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HC ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में एमबीबीएस छात्र की जमानत याचिका की खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना के गंभीर मरीजों को दिए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के मामले में एमबीबीएस छात्र विकास मित्तल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने कहा कि गंभीर कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की जरूरत होती है. ऐसे में दवा की कालाबाजारी करने वाले को राहत नहीं दी जा सकती है.

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HC ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी मामले में एमबीबीएस छात्र की जमानत याचिका की खारिज
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Published : May 14, 2021, 7:48 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना के गंभीर मरीजों को दिए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एमबीबीएस छात्र विकास मित्तल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने अपने आदेश में कहा कि पूरा देश कोविड महामारी से गुजर रहा है और मरीजों को दवा की सख्त आवश्यकता है. ऐसे में दवा की कालाबाजारी करने वाले को राहत नहीं दी जा सकती.

जमानत याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एमबीबीएस छात्र को पुलिस ने जबरन मामले में फंसाया है. इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लगाए आरोप जमानतीय अपराध की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम की धाराएं मामले में लागू नहीं होती है. इसलिए उसे जमानत दी जाए, जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन जीवनदायी दवा के तौर पर काम में लिया जाता है, लेकिन आरोपी ने एमबीबीएस छात्र होते हुए इसकी कालाबाजारी की है, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए.

यह भी पढ़ें- रक्षक बने भक्षक: 'सांसों' की कालाबाजारी करते 2 नर्सिंग छात्र गिरफ्तार

गौरतलब है कि मुरलीपुरा थाना पुलिस ने बोगस ग्राहक के जरिए गत 20 अप्रैल की रात याचिकाकर्ता सहित दो अन्य आरोपियों को इंजेक्शन को पन्द्रह हजार रुपए में बेचते गिरफ्तार किया था.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना के गंभीर मरीजों को दिए जाने वाले रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वाले एमबीबीएस छात्र विकास मित्तल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ने अपने आदेश में कहा कि पूरा देश कोविड महामारी से गुजर रहा है और मरीजों को दवा की सख्त आवश्यकता है. ऐसे में दवा की कालाबाजारी करने वाले को राहत नहीं दी जा सकती.

जमानत याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता एमबीबीएस छात्र को पुलिस ने जबरन मामले में फंसाया है. इसके अलावा आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत लगाए आरोप जमानतीय अपराध की श्रेणी में आते हैं. इसके अलावा औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम की धाराएं मामले में लागू नहीं होती है. इसलिए उसे जमानत दी जाए, जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील शेरसिंह महला ने कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन जीवनदायी दवा के तौर पर काम में लिया जाता है, लेकिन आरोपी ने एमबीबीएस छात्र होते हुए इसकी कालाबाजारी की है, इसलिए उसे जमानत नहीं दी जाए.

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गौरतलब है कि मुरलीपुरा थाना पुलिस ने बोगस ग्राहक के जरिए गत 20 अप्रैल की रात याचिकाकर्ता सहित दो अन्य आरोपियों को इंजेक्शन को पन्द्रह हजार रुपए में बेचते गिरफ्तार किया था.

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