जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में चलने वाली निजी बसों को माल ढुलाई के लिए लाइसेंस (carry goods to passenger buses) देने पर परिवहन मंत्रालय के साथ ही राज्य के मुख्य सचिव, परिवहन आयुक्त और आरटीओ जयपुर से जवाब तलब किया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस अनूप कुमार ने यह आदेश मुस्कान खंडेलवाल और जयपुर परचून ट्रांसपोर्ट यूनियन की जनहित याचिकाओं पर दिए.
जनहित याचिका में अधिवक्ता डीडी खंडेलवाल, अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल और अधिवक्ता संजय महर्षि ने बताया कि राज्य सरकार ने गत 27 जुलाई को एक नोटिफिकेशन जारी कर निजी यात्री बसों के लिए स्कीम जारी की है. इसके तहत यात्री बसें निर्धारित लाइसेंस लेकर माल की ढुलाई कर सकती हैं. जबकि अब तक यात्री वाहन और भार वाहनों के संचालन के लिए अलग-अलग लाइसेंस की व्यवस्था का प्रावधान किया गया था.
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याचिका में कहा गया कि ऑटोमोटिव इंडस्ट्री स्टैंडर्ड के तहत बस बॉडी की छत पर परिवहन करना नियमों के खिलाफ है. इसके अलावा छत पर माल रखने या यात्रियों को बैठाकर बस चलाना जानलेवा साबित हो सकता है. अब तक ऐसी बसों से कई घटनाएं हो चुकी हैं. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार करोड़ों रुपए कमाने के लिए लोगों की जान से खेल रही है. निजी बस संचालक माल ढुलाई के लाइसेंस की आड़ में यात्रियों के साथ ही अधिक से अधिक माल का परिवहन करेंगे. जिससे ओवरलोडिंग की समस्या की बढ़ेगी. इसलिए इस नोटिफिकेशन को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.