जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने कहा है कि सोने की तस्करी को यूएपीए एक्ट के तहत आतंकवादी गतिविधि नहीं माना जा सकता. विशेषकर तब, जबकि बरामद सोने की मात्रा कस्टम कानून के तहत जमानती हो. अदालत ने कहा कि कस्टम एक्ट गैर कानूनी गतिविधि निरोधक कानून के तहत नहीं आता. वहीं, अदालत ने यूएपीए एक्ट में आरोपी बनाए गए (Rajasthan High Court Order) आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.
जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस अनूप ढंड की खंडपीठ ने यह आदेश राशिद कुरैशी व अन्य की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि कस्टम और एनआईए में दर्ज बयानों से साफ है कि एक आरोपी अमजद अली के खिलाफ तो मामला ही नहीं था और दूसरे आरोपी मजदूरों की कोरोना के कारण नौकरी चली गई थी. याचिका में अधिवक्ता आरबी माथुर ने बताया कि गत तीन जुलाई को जयपुर एयरपोर्ट पर कस्टम विभाग ने रियाद से आने वाले दस यात्रियों को सोना तस्करी के आरोप में पकड़ा और उनके खिलाफ कस्टम एक्ट की धारा 135 के तहत मामला दर्ज किया गया.
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हर आरोपी के पास बरामद सोने की कीमत एक करोड़ रुपये से कम थी और इस पर कस्टम ड्यूटी भी 50 लाख रुपये से कम होती थी. ऐसे में सभी आरोपियों को जमानत पर रिहा कर दिया गया. वहीं, बाद में एनआईए ने सभी दस आरोपियों के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों के लिए फंड (Gold Smuggling is Not Terrorist Activity) एकत्रित करने के आरोप में यूएपीए एक्ट और साजिश रचने का आरोप लगाते हुए गिरफ्तार कर दिया. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता मजदूरी करते थे और कोरोना के चलते उनकी नौकरी भी चली गई थी. उन्हें घर वापसी के लिए टिकट के बदले सोना लाने को कहा गया था.
ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे यह साबित हो कि आरोपी आतंकवादी गतिविधि को अंजाम देने और देश की आर्थिक सुरक्षा को नुकसान (Ten Accused Got Bail from Rajasthan HC) पहुंचाने की मंशा रहते थे. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.