहे पदों को लेकर मांगा जवाब

अदालत ने अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय की है. सुनवाई के दौरान अपीलार्थी सुनील समदडिया की ओर से प्रपोजल पेश कर कहा कि स्कूल खुलने के तत्काल बाद एक दम से आर्थिक हालात ठीक नहीं होंगे. ऐसे में पूरे सत्र के लिए 50 प्रतिशत फीस निर्धारित की जानी चाहिए. इससे न तो अभिभावकों पर दबाव आएगा और न ही स्कूल संचालकों को परेशानी उठानी पड़ेगी.

वहीं, प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन की ओर से प्रपोजल का विरोध किया गया. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से शपथ-पत्र पेश कर इस संबंध में जानकारी देने को कहा है. गौरतलब है की राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के हालात देखते हुए दो अलग-अलग परिपत्र जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित कर दी थी. इस आदेश को स्कूल एसोसिएशन की ओर से चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 7 सितम्बर को निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी थी. इस आदेश को राज्य सरकार और अभिभावकों ने खंडपीठ में चुनौती दी है. खंडपीठ ने गत एक अक्टूबर को एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह 19 अक्टूबर तक शपथ-पत्र पेश कर बताए कि कोरोना काल में प्राइवेट स्कूलों की फीस कितनी होनी चाहिए. इसके अलावा स्कूल खुलने के बाद फीस कितनी और कैसे वसूल की जा सकती है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार और सुनील समदडिया की अपील पर सुनवाई करते हुए दिया.

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अदालत ने अगली सुनवाई 20 अक्टूबर को तय की है. सुनवाई के दौरान अपीलार्थी सुनील समदडिया की ओर से प्रपोजल पेश कर कहा कि स्कूल खुलने के तत्काल बाद एक दम से आर्थिक हालात ठीक नहीं होंगे. ऐसे में पूरे सत्र के लिए 50 प्रतिशत फीस निर्धारित की जानी चाहिए. इससे न तो अभिभावकों पर दबाव आएगा और न ही स्कूल संचालकों को परेशानी उठानी पड़ेगी.

वहीं, प्रोग्रेसिव स्कूल्स एसोसिएशन की ओर से प्रपोजल का विरोध किया गया. इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से शपथ-पत्र पेश कर इस संबंध में जानकारी देने को कहा है. गौरतलब है की राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण के हालात देखते हुए दो अलग-अलग परिपत्र जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित कर दी थी. इस आदेश को स्कूल एसोसिएशन की ओर से चुनौती दी गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने 7 सितम्बर को निजी स्कूलों को 70 फीसदी ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी थी. इस आदेश को राज्य सरकार और अभिभावकों ने खंडपीठ में चुनौती दी है. खंडपीठ ने गत एक अक्टूबर को एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी.

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