जयपुर. अदालत ने कहा है कि आपत्तियों का निस्तारण करते समय हाईकोर्ट की ओर से नंदकिशोर शर्मा के मामले में वर्ष 2018 में दिए आदेश को ध्यान में रखा जाए. न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश संजना कुमावत व अन्य की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करे हुए दिए.
याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2011 में याचिकाकर्ताओं को वर्ष 2013 में नियुक्ति दी गई. जबकि कुछ अन्य अभ्यर्थियों को वर्ष 2012 में ही नियुक्ति दी जा चुकी थी. जिसके चलते समान भर्ती में चयनित होने के बावजूद याचिकाकर्ता वरिष्ठता में एक साल पीछे हो गए.
इस संबंध में हाईकोर्ट भी वर्ष 2018 में नंदकिशोर शर्मा के मामले में आदेश पारित कर ऐसे शिक्षकों को वरिष्ठता का लाभ देने के निर्देश दे चुका है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने विभाग को याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों का निस्तारण पूर्व में दिए आदेश को ध्यान में रखकर करने के आदेश दिए हैं.