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प्रदेश में कब तक चला था एनटीटी कोर्स: राजस्थान हाईकोर्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने एनटीटी कोर्स के मामले (Rajasthan High Court ask reply on NTT) में संबंधित विभाग को शपथ पत्र पेश करने के साथ ही जवाब मांगा है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 जनवरी को तय की है.

Rajasthan High Court ask reply on NTT
Rajasthan High Court ask reply on NTT
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Published : Jan 19, 2022, 10:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स को लेकर जवाब (Rajasthan High Court ask reply on NTT) मांगा है. कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शीतल मिर्धा को निर्देश दिए हैं कि वह संबंधित विभाग का शपथ पत्र पर पेश कर बताए कि वर्ष 2002 के बाद 2010 तक किन संस्थाओं को एनटीटी कोर्स को संचालित करने की अनुमति दी गई थी. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश चेतन सहित डेढ़ दर्जन लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 जनवरी को तय की है.

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि एनसीटीई ने एनटीटी कोर्स को वर्ष 2002 के बाद बंद कर दिया था, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि प्रदेश में यह कोर्स वर्ष 2010 तक संचालित हुआ है. इस पर अदालत ने एएजी से संबंधित विभाग के अधिकारी का शपथ पत्र पेश कर जानकारी देने को कहा है. मामले के अनुसार याचिकाओं में प्रदेश के बाहर से दो साल का एनटीटी के समकक्ष डिप्लोमा करने वालों को प्री-प्राइमरी टीचर भर्ती में शामिल नहीं करने को चुनौती दी गई है.

पढ़ें. HC Seeks Answer Regarding Bonus Points : बोनस अंक के लाभ से वंचित करने पर हाईकोर्ट ने मांगा जवाब...

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रदेश में अब एनटीटी नाम से कोई कोर्स संचालित नहीं होता है और कोर्स का नाम बदल दिया गया है. उन्होंने प्रदेश के बाहर से उन संस्थाओं से एनटीटी के समकक्ष डिप्लोमा किया है, जिन्हें एनसीटीई से मान्यता है. इसलिए उन्हें भी भर्ती में शामिल किया जाए. गौरतलब है कि वर्ष 2018 की प्री-प्राइमरी शिक्षक भर्ती में याचिकाकर्ताओं को यह कहते हुए पात्र नहीं माना गया था कि उनके पास एनटीटी की पात्रता नहीं है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नर्सरी टीचर ट्रेनिंग कोर्स को लेकर जवाब (Rajasthan High Court ask reply on NTT) मांगा है. कोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता शीतल मिर्धा को निर्देश दिए हैं कि वह संबंधित विभाग का शपथ पत्र पर पेश कर बताए कि वर्ष 2002 के बाद 2010 तक किन संस्थाओं को एनटीटी कोर्स को संचालित करने की अनुमति दी गई थी. जस्टिस महेन्द्र कुमार गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश चेतन सहित डेढ़ दर्जन लोगों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए. कोर्ट ने मामले की सुनवाई 24 जनवरी को तय की है.

याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान अदालत के सामने आया कि एनसीटीई ने एनटीटी कोर्स को वर्ष 2002 के बाद बंद कर दिया था, लेकिन अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि प्रदेश में यह कोर्स वर्ष 2010 तक संचालित हुआ है. इस पर अदालत ने एएजी से संबंधित विभाग के अधिकारी का शपथ पत्र पेश कर जानकारी देने को कहा है. मामले के अनुसार याचिकाओं में प्रदेश के बाहर से दो साल का एनटीटी के समकक्ष डिप्लोमा करने वालों को प्री-प्राइमरी टीचर भर्ती में शामिल नहीं करने को चुनौती दी गई है.

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याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्रदेश में अब एनटीटी नाम से कोई कोर्स संचालित नहीं होता है और कोर्स का नाम बदल दिया गया है. उन्होंने प्रदेश के बाहर से उन संस्थाओं से एनटीटी के समकक्ष डिप्लोमा किया है, जिन्हें एनसीटीई से मान्यता है. इसलिए उन्हें भी भर्ती में शामिल किया जाए. गौरतलब है कि वर्ष 2018 की प्री-प्राइमरी शिक्षक भर्ती में याचिकाकर्ताओं को यह कहते हुए पात्र नहीं माना गया था कि उनके पास एनटीटी की पात्रता नहीं है.

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