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ट्रेनों पर होगा सुरक्षा 'कवच', जानें क्या ईस्ट कोस्ट रेलवे का फुलप्रूफ प्लान

देश में सुरक्षित रेल संचालन के लिए उन्नत कवच प्रणाली को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है.

indian railways
प्रतीकात्मक तस्वीर (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 1 hours ago

भुवनेश्वर: देश में सुरक्षित रेल संचालन के लिए सिग्नल प्रणाली को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिसके अंतर्गत अब अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली से निर्मित कवच प्रणाली पर बल दिया जा रहा है. ईस्ट कोस्ट रेलवे (ईसीओआर) ने ओडिशा के रानीताल (भद्रक) और आंध्र प्रदेश के दुव्वाडा (विशाखापत्तनम) के बीच ए़डवांस कवच सिस्टम को स्थापित करने की योजना बनाकर एक प्रमुख सुरक्षा को आगे बढ़ाने संबंधी परियोजना शुरू की है. बता दें कि, यह हावड़ा-चेन्नई मेन लाइन का एक महत्वपूर्ण खंड है, जो 595 किलोमीटर की दूरी तय करता है.

कवच उपकरण के सर्वेक्षण, डिजाइन, आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग के साथ-साथ अन्य संबंधित कार्यों के लिए निविदा अधिसूचित की गई है. जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 280 करोड़ रुपये है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल गलियारों पर सुरक्षा बढ़ाने पर काफी जोर दिया है.

ईसीओआर के शेष खंडों में कवच स्थापित करने के लिए विस्तृत आकलन का काम चल रहा है. कवच, एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जिसे ट्रेन की टक्करों को रोकने और बेहतर परिचालन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है. एक बार स्थापित होने के बाद, यह स्वचालित ब्रेकिंग, गति विनियमन प्रदान करेगा, और विशेष रूप से आपातकालीन स्थितियों में मानवीय गलतियों से बचने में मदद करेगा.

इस परियोजना में पटरियों, लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेट्स और निर्दिष्ट खंड के साथ स्टेशनों पर उपकरण स्थापित करना शामिल है. इसके साथ ही बाद के चरण में सिस्टम के लिए अलग-अलग टावर बनाए जाएंगे. बुनियादी ढांचे की स्थापना पूरी होने पर, कवच उपकरणों को इस व्यस्त गलियारे पर चलने वाली ट्रेनों में एकीकृत किया जाएगा, जिससे ट्रेनों, स्टेशनों और नियंत्रण केंद्रों के बीच वास्तविक समय का संचार सुनिश्चित होगा. ऐसा होने से दुर्घटनाओं का जोखिम कम होगा.

यह कदम भारतीय रेलवे की अपने बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, यात्री सुरक्षा में सुधार और परिचालन दक्षता बढ़ाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. हावड़ा-चेन्नई मेन लाइन के इस महत्वपूर्ण खंड पर कवच प्रणाली के सफल कार्यान्वयन से सुरक्षा और प्रौद्योगिकी-संचालित रेल संचालन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित होगा, जिससे सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी) और हेड-ऑन टकराव की संभावना काफी कम हो जाएगी.

ये भी पढ़ें: 11 साल बाद रेलवे ट्रेड यूनियन के हो रहे चुनाव, जानिए कब होगा मतदान

भुवनेश्वर: देश में सुरक्षित रेल संचालन के लिए सिग्नल प्रणाली को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. जिसके अंतर्गत अब अत्याधुनिक स्वदेशी प्रणाली से निर्मित कवच प्रणाली पर बल दिया जा रहा है. ईस्ट कोस्ट रेलवे (ईसीओआर) ने ओडिशा के रानीताल (भद्रक) और आंध्र प्रदेश के दुव्वाडा (विशाखापत्तनम) के बीच ए़डवांस कवच सिस्टम को स्थापित करने की योजना बनाकर एक प्रमुख सुरक्षा को आगे बढ़ाने संबंधी परियोजना शुरू की है. बता दें कि, यह हावड़ा-चेन्नई मेन लाइन का एक महत्वपूर्ण खंड है, जो 595 किलोमीटर की दूरी तय करता है.

कवच उपकरण के सर्वेक्षण, डिजाइन, आपूर्ति, स्थापना, परीक्षण और कमीशनिंग के साथ-साथ अन्य संबंधित कार्यों के लिए निविदा अधिसूचित की गई है. जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 280 करोड़ रुपये है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने व्यस्त और महत्वपूर्ण रेल गलियारों पर सुरक्षा बढ़ाने पर काफी जोर दिया है.

ईसीओआर के शेष खंडों में कवच स्थापित करने के लिए विस्तृत आकलन का काम चल रहा है. कवच, एक स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है, जिसे ट्रेन की टक्करों को रोकने और बेहतर परिचालन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है. एक बार स्थापित होने के बाद, यह स्वचालित ब्रेकिंग, गति विनियमन प्रदान करेगा, और विशेष रूप से आपातकालीन स्थितियों में मानवीय गलतियों से बचने में मदद करेगा.

इस परियोजना में पटरियों, लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेट्स और निर्दिष्ट खंड के साथ स्टेशनों पर उपकरण स्थापित करना शामिल है. इसके साथ ही बाद के चरण में सिस्टम के लिए अलग-अलग टावर बनाए जाएंगे. बुनियादी ढांचे की स्थापना पूरी होने पर, कवच उपकरणों को इस व्यस्त गलियारे पर चलने वाली ट्रेनों में एकीकृत किया जाएगा, जिससे ट्रेनों, स्टेशनों और नियंत्रण केंद्रों के बीच वास्तविक समय का संचार सुनिश्चित होगा. ऐसा होने से दुर्घटनाओं का जोखिम कम होगा.

यह कदम भारतीय रेलवे की अपने बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने, यात्री सुरक्षा में सुधार और परिचालन दक्षता बढ़ाने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है. हावड़ा-चेन्नई मेन लाइन के इस महत्वपूर्ण खंड पर कवच प्रणाली के सफल कार्यान्वयन से सुरक्षा और प्रौद्योगिकी-संचालित रेल संचालन के लिए एक बेंचमार्क स्थापित होगा, जिससे सिग्नल पासिंग एट डेंजर (एसपीएडी) और हेड-ऑन टकराव की संभावना काफी कम हो जाएगी.

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