जयपुर. याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के पति को वर्ष 1984 में अप्रशिक्षित अध्यापक नियुक्त किया गया था. वहींं दो साल बाद उन्हें नियमित भी कर दिया. सेवा में रहने के दौरान गत वर्ष उनकी मौत हो गई. जिसके चलते विभाग ने उनकी सेवा समाप्त कर दी.
याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता के सेवाकाल के दौरान दिए जाने वाले चयनित वेतनमान का लाभ नहीं दिया गया. राज्य सरकार ने जून 2001 में परिपत्र जारी कर अप्रशिक्षित शिक्षकों को भी चयनित वेतनमान के आदेश दिए थे.
वहीं, याचिकाकर्ता के पति के साथ नियुक्ति अन्य शिक्षकों को यह लाभ दिया जा चुका है. याचिकाकर्ता के पति की मौत हो चुकी है. ऐसे में उत्तराधिकारी के तौर पर याचिकाकर्ता को यह परिलाभ दिलाया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया है.