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कलर ब्लाइंडनेस बताकर नियुक्ति से इनकार, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने सिपाही ऑपरेटर के पद पर अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर आला अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इससे पहले न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ के सामने अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और हिमांशु ठोलिया ने कई तर्क रखे.

case of appointment, राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट ने नियुक्ति के एक मामले में अधिकारियों से मांगा जवाब
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Published : Jul 11, 2020, 7:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग के दूरसंचार सेक्शन में सिपाही ऑपरेटर के पद पर मेरिट में आने के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, डीजीपी और एसपी (दूरसंचार) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भर्ती में दी जा रही नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है. न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने ये आदेश मान प्रकाश यादव की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

पढ़ें: हाईकोर्ट: नोशनल परिलाभों को अनियमित भुगतान बताकर रिकवरी निकालने के सरकार के आदेश पर रोक

याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और हिमांशु ठोलिया ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का चयन सिपाही ऑपरेटर के पद पर हुआ था. इसके बावजूद मेडिकल में उसे कलर ब्लाइंडनेस बताकर नियुक्ति से इनकार कर दिया गया. लेकिन, अभ्यर्थी का कलर ब्लाइंडनेस जिस स्तर का है, उसे लेकर सीआरपीएफ, एयरफोर्स और सीआईएसएफ सहित अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों में नियुक्ति पर रोक नहीं है. इसके अलावा इस पद पर तैनात कर्मचारी का काम सिर्फ संदेशों का आदान प्रदान करना ही होता है, जिसमें रंग की पहचान कोई मायने नहीं रखती है.

पढ़ें: राजस्थान हाईकोर्ट के 9 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव, लोक अदालत स्थगित

वहीं, कलर ब्लाइंडनेस वाले एक अभ्यर्थी को पहले भी नियुक्ति भी दी जा चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देना गलत है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए नियुक्तियों को याचिका के निर्णयाधीन रखा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पुलिस विभाग के दूरसंचार सेक्शन में सिपाही ऑपरेटर के पद पर मेरिट में आने के बावजूद अभ्यर्थी को नियुक्ति नहीं देने पर गृह सचिव, डीजीपी और एसपी (दूरसंचार) को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने भर्ती में दी जा रही नियुक्तियों को याचिका के निर्णय के अधीन रखा है. न्यायाधीश इंद्रजीत सिंह की एकलपीठ ने ये आदेश मान प्रकाश यादव की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

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याचिका में अधिवक्ता धर्मवीर ठोलिया और हिमांशु ठोलिया ने हाईकोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का चयन सिपाही ऑपरेटर के पद पर हुआ था. इसके बावजूद मेडिकल में उसे कलर ब्लाइंडनेस बताकर नियुक्ति से इनकार कर दिया गया. लेकिन, अभ्यर्थी का कलर ब्लाइंडनेस जिस स्तर का है, उसे लेकर सीआरपीएफ, एयरफोर्स और सीआईएसएफ सहित अन्य केंद्रीय सुरक्षा बलों में नियुक्ति पर रोक नहीं है. इसके अलावा इस पद पर तैनात कर्मचारी का काम सिर्फ संदेशों का आदान प्रदान करना ही होता है, जिसमें रंग की पहचान कोई मायने नहीं रखती है.

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वहीं, कलर ब्लाइंडनेस वाले एक अभ्यर्थी को पहले भी नियुक्ति भी दी जा चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता को नियुक्ति नहीं देना गलत है. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए नियुक्तियों को याचिका के निर्णयाधीन रखा है.

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