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कस्टम विभाग को राहत, राजस्थान हाईकोर्ट ने लगाई 48 करोड़ के रिफंड पर रोक - jaipur news

न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने कस्टम विभाग की याचिका पर आदेश देते सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अधिकरण ने विभाग को आदेश जारी कर फर्म को 48 करोड़ 32 लाख 83 हजार रुपए का रिफंड करने को कहा था.

Rajasthan High Court ordered, कस्टम विभाग राजस्थान
कस्टम विभाग को राहत
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Published : Jan 6, 2020, 9:33 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को राहत देते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अधिकरण ने विभाग को आदेश जारी कर फर्म को 48 करोड़ 32 लाख 83 हजार रुपए का रिफंड करने को कहा था. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश कस्टम विभाग की याचिका पर दिए.

कस्टम विभाग को राहत

याचिका में अधिवक्ता किंशुक जैन ने अदालत को बताया कि ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी ने वर्ष 2015 के 48 करोड 32 लाख 83 हजार रुपए के रिफंड क्लेम के लिए सहायक आयुक्त कस्टम के समक्ष क्लेम पेश किया था. जिसे सहायक आयुक्त ने 26 फरवरी 2016 को अधूरे दस्तावेज और अवधि पूरी होने के आधार पर खारिज कर दिया था.

पढ़ें- CAA के समर्थन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जयपुर में किया घर-घर संपर्क

वहीं कमिश्नर अपील्स ने 26 जुलाई 2018 को सहायक आयुक्त के आदेश को रद्द करते हुए रिफंड राशि को कन्जूमर वेलफेयर फंड में जमा कराने को कहा. इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण ने गत 16 सितंबर को आदेश जारी कर रिफंड को ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी के पक्ष में अदा करने को कहा. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश कर विभाग की ओर से कहा गया कि मोबाइल आयात करने वाली इस कंपनी उपभोक्ता से ड्यूटी वसूल कर चुकी है. ऐसे में उसे रिफंड नहीं दिया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को राहत देते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अधिकरण ने विभाग को आदेश जारी कर फर्म को 48 करोड़ 32 लाख 83 हजार रुपए का रिफंड करने को कहा था. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश कस्टम विभाग की याचिका पर दिए.

कस्टम विभाग को राहत

याचिका में अधिवक्ता किंशुक जैन ने अदालत को बताया कि ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी ने वर्ष 2015 के 48 करोड 32 लाख 83 हजार रुपए के रिफंड क्लेम के लिए सहायक आयुक्त कस्टम के समक्ष क्लेम पेश किया था. जिसे सहायक आयुक्त ने 26 फरवरी 2016 को अधूरे दस्तावेज और अवधि पूरी होने के आधार पर खारिज कर दिया था.

पढ़ें- CAA के समर्थन में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जयपुर में किया घर-घर संपर्क

वहीं कमिश्नर अपील्स ने 26 जुलाई 2018 को सहायक आयुक्त के आदेश को रद्द करते हुए रिफंड राशि को कन्जूमर वेलफेयर फंड में जमा कराने को कहा. इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण ने गत 16 सितंबर को आदेश जारी कर रिफंड को ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी के पक्ष में अदा करने को कहा. इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश कर विभाग की ओर से कहा गया कि मोबाइल आयात करने वाली इस कंपनी उपभोक्ता से ड्यूटी वसूल कर चुकी है. ऐसे में उसे रिफंड नहीं दिया जा सकता. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है.

Intro:बाईट - याचिकाकर्ता के वकील किंशुक जैन

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग को राहत देते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत अधिकरण ने विभाग को आदेश जारी कर फर्म को 48 करोड 32 लाख 83 हजार रुपए का रिफंड करने को कहा था। न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश कस्टम विभाग की याचिका पर दिए।Body:याचिका में अधिवक्ता किंशुक जैन ने अदालत को बताया कि ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी ने वर्ष 2015 के 48 करोड 32 लाख 83 हजार रुपए के रिफंड क्लेम के लिए सहायक आयुक्त कस्टम के समक्ष क्लेम पेश किया था। जिसे सहायक आयुक्त ने 26 फरवरी 2016 को अधूरे दस्तावेज और अवधि पूरी होने के आधार पर खारिज कर दिया था। वहीं कमिश्नर अपील्स ने 26 जुलाई 2018 को सहायक आयुक्त के आदेश को रद्द करते हुए रिफंड राशि को कन्जूमर वेलफेयर फंड में जमा कराने को कहा। इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सेन्ट्रल एक्साइज एंड सर्विस टैक्स अपीलीय अधिकरण ने गत 16 सितंबर को आदेश जारी कर रिफंड को ट्रस्ट मार्केटिंग कंपनी के पक्ष में अदा करने को कहा। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश कर विभाग की ओर से कहा गया कि मोबाइल आयात करने वाली इस कंपनी उपभोक्ता से ड्यूटी वसूल कर चुकी है। ऐसे में उसे रिफंड नहीं दिया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने अधिकरण के आदेश पर रोक लगा दी है।Conclusion:
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