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Compensate Appointment Case : अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर रक्षा सचिव सहित अन्य से मांगा जवाब... - Cross FIRs in land case

अनुकंपा नियुक्ति के लिए बार-बार टरकाने और अंतत: नियुक्ति नहीं देने के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने रक्षा सचिव और कमांडेंट स्टेशन, जयपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया (Court in compensate appointment case) है. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता के आवेदन पर विभाग ने गौर नहीं किया और कोई कार्रवाई नहीं की.

Rajasthan High Court in compensate appointment case
अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर रक्षा सचिव सहित अन्य से मांगा जवाब
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Published : Jul 27, 2022, 9:51 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्मी के जनरल सुपरवाइजर की ड्यूटी के दौरान मौत के बावजूद आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर रक्षा सचिव और कमांडेंट स्टेशन, जयपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश राकेश की याचिका पर (Court in compensate appointment case) दिए.

याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पिता नंदलाल आर्मी स्टेशन हैड क्वाटर सेल जयपुर कैंट में जनरल सुपरवाइजर के पद पर तैनात थे. उनकी 24 सितंबर, 2003 को ड्यूटी के दौरान मौत हो गई. इसके बाद याचिकाकर्ता की मां ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. इस पर विभाग ने आवेदन निरस्त करते हुए आश्वासन दिया कि उसके पुत्र को नियुक्ति दी जा सकती है. ऐसे में याचिकाकर्ता के बड़े भाई ने नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने उसे अपात्र मानते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र होने पर उसे नियुक्ति दी जाएगी. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से तय उम्र पूरी करने के बाद वर्ष 2015 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया गया, लेकिन विभाग ने आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं (No action in compensate appointment case) की.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट: नियुक्ति के समय परिवार में सरकारी सेवक नहीं होने पर भी मिल सकती है अनुकंपा नियुक्ति

दबाव डालकर दूसरे पक्ष के हक में रजिस्ट्री: अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-6 महानगर द्वितीय अदालत ने संपत्ति विवाद में परिवार के दो पक्षों की ओर से दर्ज क्रॉस एफआईआर में एक पक्ष की ओर से दबाव बनाने से जुड़े मामले में डीसीपी उत्तर को स्वयं की निगरानी में जांच कराने को कहा (Cross FIRs in land case) है. अदालत ने कहा कि मामले की जांच एसीपी स्तर के अधिकारी से कराई जाए. अदालत ने कहा कि मामले में परिवादिया को नोटिस दिए बिना एसीपी सौरभ तिवाड़ी द्वारा अपने कार्यालय बुलाकर खाली कागजों पर अंगूठा निशानी लेने और दबाव डालकर दूसरे पक्ष के हक में रजिस्ट्री कराने के संबंध में अग्रिम जांच की जाए.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट ने कारगिल शहीद की बेटी को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब

संपत्ति विवाद को लेकर हुई मारपीट में क्रॉस एफआईआर: मामले के अनुसार भाइयों के बीच संपत्ति के विवाद में हुई मारपीट को लेकर क्रॉस एफआईआर दर्ज हुई. इसकी जांच तत्कालीन एसीपी आमेर सौरभ तिवाड़ी के पास लंबित थी. परिवादी गोमती देवी ने एसीपी पर आरोप लगाया कि उन्होंने विरोधी का पक्ष लेते हुए संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने एवं राजीनामे के लिए दबाव बनाया. इसके लिए कार्यालय में बुलाकर घंटों तक बैठाया और परेशान किया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आर्मी के जनरल सुपरवाइजर की ड्यूटी के दौरान मौत के बावजूद आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर रक्षा सचिव और कमांडेंट स्टेशन, जयपुर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश राकेश की याचिका पर (Court in compensate appointment case) दिए.

याचिका में अधिवक्ता बाबूलाल बैरवा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पिता नंदलाल आर्मी स्टेशन हैड क्वाटर सेल जयपुर कैंट में जनरल सुपरवाइजर के पद पर तैनात थे. उनकी 24 सितंबर, 2003 को ड्यूटी के दौरान मौत हो गई. इसके बाद याचिकाकर्ता की मां ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया. इस पर विभाग ने आवेदन निरस्त करते हुए आश्वासन दिया कि उसके पुत्र को नियुक्ति दी जा सकती है. ऐसे में याचिकाकर्ता के बड़े भाई ने नियुक्ति के लिए आवेदन किया, लेकिन विभाग ने उसे अपात्र मानते हुए कहा कि याचिकाकर्ता की उम्र होने पर उसे नियुक्ति दी जाएगी. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से तय उम्र पूरी करने के बाद वर्ष 2015 में अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया गया, लेकिन विभाग ने आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं (No action in compensate appointment case) की.

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संपत्ति विवाद को लेकर हुई मारपीट में क्रॉस एफआईआर: मामले के अनुसार भाइयों के बीच संपत्ति के विवाद में हुई मारपीट को लेकर क्रॉस एफआईआर दर्ज हुई. इसकी जांच तत्कालीन एसीपी आमेर सौरभ तिवाड़ी के पास लंबित थी. परिवादी गोमती देवी ने एसीपी पर आरोप लगाया कि उन्होंने विरोधी का पक्ष लेते हुए संपत्ति की रजिस्ट्री करवाने एवं राजीनामे के लिए दबाव बनाया. इसके लिए कार्यालय में बुलाकर घंटों तक बैठाया और परेशान किया.

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